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शक्ति नगर सिपाही टोला दुर्गास्थान से जुड़ी है भक्तों की आस्था

आकर्षण का मुख्य केंद्र है यहां की महाआरती

By Prabhat Khabar News Desk | September 12, 2024 5:46 PM

भक्तों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है यहां की महाआरती10 दिनों तक आस्था का केन्द्र बना रहता है शक्तिनगर

पूर्णिया. शक्ति नगर सिपाही टोला स्थित दुर्गास्थान पर प्रतिवर्ष दशहरे का आयोजन बेहद भक्तिभाव के वातावरण में संपन्न होता है. सम्पूर्ण वैदिक पद्धति से पुरोहित आचार्य चंद्रनाथ मिश्र उर्फ़ लड्डू बाबू द्वारा दस दिनों तक पूजा अर्चना की जाती है. इस मौके पर शहर के एक छोर में बसे शक्तिनगर सिपाही टोला सहित चार वार्डों के सैकड़ों लोगों के अलावा आसपास के इलाकों चूनापूर, गोवासी, आदमपुर, सोसा आदि ग्रामीण इलाकों से भी भक्तों का तांता लगा रहता है. इस वजह से भी यहां लगने वाले मेले में शहरी और ग्रामीण दोनों ही संस्कृति की झलक मिलती है.

पूजन स्थल का इतिहास

शक्ति नगर सिपाही टोला का यह वर्तमान पूजा स्थल वर्ष 2021 से स्थायी रूप से माता के नाम पर स्थापित किया गया है. इसके पूर्व माता का भव्य मंदिर ओली टोला नहर चौक के उत्तर पश्चिम दिशा में अवस्थित था जहां वर्ष 2002 से लगातार पूजा का आयोजन किया जा रहा था. किन्तु शहर के विकास कार्यों को लेकर मधुबनी और मरंगा के मध्य बायपास सड़क निर्माण में उक्त स्थल के अधिग्रहण कर लिए जाने के पश्चात मंदिर को नये स्थान पर स्थापित किया गया. पूर्व में 3 कट्ठे जमीन के बदले अब मंदिर परिसर को कुल 14 कट्ठे का भूभाग प्राप्त हो चुका है. इस मंदिर से एक तरफ पूरा शहर और दूसरी ओर गांवों की आस्था जुड़ी हुई है.

खास हैं बंगाल के मूर्तिकार

पूजा समिति के अध्यक्ष अनिल झा बताते हैं कि पूर्व के समय से ही पश्चिम बंगाल के रायगंज निवासी दो भाई यहां हर वर्ष प्रतिमा का निर्माण करने आते हैं. मूर्तिकार साधू जी और उनके भाई बड़ी मेहनत और लगन से समय पर प्रतिमा तैयार कर देते हैं. इसके साथ ही प्रतिमा की साज-सज्या पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है सारी चीजें बंगाल से ही मंगवायी जाती हैं. ज्यादातर सामान की खरीद कोलकाता से की जाती है.

बिजली की आकर्षक साज- सज्जा

शहर से थोड़ा अलग रहने की वजह से पूरे मंदिर परिसर के अलावा काफी दूर तक सडक के दोनों किनारों पर भरपूर रोशनी की व्यवस्था की जाती है जिसे काफी दूर से ही देखा जा सकता है. वहीँ रंग बिरंगे झालरों, आकर्षक और भव्य पंडाल एवं चारो और रोशनी की व्यवस्था से सम्पूर्ण इलाका इस भव्य उत्सव को लेकर रोशन हो उठता है. मंदिर परिसर से सटे ही खाली जमीन पर मेला और झूला का भी प्रबंध रहने से बच्चों और महिलाओं में उमंग का माहौल रहता है. सभी स्थानों पर कमेटी के लोग तैनात रहकर तमाम गतिविधियों पर नजर रखते हैं. ——————-

कहते हैं अध्यक्ष

विगत 22 वर्षों से सम्पूर्ण वैदिक पद्धति से दुर्गापूजा का आयोजन किया जा रहा है. दूर दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. अब तो मरंगा और मधुबनी के बीच बेहतरीन सडक बन जाने से और भी ज्यादा लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. इस दफा 3 अक्टूबर से पूजा आरम्भ होगी और 12 अक्टूबर को प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा.

अनिल झा, अध्यक्ष पूजा समिति.

फोटो. 12 पूर्णिया 1

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कहते हैं सचिव

यहां का मुख्य आकर्षण है संध्याकालीन आरती. लगभग दो घंटे की महाआरती में दसो दिन शाम 5.30 बजे से शाम 7.30 बजे तक बड़ी संख्या में भक्तजन पहुंचते हैं. इसके बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है. अष्टमी को खीर का भोग तथा नवमी को खिचड़ी प्रसाद का अनवरत वितरण चलता है. इस बार महानवमी को विशेष जागरण का आयोजन किया गया है.

अवधेश सिंह, सचिव पूजा समिति

फोटो. 12 पूर्णिया 2फोटो. 12 पूर्णिया 3- शक्तिनगर सिपाही टोला स्थित दुर्गा मंदिर

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