श्रीनगर. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सभी नौ पंचायतों में लोक आस्था का महापर्व बिषहरी पूजा श्रद्धा, भक्ति और समर्पण के साथ संपन्न हो गया. पंडित पंकज ने बताया कि इस महापर्व को मंजूषा पूजा भी कहा जाता है, धार्मिक मान्यता के अनुसार नाग देवता,शेषनाग,बिषहरी माता को गाय के दूध,धान का लावा, गंगाजल के साथ जील के पत्ते पर चढ़ा कर भोजन दिया जाता है, महिलाएं उपवास रह कर भगत नाग की पूजा करते हैं, श्रद्धालुओं द्वारा बताया गया कि जिन जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है उन्हें नाग पंचमी के दिन नाग देवता की उपासना करने से दोष का प्रभाव कम हो जाता है. सभी रुकावटें दूर हो जाती है और विशेष फल मिलता है. हिंदू धर्म में नागपंचमी पर्व का विशेष महत्व है.सावन माह के शुक्ल पक्ष के अंतिम सप्ताह के अंतिम दिन और भादो मास के प्रथम सप्ताह के प्रथम दिन नागदेवता,शेषनाग,मंसा मां,बिषहरी माता का विधि विधान से पूजा धूमधाम से की जाती है. अंजलि देवी ,पुष्पा देवी, नागमणि देवी आदि श्रद्धालुओं ने बताया कि इस दिन भक्तजन अलग-अलग स्थानों में मंजूषा लेकर पूजा स्थलों पर एक साथ जुटते हैं और हाथ चला कर पूजा करते हैं, इस अवसर पर बली चढ़ाने का रिवाज भी देखा गया. जगेली चौक अमर मंडल चौक के निकट मंदिर परिसर में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजा की. यहां पंडित शंकर द्वारा विधि विधान से पूजा करायी. नवीन कुमार, प्रेम कुमार, शीला देवी ने बताया की मां बिषहरी मां के पांचों बहनों की पूजा पारम्परिक तरीके से होती है. जीवन में सुख समृद्धि के लिए किये जानेवाली पूजा मन्नतें रखने वालों की मन्नतें पूरी होती है,
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