गुलाबबाग व्यापार मंडल में फंसे खाताधारियों के करोड़ों रुपये
गुलाबबाग व्यापार मंडल में फंसे खाताधारियों के करोड़ों रुपये
पूर्णिया सिटी के विनय रस्तोगी ने अपनी गाढ़ी कमाई के एक-एक रुपये व्यापार मंडल के खाते में इस ख्याल से जमा किये थे कि बिटिया की शादी में काम आयेंगे. 20 साल बाद जब बेटी की शादी की तिथि तय हुई तो व्यापार मंडल पैसे देने में आनाकानी कर रहा है. यह कहानी सिर्फ विनय रस्तोगी की नहीं है बल्कि एेसे एक हजार से अधिक खातेदार हैं जिनके करोड़ों रुपये व्यापार मंडल में फंस गये हैं. इन खाताधारियों को समझ में नहीं आ रहा कि आखिर वे करें तो क्या करें. जमाकर्ता डाॅ ए झा बताते हैं कि तकरीबन एक हजार से अधिक खाताधारी हैं जिनके कम से कम दो लाख से पांच लाख रुपये फंसे हुए हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 18 सालों से उन्होंने पैसा इस उम्मीद से जमा किया कि अवधि पूर्ण होने पर ब्याज समेत एकमुश्त राशि उठायी जायेगी लेकिन अब तो मूलधन पर भी आफत है. उन्होंने बताया कि उनके हिसाब से उनका 4 लाख 69 हजार रुपये खाता में जमा है. डाॅ झा ने एेसे कई खातेधारियों के नाम गिनाये जिनके लाखों रुपये फंसे हुए हैं.
दरअसल, सरकार ने किसानों, व्यापारियों, दुकानदारों और गृहणियों को प्रोत्साहित करने के लिए दैनिक जमा योजना शुरू की थी. इसके तहत संयुक्त व्यापार मंडल सहयोग समिति लिमिटेड गुलाबबाग ने 2001 में यह योजना शुरू की. व्यापार मंडल प्रबंधन ने उस समय खाताधारियों से कहा था कि पैसे जमा करने के लिए कार्यालय आने की जरूरत नहीं है. यह कार्य अधिकृत एजेंट द्वारा किया जायेगा. खाताधारियों का कहना है कि इन अधिकृत एजेंटों द्वारा वे लोग पिछले 2001 से पैसे जमा करते आ रहे हैं. इस बीच शर्तों के अनुसार पैसे की जमा और निकासी होती रही. 2019 में जब व्यापार मंडल का प्रबंधन बदला तो उन लोगों ने एकाएक दैनिक जमा योजना को बंद कर दिया. जब जमाकर्ताओं द्वारा आपत्ति की गयी तो प्रबंधन ने पुन: यह योजना शुरू कर दी लेकिन कुछ ही दिन बाद फिर से बंद कर दिया गया. जमाकर्ताओं का कहना है कि जब इस मामले की तहकीकात के लिए प्रबंधन से बात की तो उनलोगों ने साफ कह दिया कि जमाकर्ताओं की राशि लोन में बांट दिया गया है. लोन की राशि जब वापस आयेगी तब उन लोगों का पैसा लौटाया जायेगा. प्रबंधन के इस तर्क से जमाकर्ता संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है कि यह व्यापार मंडल का आंतरिक मामला है. उन्हें केवल अपने पैसे से मतलब है. जब इसको लेकर कहीं इंसाफ नहीं मिला तब इन जमाकर्ताओं ने डीएम से फरियाद की है.दो दर्जन से अधिक जमाकर्ताओं के संयुक्त हस्ताक्षर से एक आवेदन डीएम को दिया गया है.