अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर गये सिविल कोर्ट के कर्मी, कामकाज प्रभावित
कामकाज प्रभावित
-चार सूत्री मांगों को ले न्यायालय परिसर में धरना पर बैठे हड़ताली कर्मचारी पूर्णिया. चार सूत्री मांगों को लेकर बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर पूर्णिया व्यवहार न्यायालय के तीन सौ से अधिक कर्मचारी अनिश्चितकालीन कलमबद्ध हड़ताल पर चले गये हैं. कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से न्यायालय के अधिकांश कामकाज ठप पड गये हैं. जमानत आवेदन की सुनवाई, बंदियों की रिहाई, गवाही और आवश्यक सुनवाई पूरी तरह प्रभावित है. हडताल की अगुवाई कर रहे संघ के जिलाध्यक्ष महेश पासवान एवं सचिव अभिषेक भारती ने संयुक्त रूप से बताया कि राज्य कर्मचारी संघ के फैसले और आह्वान पर कर्मी एक सहमत हैं. हर स्तर की वार्ता के विफल होने पर संघ द्वारा हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया है. सरकार के समक्ष चार सूत्री मांग रखी गयी है. इस पर अब सरकार को विचार करना है. उन्होंने बताया कि जब तक उनकी मांगे पूरू नहीं जाती तब तक हड़ताल जारी रहेगा. अपनी मांगों के समर्थन में सभी कर्मचारी व्यवहार न्यायालय परिसर में धरने पर बैठ गये हैं. करीब 35 साल बाद तृतीय और चतुर्थ ग्रेड के कर्मचारी हड़ताल पर गये हैं. वेतन विसंगति को दूर करने की मांग उनकी मांगों में कर्मचारियों के वेतन विसंगति को जल्द से जल्द दूर करने, सभी संवर्ग के कर्मचारियों को शीघ्र प्रोन्नति देने, शत प्रतिशत अनुकंपा पर बहाली करने एवं विशेष कैडर लागू करना शामिल है. इस संबंध में कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष एवं सचिव द्वारा गुरुवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को मांगों के समर्थन में 16 जनवरी से हड़ताल पर जाने को लेकर एक आवेदन सौपा है. सौंपे गये आवेदन में कहा गया है कि बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय संघ के निर्णय के आलोक में 16 जनवरी से अनिश्चितकालीन कलमबद्ध हड़ताल आरंभ करेंगे. संघ के जिला शाखा द्वारा सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि इस हड़ताल में राज्य संघ के अगले आदेश तक पूर्णिया न्यायालय अंतर्गत बायसी, बनमनखी एवं धमदाहा अनुमंडल के सभी कर्मचारी शामिल हैं. जिला जज को सौंपा आवेदन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को सौंपे गये आवेदन में कहा गया है कि हड़ताल के अवधि में सभी कर्मचारी व्यवहार न्यायालय परिसर में नये रिकार्ड रूम के समीप अनुशासन का पालन करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से सरकार के प्रति अपना विरोध दर्ज करेंगे. इस अवधि के दौरान यदि संबंधित न्यायालय अथवा कर्मचारी के अलावा किसी अन्य कर्मचारी का सहयोग लिया जाता है, तो इस दौरान हुई किसी प्रकार की क्षति पीठासीन पदाधिकारी स्वयं ही जिम्मेदार होंगे. इसके लिए उस न्यायालय या कार्यालय में अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल के पूर्व में कार्य कर रहे कर्मचारी पर इसकी जिम्मेदारी नहीं डाली जा सकती है. इसमें अभिलेख या अन्य किसी भी महत्वपूर्ण कागजात का गायब हो जाना, फट जाना, भूला जाना आदि शामिल है. फोटो. 16 पूर्णिया 4- मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे संघ के कर्मचारी ……………………
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है