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थैलेसीमिया मरीजों को रक्त आपूर्ति को लेकर असमंजस बरकरार

परेशानियों से जूझ रहे जिले के थैलेसीमिया पीड़ित 40 मरीज

परेशानियों से जूझ रहे जिले के थैलेसीमिया पीड़ित 40 मरीज

संपूर्ण रक्त की जगह पीआरबीसी चढाने की बनी है जरूरत

रेडक्रॉस द्वारा रक्त की आपूर्ति लेने वाले मरीजों के समक्ष परेशानी

पूर्णिया के रेडक्रॉस में अब तक अनुपलब्ध हैं ब्लड सेपरेटर संयंत्र

पूर्णिया. जिले के लगभग 40 थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों को रक्त की आपूर्ति को लेकर बनी असमंजस का अबतक कोई स्थायी निदान नहीं मिल पाया है. इस कारण से उन सभी को विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. परेशानी इस बात की है कि मेडिकल विशेषज्ञों के अनुसार थैलेसीमिया के मरीजों को सम्पूर्ण रक्त की जगह पीआरबीसी चढाने की जरुरत है जबकि सम्पूर्ण रक्त चढाने की स्थिति में मरीज को कुछ अलग तरह की शारीरिक व स्वास्थ्य से जुडी अन्य परेशानियां होने लगती है. इसी मसले को लेकर जिले के 40 थैलेसीमिया मरीजों के समक्ष परेशानी बनी हुई है.

जिले में 150 से ऊपर हैं थैलेसीमिया मरीज

प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्णिया जिले में लगभग 160 के करीब थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों की संख्या है जिन्हें शहर के विभिन्न रक्त अधिकोष केन्द्रों से रक्त की आपूर्ति लगातार की जाती रही है. जिनमें दो निजी नर्सिंग होम के अलावा रेडक्रॉस तथा जीएमसीएच स्थित रक्त अधिकोष के नाम शामिल हैं. अन्य केन्द्रों से सभी नामांकित थैलेसीमिया मरीजों को पीआरबीसी रक्त की आपूर्ति हो जाती है लेकिन जिन बच्चों को रेडक्रॉस द्वारा रक्त प्रदान किया जाता है उनके समक्ष परेशानी इसी बात को लेकर है कि रेडक्रॉस में ब्लड सेपरेटर संयंत्र अनुपलब्ध हैं जिसके कारण सम्पूर्ण ब्लड उपलब्ध कराना उसकी मजबूरी बनी हुई है. हालांकि इस दिशा में कुछ निर्णय लिए गये हैं लेकिन फिलहाल रेडक्रॉस में यह सुविधा अनुपलब्ध होने से नामांकित मरीजों के समक्ष परेशानी बनी हुई है.

मेडिकल कॉलेज के बल्ड बैंक से चाहते हैं पीआरबीसी

सभी पीड़ितों ने पीआरबीसी के लिए रेडक्रॉस की जगह मेडिकल कॉलेज स्थित ब्लड बैंक में नाम जुडवाने के लिए सिविल सर्जन सहित जीएमसीएच प्रशासन से भी अनुरोध किया है किन्तु नतीजा अबतक वही का वही पड़ा हुआ है. इस मामले को लेकर पीड़ितों ने लोक शिकायत निवारण कार्यालय में भी अपना आवेदन समर्पित दिया था. मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल रेडक्रॉस में नामांकित मरीजों का नाम सिविल सर्जन द्वारा स्थानान्तरण के लिए स्वीकृति किया जा चुका है जबकि जीएमसीएच प्रशासन द्वारा इसे राज्य स्वास्थ्य समिति के हवाले से निर्धारित करने को लेकर सभी पीड़ितों के आवेदन को पटना के लिए अग्रसारित कर दिया गया है. लेकिन चल रही इन सभी प्रक्रियाओं के बीच रेडक्रॉस के नामांकित थैलेसीमिया के मरीजों के समक्ष पीआरबीसी उपलब्धता की परेशानी अबतक बरकरार है. हालांकि इस दौरान जीएमसीएच स्थित रक्त अधिकोष केंद्र से इन मरीजों को रक्त की आपूर्ति तो की जा रही है लेकिन ब्लड बैंक में आपूर्ति के लिए उनका नाम नहीं होने की वजह से उनके लिए भी संसाधनों की कमी आड़े आ रही है.

क्या है पीआरबीसी

सम्पूर्ण रक्त से ब्लड सेपरेटर की मदद से तीन अलग अलग पदार्थ निकाले जाते हैं. इनमें पैक्ड रेड ब्लड सेल्स (पीआरबीसी), दूसरा प्लेटलेट्स और तीसरा प्लाज्मा हैं. इस प्रक्रिया के जरिये एक ही व्यक्ति द्वारा किये गये रक्तदान से प्राप्त रक्त से तीन अलग अलग मरीजों का इलाज संभव हो पाता है.

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बोले परिजन

संपूर्ण रक्त चढाने से पीड़ित बच्चे में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बढ़ जाती है. मुख्य रूप से स्पीन बढ़ने की शिकायत के अलावा रक्त आपूर्ति की भी जरुरत जल्दी जल्दी पड़ने लगती है. जबकि पीआरबीसी के रूप में रक्त चढाने पर मरीज को कोई दिक्कत नहीं होती और रक्त की जरुरत भी लगभग 20 से 25 दिनों के बाद ही पड़ती है.

पवन झा, मरीज के परिजन.

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कहते हैं अधिकारी

जीएमसीएच स्थित रक्त अधिकोष में आवंटित थैलेसीमिया मरीजों की संख्या के अलावा अन्य के लिए भी पीआरबीसी उपलब्ध कराने में परेशानी के बावजूद आपूर्ति की जा रही है. नामांतरण के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति से अनुमति मिल जाने के बाद किसी तरह की परेशानी नहीं रहेगी. इसके लिए उन सभी मरीजों के आवेदन को अग्रसारित कर दिया गया है. डॉ संजय कुमार, अधीक्षक जीएमसीएच फोटो. 17 पूर्णिया 4- फ़ाइल फोटो पीड़ित थैलेसीमिया मरीज व उनके परिजन.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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