लगातार गहरा रहा है बिजली का संकट, कंपनी बहुत गंभीर नहीं
रात भर कहीं ब्लैकआउट तो कहीं आती जाती रही बिजली
शहर के मुहल्लों में कहीं रात भरकहीं ब्लैकआउट तो कहीं आती जाती रही बिजली
कंपनी के आश्वासन के तीन बाद भी बिजली के सप्लाई सिस्टम में नहीं हो सका सुधार
पूर्णिया. आम उपभोक्ताओं के अल्टीमेटम और बिजली कंपनी के आश्वासन के बावजूद बिजली का सप्लाई सिस्टम जस का तस बना है. नतीजतन शहर समेत पूरे जिले में बिजली का संकट लगातार गहराता जा रहा है. आलम यह है कि बिजली कहीं पूरी रात ब्लैआउट रहती है तो कहीं दिन भर ट्रिपिंग का खेल चलता रहता है. लगातार कहीं भी दो घंटे तक बिजली नहीं रहती. आम उपभोक्ताओं की शिकायत है कि पर्याप्त बिजली मुहैया कराने में बिजली कंपनी नकारा साबित हो रही है. गौरतलब है कि चार दिन पूर्व बिजली के सवाल पर शहर के जनता चौक पर चक्का जाम कर नागरिकों ने बिजली कंपनी के खिलाफ गुस्से का इजहार किया था. बिजली कंपनी के अधिकारियों ने उस समय व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए तीन दिनों की मोहलत ली थी. मगर, अब चौथा दिन भी बीतने को है पर बिजली की स्थिति जस की तस है. यही वजह है कि अब लोगों का गुस्सा फिर सुलगने लगा है. दरअसल, शहर में बिजली की आंख मिचौनी खत्म नहीं हो रही है. कभी लोड शेडिंग तो कभी ब्रेक डाउन की समस्या बरकरार है. इससे कभी-कभी एक साथ कई मुहल्लों का बिजली गायब हो जाती है. यह समस्या पिछले तीन-चार महीने से लगी हुई है. लोगों का गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि कंट्रोल रुम का फोन रिसीव नहीं होता जिससे नागरिक पूछ भी नहीं पाते कि अमुक मुहल्ले में बिजली क्यों चली गई.हर घंटे दो से चार पांच बार ट्रिपिंग की शिकायत
बिजली के सप्लाई सिस्टम का हाल यह है कि अमूमन हर घंटे दो से चार पांच बार ट्रिपिंग हो ही जाती है जबकि भीषण गर्मी के कारण शहर में बिजली की मांग काफी बढ गई है. शहर के पूर्वी हिस्से में अवस्थित पूर्णिया सिटी , चिमनी बाजार और खुश्कीबाग के इलाकों से भी बिजली के दगा देने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं जबकि मुख्यालय के कई मुहल्ले बिजली संकट से परेशान हो रहे हैं. आलम यह है कि पूर्वी हिस्से में बिजली रहती है तो मुख्यालय में कट जाती है और जब मुख्यालय के मुहल्ले रोशन होते हैं तो पूर्वी इलाकों में अंधेरा पसर जाता है. हालांकि पूर्णिया में बिजली की कोई किल्लत नहीं है पर जानकारों का कहना है कि कंपनी के पास पर्याप्त ट्रांसफर्मर की कमी है जिसे पूरा नहीं किया जा सका है.गर्म हो रहा पूर्णिया का मिजाज
बिजली संकट को लेकर पूर्णिया वासियों का मिजाज भी गरमाने लगा है. लोगों का कहना है कि सड़क पर उतरे बगैर कोई सुनवाई नहीं होने वाली है. नागरिकों ने कहा है कि इस हल्ते यदि सप्लाई सिस्टम में सुधार नहीं हुआ तो आंदोलन की राह पकड़ेंगे. पूर्णिया के युवा उपभोक्ताओं ने आंदोलन की आग को न केवल हवा देना शुरू कर दिया है बल्कि इसके लिए गोलबंदी भी शुरू कर दी है. इसके लिए शहर के डाक्टर, व्यवसायी, अधिवक्ता समेत विभिन्न संगठनों को एक मंच पर लाने की मुहिम शुरू कर दी गई है.
——————————-कहते हैं उपभोक्ता
1. पूर्णिया के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में विद्युतापूर्ति की व्यवस्था चरमरा गई है. जगह जगह घंटों बिजली गुल हो जाती है. शहर के कई हिस्सों में तो पूरी रात बिजली गायब हो जाती है. अब आंदोलन की जरुरत है.विजय मांझी, अधिवक्ता2. पावर स्टेशनों पर आज भी समुचित व्यवस्था का अभाव बना हुआ है जिससे ट्रिपिंग की शिकायत हमेशा बनी रहती है. शहरी एवं ग्रामीण फीडरों की ढुलमुल व्यवस्था को दुरुस्त करने के मामले में कंपनी उदासीन है.प्रदीप कुमार घोष, दवा दुकानदार3. हाल के कुछ महीनों से बिजली की स्थति काफी लचर हो गई है.अधिकारियों से कई कई बार आग्रह किया गया पर इस दिशा में ठोस पहल नहीं की गई. अब हम सब विवश हैं, चरणबद्ध आंदोलन वक्त की जरुरत है.
रतन कुमार, व्यवसायी4. सप्लाई सिस्टम बहाल करने के मामले में बिजली कंपनी नाकाम साबित हो रही है. कंपनी के अधिकारियों पर अल्टीमेटम का असर भी नहीं पड़ रहा है. इसलिए तमाम उपभोक्ताओं को सड़क पर उतरने की जरुरत है.सुनील कुमार, व्यवसायी
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