कोसी से ब्रह्मपुत्र तक भाषाओं का सतत प्रवाह, समृद्ध शब्दावली : प्रो दीपक
कुलपति ने किया संबोधित
– पूर्णिया कॉलेज में नेशनल सेमिनार को रायगंज विवि के कुलपति ने किया संबोधित पूर्णिया. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में तकनीकी शब्दावली : इतिहास एवं संस्कृति विषय पर पूर्णिया कॉलेज में नेशनल सेमिनार के दूसरे दिन शुक्रवार को रायगंज विवि के कुलपति प्रो. दीपक कुमार रॉय ने कहा कि कोसी से ब्रह्मपुत्र तक भाषाओं का सतत प्रवाह है. ये भाषाएं संप्रेषण की सीमा से आगे बढ़ते हुए जीने की शैली हैं. इनके एक-एक शब्द में गूढ़ ज्ञान है. आध्यात्मिक विश्वास के बूते शब्दावली समृद्ध हो रही हैं और भाषाओं को नये आयाम दे रही हैं. इससे पहले प्रधानाचार्य प्रो शंभुलाल वर्मा की अध्यक्षता में दूसरे दिन के सत्र की विधिवत शुरुआत की गयी. मंच संचालन डॉ. अंकिता विश्वकर्मा ने किया. इस मौके पर आयोग के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. शहजाद अंसारी, सेमिनार के समन्वयक प्रो. मनमोहन कृष्ण, सह समन्वयक प्रो. सुनील कुमार ने सेमिनार के संचालन में अहम भूमिका निभायी. इस मौके पर डॉ सविता ओझा, प्रो. राकेश, प्रो. रामदयाल पासवान, डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, प्रो. इश्तियाक अहमद, डॉ. राकेश रोशन सिंह, प्रो. ज्ञानदीप गौतम आदि मौजूद थे एक-एक शब्द-संख्या के पीछे इतिहास व संस्कृति : प्रो. गजेन्द्र हैदराबाद विवि के हिन्दी विभाग के प्रो. गजेन्द्र पाठक ने कहा कि एक-एक शब्द के पीछे इतिहास व संस्कृति विद्यमान है. रेणु की धरती पर आकर यह जाना कि पूर्णिया क्षेत्र में 12 मातृभाषाएं प्रचलित हैं तो बरबस बाबा नागार्जुन याद आ गये जो इस बात के हिमायती थे कि कई भाषाओं में एक साहित्य का लेखन होना चाहिए. भविष्य के थपेड़ों में कोई भाषा तो कायम रहेगी तो वह साहित्य भी कायम रह जायेगा. उन्होंने कहा कि भक्तिकाल के कवि संस्कृत भाषा में निष्णात थे पर उन्होंने लोक भाषा का अवलंबन किया. बहु भाषाएं हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं. आज अगर विक्रमशिला, नालंदा और तक्षशिला विवि कायम रहते तो उस भारतवर्ष का स्वरूप ही अदभुत होता.
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