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छठ की परंपरा व पवित्रता से जुड़ा है मिटटी का चूल्हा

लोक आस्था के महापर्व छठ

पूर्णिया. लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा में मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है. इस परंपरा का निर्वहन आज भी छठव्रती करती हैं. इस मौके पर नये चूल्हे के लिए पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. हालांकि शहरों में इनकी उपलब्धता के लिए बने बनाये मिट्टी के चूल्हों की बिक्री भी अच्छी होती है. लेकिन जहां मिट्टी के चूल्हे उपलब्ध नहीं होते हैं वहां नये गैस चूल्हा पर भी छठव्रती पूजा सामग्री बनातीं हैं. मिट्टी के चूल्हे का खरना के प्रसाद में बहुत महत्व है. छठ पूजा के गीत की धुनों के साथ ही खरना का प्रसाद तैयार करने का दृश्य बेहद अद्भुत होता है. मिट्टी के चूल्हे में बन रहा प्रसाद शहर में रहकर पर्व करने वालों को उसके गांव और उसकी मिट्टी की भी याद भी दिलाता है. हालांकि शहरी क्षेत्र और महानगरों में अधिकांश लोग गैस चूल्हे पर ही छठ पूजा का प्रसाद बनाती है लेकिन मिट्टी के चूल्हे का महत्व ही कुछ अलग है. मणि वर्मा, मंजू देवी, सुमन देवी, दीपशिखा वर्मा, मालती देवी, शोभा वर्मा आदि छठ व्रतियों का कहना है कि इन सब के पीछे जो सबसे मुख्य कारण है वो है पवित्रता. छठ महापर्व एक तपस्या है जिसमें पवित्रता का बेहद ख्याल रखा जाता है. छठ में ऐसे चूल्हे का प्रयोग करना चाहिए जिस पर पहले कभी नमक वाली चीज नहीं बनी हो. छठ पूजा में मिट्टी के चूल्हे का खासा महत्व होता है. मिट्टी को शुद्ध माने जाने के कारण प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है. शहरी क्षेत्र में ऐसे भी छठ व्रती है जो खरना को लेकर खुद अपनी हाथों से मिट्टी का चूल्हा बना रही है. कई छठव्रती अपने घर के छत पर मिट्टी का चूल्हा छठ गीत गुनगुनाते हुए बनाने में लगी हुई है. फोटो. 5 पूर्णिया 3 – खरना के लिए मिट्टी का चूल्हा तैयार करती महिलाव्रती.

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