पूर्णिया. टीबी रोग की रोकथाम के लिए किये जा रहे विभिन्न उपायों के बीच ट्रूनट मशीन और सी-वाय स्किन टेस्ट ने उम्मीद जगा दी है. इनकी मदद से सामान्य तौर पर टीबी की जांच और इलाज की व्यवस्था और भी सुदृढ़ हुई है. हालांकि टीबी रोग में बलगम की जांच से ही रोग की पुष्टि हो जाती है लेकिन चिकित्सकों की माने तो कई मामलों में टीबी संक्रमण के प्रमाण बेहद गौण होते हैं जिन्हें सामान्य जांच में पकड़ना बेहद मुश्किल अथवा नामुमकिन होता है. वहीं मरीजो की जांच में देरी न हो और संक्रमित मरीज के साथ रह रहे परिजनों में इसके साइलेंट होने के लक्षणों का पता लगाया जा सके इसके लिए ट्रूनट मशीन और सी-वाय स्किन टेस्ट एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा टीबी रोग की रोकथाम को सरल और सटीक बनाया जा रहा है.
प्रखंड स्तर पर ट्रूनट मशीन से जांच में आई तेजी
टीबी प्रभावित मरीजों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रखंड स्तर पर ट्रूनट मशीन की सहायता से की जा रही जांच के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं. नए टीबी मरीजों के साथ साथ मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) मरीजों की भी पहचान सुनिश्चित होने लगी है. इस मशीन के द्वारा बेहद कम समय में मरीजों में टीबी रोग की पहचान आसान हुई है जिसने ज्यादा सैम्पल की जांच को संभव बनाया है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पहले एमडीआर के मामले में मरीजों को भागलपुर जाना पड़ता था. इस वजह से अनेक तरह की परेशानियां आती थीं. ट्रूनट मशीन के आ जाने से इस छोटे से मेडिकल उपकरण की मदद से सैम्पल की जांच आसान, सटीक और जल्दी रिपोर्ट संभव हुआ है. जिले में इसकी मदद से मरीजों का इलाज भी समय पर होने से एमडीआर से होने वाली मौत का ग्राफ भी काफी नीचे आया है.टीबी रोग की संभावनाओं की पुष्टि के लिए सी-वाय स्किन टेस्ट
टीबी ग्रसित मरीजों के संपर्क में रहने वाले परिजनों और आसपास के सहयोगियों को भी टीबी ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है. अगर समय पर जांच और इलाज नहीं कराया गया तो संबंधित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है. जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ कृष्ण मोहन दास ने बताया कि टीबी ग्रसित मरीजों के परिजनों को भविष्य में टीबी ग्रसित होने की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सी-वाई स्किन टेस्ट इंजेक्शन सुविधा की शुरुआत की गई है. सी-वाई स्किन टेस्ट करने से लाभार्थियों द्वारा भविष्य में टीबी ग्रसित होने की पहचान की जा सकती है. जांच रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर संबंधित व्यक्ति को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक उपचार सुविधा तत्काल उपलब्ध कराई जाएगी जिससे वे टीबी ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकें.सी-वाय स्किन टेस्ट के लिए स्वास्थ्य कर्मियों का चला प्रशिक्षण
जीएमसीएच स्थित एएनएम ट्रेनिंग स्कूल में टीबी रोग के संभावित मरीजों में संक्रमण की पुष्टि को लेकर बीते दिनों प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें जिले के विभिन्न प्रखंडों से आये सीएचओ, जीएनएम, एएनएम, स्टाफ नर्स सहित स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को टीबी संक्रमण को पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया गया. प्रशिक्षण दे रहे डब्लूएचओ के डॉ. अशफाक ने बताया कि इसमें टीबी मरीजों के परिजनों की चमड़ी में दवा इंजेक्ट की जाती है और 48 घंटे से लेकर 72 घंटे के अन्दर सुई वाली जगह पर स्किन में आये बदलाव का निरीक्षण किया जाता है. उसके बाद स्किन में आये बदलाव को देखते हुए संभावनाओं की पुष्टि की जाती है.बोले सिविल सर्जन
भारत में एक तिहाई जनसंख्या टीबी रोग से ग्रसित पाए जा रहे हैं. समय पर जांच और इलाज नहीं कराने के कारण हर साल भारत में 03 लाख 15 हजार मरीज मृत्यु का शिकार हो रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा सी-वाई स्किन टेस्ट इंजेक्शन की शुरुआत की गई है. फिलहाल पहली खेप में राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले को 240 वाईल्स सी-वाई स्किन टेस्ट इंजेक्शन सुविधा उपलब्ध कराई गई है. 01 वाईल्स सी-वाई स्किन टेस्ट इंजेक्शन से 10 लाभार्थियों की जांच कराई जाएगी. डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया, सिविल सर्जनडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है