रूपौली उपचुनाव-7 पूणिया. रूपौली विधानसभा के उपचुनाव के नतीजे परखने के कई आइने हैं. सियासतदार अपने-अपने आइने से इस नतीजे को परख भी रहे हैं. मगर एक बात सभी मानते हैं कि जदयू व बीमा के अलग होने से दोनों का नुकसान हुआ है. इस अलगाव के कारण 19 साल पुराने अपने गढ़ रूपौली को जदयू ने एक निर्दलीय के हाथ खो दिया. ढाइ महीने पहले लोकसभा चुनाव में यहां से जदयू को बड़ी लीड मिली थी. मगर वह लीड ढाइ महीने में ही पीछे छूट गयी. जबकि इस गढ़ पर अपना कब्जा कायम रखने के लिए जदयू और उसके सहयोगी दलों ने पूरा दमखम लगा दिया था. प्रदेशभर के नेताओं का जमावड़ा लगा. मगर जो नतीजे आये उससे जदयू को निराशा ही हाथ लगी. इधर, जदयू से अलग होकर बीमा को लगातार दूसरी बार मुंह की खानी पड़ी है. लोकसभा चुनाव में बीमा की करारी हार हुई थी. वहीं अब विधानसभा उपचुनाव भी वह हार गयी जहां वह वर्ष 2000 से विधायक निर्वाचित हो रही थीं. खैर, अब भविष्य बतायेगा कि आगे जदयू और बीमा की राजनीति क्या करवट लेगी.
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