अपनी बदहाली पर रो रहा शहर का आंबेडकर बाजार

आंबेडकर बाजार के कुल चार ब्लॉक हैं

By Prabhat Khabar News Desk | June 23, 2024 6:50 PM

पूर्णिया. शहर के सबसे मुख्य चौराहे का मार्केट आंबेडकर बाजार समय के साथ-साथ किसी खंडहर की ओर बढ़ता नजर आ रहा है. आरएनसाव चौक से लेकर राज्य पथ परिवहन निगम बस स्टैंड के मध्य अवस्थित आंबेडकर बाजार के कुल चार ब्लॉक हैं जिनमें से चौथा यानी डी ब्लॉक एक मंजिल ही है और वहां दुकानें भी कम ही हैं. मुख्य रूप से तीन ब्लॉक है ए, बी और सी जिनके ऊपर भी दुकानें हैं. फिलहाल तो हालात यह है कि इसके तीनों ब्लॉक के रूप में बने दोमंजिले भवन की छत पर जाने के रास्ते ही लगभग बंद हैं. कहीं गंदगी है तो कहीं कचरे का ढेर. सीढ़ियों में इस्तेमाल की गयी सरिया जंग लगकर नष्ट हो चुकीं हैं और कई स्थानों से सीधी टूट टूट कर गिर रही हैं. और तो और छत पर जानेवाली सीढ़ियों पर ही कर दिया गया है टॉयलेट का निर्माण, लेकिन उसमें भी गंदगी की वजह से अक्सर सीढ़ियों पर ही लोग मूत्र त्याग कर देते हैं. अगर यही हाल रहा तो प्रथम तल तक भी लोगों का पहुंच पाना दुर्लभ हो जाएगा. वर्ष 1995-96 में रखी गयी थी आधारशिला जानकारी के अनुसार, आंबेडकर बाजार का निर्माण कार्य जिलाधिकारी एस.एम राजू के कार्यकाल में वर्ष 1995-96 में शुरू हुआ था. शहरी विकास अभिकरण द्वारा शहर के सौन्दर्यीकरण के तहत लगभग डेढ़ वर्ष बाद 1997 में चारो ब्लॉक बनकर तैयार हो गये और स्थानीय दुकानदारों को हस्तगत किये गये. दो मंजिले तीनों ब्लॉक में दोनों तल मिलाकर लगभग एक एक सौ दुकाने बनायी गयीं वहीँ एक मंजिला डी ब्लॉक में मात्र दर्जन भर से ऊपर. कुल दुकानों की अगर बात की जाय तो सभी ब्लॉक को मिलाकर लगभग 300 से अधिक दुकाने हैं. शुरुआत में एक शौचालय भी बनाया गया था. स्थानीय दुकानदारों की माने तो शुरुआती तीन वर्षों तक सबकुछ ठीक ठाक चला उसके बाद मार्केट की स्थिति में गिरावट आने लगी. जैसे जैसे समय बीतता गया देख रेख और मेंटेनेंस के अभाव में आंबेडकर बाजार का सभी ब्लॉक जर्जर अवस्था की ओर अग्रसर होता चला गया. भवन पर उग आये हैं पेड़ पौधे टपकने लगी हैं छत दुकानदार बताते हैं कि बीते लगभग 27 वर्षों में सभी ब्लॉक में किसी भी तरह के रिपेयर कार्य की बात तो दूर रंगरोगन तक नहीं कराया गया जबकि राजस्व के मामले में सभी चौकन्ने हैं. सभी दुकानदार अपनी अपनी जरुरत के मुताबिक़ दूकान की मरम्मती और रंगाई पुतायी करवाते आ रहे हैं. वहीँ छतों के ऊपर जमा गंदगियों की वजह से बरसात होने पर उपरी मंजिल का छत टपकने लगता है जबकि सीढ़ियों पर टॉयलेट और अन्य गंदगियों से बहकर वर्षा का पानी नीचे आने लगता है जिससे उठने वाली दुर्गन्ध के बीच रहना किसी सजा से कम नहीं मालूम पड़ता. कुछ दुकानदारों ने बताया कि कई बार उन सब ने मिलजुल कर छतों की साफ़ सफाई भी करवाई है लेकिन काफी दिनों से इस दिशा में भी कोई काम नहीं हुआ है. जिसके कारण भवन के कई स्थानों पर पेड़ पौधे उग आये हैं जिससे बिल्डिंग को नुकसान पहुंच रहा है. ——————– कहते हैं दुकानदार 1. यहां पर स्थायी मार्केट के निर्माण को लेकर हम सभी वर्ष 1990 से ही प्रयास रत थे. प्रशासनिक आश्वासनों के बाद आखिरकार आंबेडकर बाजार का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ और वर्ष 1997 में यहां सभी को जगह मिली. लेकिन देख रेख नहीं होने की वजह से हालत बिगड़ गयी है असल में हम सभी की ओर से इसके लिए प्रयास भी नहीं हुए. शिवशंकर पंडित, पार्ट्स दुकानदार फोटो. 23 पूर्णिया 1- शिवशंकर पंडित 2. ऊपरी मंजिल पर मेरी इलेक्ट्रोनिक्स की दुकान है. लम्बे समय से छत की साफ़ सफाई नहीं हुई है बरसात के दिनों में छत से पानी टपकने की शिकायत रहती है. फिर से बारिश का मौसम आ रहा है सभी सामान को बचाने के लिए उपाय करना होगा नहीं तो नुकसान का खतरा बढ़ जाएगा. गोपाल कुमार, इलेक्ट्रोनिक्स दुकानदार फोटो. 23 पूर्णिया 2- गोपाल कुमार 3. यहां ऑफिस चलाना आसान काम नहीं है. एक तो पीने के पानी की समस्या है, खुद व्यवस्था करनी पड़ती है. दूसरी ओर ना तो टॉयलेट है ना ही वाश रूम, पूरे दिन यहां समय देना काफी मुश्किल भरा है. टैक्सेशन फाईल करवाने के लिए हर तरह के लोग आते हैं सभी को परेशानी है. अनंत सिन्हा, टैक्स कंसल्टेंट फोटो.23 पूर्णिया 3-अनंत सिन्हा 4. मेरी दूकान और ऊपर आने की सीढ़ी का फासला बहुत ही कम है जो भी आता है बदबू के बीच बैठना नहीं चाहता. मार्केट में जगह ही नहीं है शौचालय के लिए, आसपास भी कहीं व्यवस्था नहीं है. बरसात में तमाम गंदगियां बहकर नीचे आने लगती हैं. रिपेयर नहीं किये जाने की वजह से अनेक स्थानों पर टूटने झड़ने की समस्या आ गयी है. नवीन कुमार, थोक पार्ट्स विक्रेता फोटो.23 पूर्णिया 4- नवीन कुमार फोटो. 23 पूर्णिया 5,6- शहर का आंबेडकर बाजार 7- बाजार के अंदर की दुकान 8- भवन पर उग आये पौधे

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