सुखसेना में श्रीकृष्ण मंदिर में बच्चे चढ़ाते हैं चांदी की बांसुरी, आगे चलकर होते हैं प्रतिभाशाली
सुखसेना में श्रीकृष्ण मंदिर
– 296 वर्ष से भगवान श्रीकृष्ण का सज रहा दरबार , जन्माष्टमी मेला को दूर-दूर तक ख्याति अरविन्द कुमार जायसवाल, बीकोठी. प्रखंड के सुखसेना गांव में 296 वर्ष से भगवान श्रीकृष्ण का दरबार सज रहा है. जन्माष्टमी पर यहां का मेला को ख्याति प्राप्त है. विशेष बात यह है कि यहां दूर-दूर से लोग अपने नवजात और छोटे बच्चों को लेकर आते हैं और भगवान कृष्ण को चांदी की बांसुरी चढ़ाते हैं. मेला अध्यक्ष शारदानंद मिश्र कहते हैं कि भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय वस्तु बांसुरी है .जो बच्चे भगवान कृष्ण को बांसुरी चढ़ाते हैं वे काफी प्रतिभाशाली होते हैं. यहां बांसुरी चढ़ाने की प्रथा भी शुरू से ही चलते आ रही है. वे बताते हैं कि पहली बार जो भी बच्चे इस मंदिर में आते हैं वे भगवान को चांदी की बांसुरी चढ़ाते हैं.चांदी की बांसुरी पूजा कमेटी की तरफ से ही दी जाती है .इसकी कीमत भी काफी कम रखी गयी है ताकि हर वर्ग के बच्चे अपने सामर्थ्य और सुविधा के अनुसार भगवान को बांसुरी चढ़ा सकें. गांव के पुजारी धोगन झा जी ने बताया कि जब से कृष्णा जन्माष्टमी मेला शुरू हुआ है तब से उनके पूर्वज के समय से उनका परिवार पूजा करवाते आ रहा है. फिलहाल मूर्तियों को तैयार करने में गांव के ही कलाकार पंकज कुमार जुटे हैं. 191 साल पहले कायाकल्प की हुई कवायद वहीं राधा उमाकांत महाविद्यालय के प्राचार्य पंडित अमरनाथ झा ने कहा कि सुखसेना में श्रीकृष्ण मंदिर बहुत पहले से है. पहले यह फूस का था. करीब 191 साल से पहले सुखसेना के श्रीकृष्ण स्थान ,बड़हराकोठी के दुर्गा मंदिर और भटोत्तर के काली मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए बैठक हुई थी. इसमें सुखसेना श्रीकृष्ण स्थान के जीर्णोद्धार की जिम्मेवारी सुखसेना गांव के जमींदार बलदेव झा को मिली. इसके बाद सुखसेना के श्रीकृष्ण स्थान में काफी पहले टीन का घर बनाया बनाया गया. काफी दिनों तक उसी में पूजा अर्चना होती रही.बाद में यहां ग्रामीणों के सहयोग से भव्य मंदिर स्थापित किया गया. तीन दिनों का लगता है भव्य मेला यहां हर साल तीन दिनों का भव्य मेला भी लगता है जिसमें बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस बार भी पूजा समिति और स्थानीय मेला कलाकारों को मिलता था अभिनय का बड़ा मंच. मेला अध्यक्ष शारदानंद मिश्र ने बताया कि सुखसेना में पहले नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होता था. इसमें गांव के कलाकार अपने अभिनय की प्रस्तुति करते थे. तबला वादक मिथिलेश झा समेत इस गांव के कई कलाकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी ख्याति बिखेर चुके हैं.पहले यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाटक को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे. इस बार 27 व 28 को मेला कमेटी द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इसमें ग्रामीण युवक बढ़ चढकर हिस्सा ले रहे हैं. 26-27 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी आधी रात को और 27 व 28 को मेला आयोजित होगा. फोटो. 23 पूर्णिया 11- जन्माष्टमी पूजा को लेकर मूर्ति तैयार करते कलाकार
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