Bihar News: प्यार के लिए आजाद झा ने बदला था धर्म, खुदकुशी के बाद अंतिम संस्कार को लेकर छिड़ा संग्राम
Bihar News: पूर्णिया के आजाद झा ने प्रेम विवाह करके अपना धर्म बदल लिया था. अब उसने खुदकुशी कर ली तो शव के अंतिम संस्कार को लेकर संग्राम छिड़ गया. जानिए पूरा मामला...
Bihar News: बिहार के पूर्णिया जिले में एक प्रेम कहानी का अंत खुदकुशी से हो गया. मौत के बाद भी आजाद एक अजीब उलझन परिवार के बीच छोड़ गया. इसे प्रेम की अजीब दास्तां कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी. दुर्भाग्यपूर्ण संयोग यह है कि इस साहसिक प्रेम कहानी का अंत वॉलीवुड की फिल्मों की तरह सुखद नहीं रहा. यही नहीं, इस प्रेम कहानी का नायक आजाद झा उर्फ मोहम्मद आजाद आलम अपने पीछे अपने अंतिम संस्कार को लेकर उलझन तक छोड़ गया. जिसे सुलझाने में पूरा दिन गुजर गया. आजाद के शव का हिंदू पद्धति से अंतिम संस्कार करने पर आखिरी में सहमति बनी.
कब्रिस्तान या श्मशान, कहां होगा संस्कार इसे लेकर हुआ विवाद
आजाद झा उर्फ मोहम्मद आजाद आलम का देहांत हुआ तो उलझन सामने आ गयी. उन्हें हिंदू रीति रिवाज से विदाई दी जाएगी या फिर मुस्लिम रीति रिवाज के तहत शव को सुपुर्द-ए-खाक किया जाए, गुरुवार को दिनभर दो पक्ष इसे लेकर आपस में उलझे रहे. फिर गुरुवार की देर शाम को एसडीएम और एसडीपीओ की मौजूदगी में दोनों पक्षों की बैठक हुई. दोनों पक्षों की बात को इस बैठक में सुना गया. अंत में सर्व सम्मति से आजाद का शव उसके पिता को सौंपने पर सहमति बनी.
धर्म बदलने वाले शख्स ने की खुदकुशी
दरअसल, स्थानीय हाउसिंग कॉलोनी में एक व्यक्ति ने फंदे से लटक कर अपनी जान दे दी. मृतक का नाम मोहम्मद आजाद आलम 36 वर्ष बताया गया है. वह मूल रूप से मधेपुरा जिला निवासी दिलीप कुमार झा का पुत्र था. वर्ष 2008 में उसने रानी परवीन नाम के एक युवती से प्रेम विवाह किया और अपना नाम भी बदल लिया. आधार कार्ड में उसका नाम मोहम्मद आजाद आलम है. शादी के बाद मृतक को तीन बेटे हुए, जो 10 से 13 वर्ष के बीच के हैं. वह टोटो चलाकर परिवार का भरण पोषण करता था. कुछ वर्ष से उसे शराब की लत लग गयी थी.
मौत के बाद दो पक्षों में छिड़ा विवाद
आजाद की आर्थिक स्थिति भी कमजोर थी. इस वजह से परिवार में अक्सर कलह हो रहा था. कलह से परेशान होकर गुरुवार की सुबह उसने फंदे से लटकर कर आत्महत्या कर ली. घटना के बाद पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है. पोस्टमार्टम में उपस्थित मृतक के पिता समेत अन्य परिजन हिंदू रीति रिवाज से उसके दाह संस्कार करने को लेकर अडिग थे. जबकि मृतक की पत्नी और ससुराल पक्ष उसके शव को दफनाने की जिद लगाये थे. दोनों पक्ष उलझे हुए थे. इस संबंध में कोई निर्णय नहीं होने पर शव को 72 घंटे के लिए पोस्टमार्टम हाउस में सुरक्षित रखा गया था. अंत में जब दोनों पक्षों के साथ प्रशासन ने बैठक की तो तय हुआ कि आजाद का शव उनके पिता को सौंपा जाएगा.