ट्रेन से उतरते ही खुशी से छलक पड़ी आंखें, कहा-घर पहुंच गये तो मिल गयी जिंदगी
मन में कोरोना का खौफ और हताशा से भरा चेहरा. सूखे हुए होंठ और भर्रायी आवाज. गुजरात के सूरत से आती ट्रेन जैसे ही पूर्णिया जंक्शन पर रुकी उन छात्रों और मजदूरों की आंखें नम हो उठी. एक तरफ अपने प्रदेश में लौटने की खुशी तो दूसरी तरफ अपने गांव की माटी की महक का अहसास. ट्रेन से उतरते ही सभी छात्र भाव विह्वल हो गये और उनकी आंखें छलक पड़ी.
पूर्णिया : मन में कोरोना का खौफ और हताशा से भरा चेहरा. सूखे हुए होंठ और भर्रायी आवाज. गुजरात के सूरत से आती ट्रेन जैसे ही पूर्णिया जंक्शन पर रुकी उन छात्रों और मजदूरों की आंखें नम हो उठी. एक तरफ अपने प्रदेश में लौटने की खुशी तो दूसरी तरफ अपने गांव की माटी की महक का अहसास. ट्रेन से उतरते ही सभी छात्र भाव विह्वल हो गये और उनकी आंखें छलक पड़ी. छात्रों ने कहा- उपर वाले का शुक्र है कि अपनी जमीन पर वे सही सलामत वापस आ गये. युवकों ने कहा कि चालीस पैतालिस दिन तो जिंदा लाश की तरह काटा,अब जान में जान आयी है. गुरुवार की शाम करीब छह घंटा विलंब से गुजरात के सूरत से चल कर स्पेशल ट्रेन पूर्णिया जंक्शन करीब 8 बजे पहुंची. यह ट्रेन यहां सुबह 8.45 बजे आने वाली थी पर रास्ते में देर हो गयी. ट्रेन से उतरने के बाद कुरेदने पर कई युवकों और मजदूरों ने एक स्वर में कहा- घर आ गये, समझिए जिंदगी मिल गयी वरना वे तो नाउम्मीद हो चले थे. छात्रों ने कहा कि बीच का दौर उनके लिए नरक काटने जैसा था.
अंदर से वे सहमे हुए थे कि कोरोना कहीं उनकी जिंदगी न ले जाये.सरकार के प्रति सबने व्यक्त किया आभारपूर्णिया लौटे कई हुनरमंद युवकों और मजदूरों ने सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि सरकार के प्रयास से ही उन्हें नयी जिंदगी मिली है. वैसे कई लोगों ने थोड़ी नाराजगी जतायी और कहा कि घर बुलाने का यह फैसला शुरुआती दौर में ही लिया जाना चाहिए था. यह फैसला तुरंत लिया जाता तो जिल्लत झेलने की नौबत नहीं आती. अधिकांश ने कहा कि वहां खाने पर भी आफत था. हालांकि शुरू के दिनों में सुविधाएं दी गई पर बाद के दिनों में कटौती होने लगी. हालात ऐसे होने लगे कि घर वापसी की उम्मीदें टूटने लगीं थी. मगर सरकार के प्रयास के कारण आज अपने घर आ गये. रेलवे स्टेशन पर सबकी हुई स्क्रीनिंगगुजरात से चली ट्रेन के पूर्णिया आते ही सबसे पहले सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सभी को कतारबद्ध खड़ा किया गया.
यहां क्रमवार रूप से सबकी थर्मल स्क्रीनिंग की गयी. इसके लिए अलग-अलग आठ काउंटर बनाए गये थे जहां सुरक्षा गाउन पहने विभागीय कर्मचारी पहले से मौजूद थे. इससे पहले ट्रेन से उतरने वाले सभी लोगों का विधिवत रजिस्ट्रेशन किया गया ताकि जो जिस प्रखंड के हैं उन्हें वहां भेजा जा सके. इस दौरान सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गयी थी. खास तौर पर इसके लिए घेराबंदी की गयी थी कि रजिस्ट्रेशन कराये बगैर कोई बाहर न जा सके. इस लिहाज से पूर्णिया जंक्शन आज पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था.स्वागत और सजावट देख दिलों से रुखसत हुआ कोरोना का खौफपूर्णिया. सूरत से आये छात्रों और मजदूरों के दिलों में बैठा कोरोना के खौफ स्टेशन पर सजावट और स्वागत देख रूखसत हो गया.
करीब सत्रह सौ उन्नीस किलोमीटर के सफर के दौरान सबके मन में जीवन और सुरक्षा को लेकर तरह तरह के विचार आ रहे थे. मो. निजाम और शहनवाज कहते हैं कि ट्रेन पर चढ़ने से पहले वे लोग काफी डरे और सहमे हुए थे. ट्रेन पर सवार होने के बाद डर कम हुआ पर यह बात सोच कर परेशान रहे कि घर सही सलामत पहुंच पाएंगे या नहीं. कई छात्रों ने बताया कि विचारों के उहापोह में फंसे वे यहां पहुंच गये. स्टेशन पर उतरते ही जिस तरह उनका स्वागत हुआ और जब यह बताया गया कि यह सजावट उनके ही लिए है तो दिलों में बैठा पूरा डर भाग गया. दरअसल प्रशासन की पहल पर पूर्णिया जंक्शन को दुल्हन की तरह सजाया गया था. वहां मौजूद रेल अधिकारियों ने बताया कि बाहर से आने वाले छात्रों व अन्य लोगों का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से यह पहल की गयी थी.
सूरत से यहां पहुंचे यात्रियों की कुल संख्या 1225
इनमें गया के 114,
दरभंगा के 109,
समस्तीपुर के 93,
नालंदा के 92,
जमुई के 82,
रोहतास के 66,
पूर्वी चंपारण के 61,
पश्चिमी चंपारण के 54,
पटना के 53,
शेखपुरा के 49,
अरवल के 44,
सीतामढ़ी के 41,
छपरा के 40,
मधुबनी के 39,
भोजुपर के 35,
बक्सर के 29,
मुजफ्फरपुर के 29,
गोपालगंज के 26,
नवादा के 25,
लखीसराय के 19,
शिवहर के 18,
सीवान के 18,
जहानाबाद के 12,
औरंगाबाद के 10,
कटिहार के 10,
पूर्णिया के 10,
वैशाली के 9,
अररिया के 5,
बेगूसराय के 5,
कैमूर के 5,
मुंगेर के 4,
भागलपुर के 2,
विविध 17.
इन मजदूरों और छात्रों को लेने के लिए बांका, खगड़िया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा एवं सुपौल जिले को छोड़कर विभिन्न जिलों से कुल 46 बसें यहां आयी है. सभी को दिया गया फूट पैकेटसूरत से उतरे सभी लोगों के लिए पूर्णिया जिला प्रशासन ने फूड पैकेट दिये. फूड पैकेट में कचौड़ी, फल, बिस्किट, मिठाई के आलावा साबुन और कलम भी दिया गया. सफर में थके सभी लोगों ने फूड पैकेट लेकर काफी खुश नजर आये. यात्रियों में महिला और बच्चे भी शामिलसूरत से आयी ट्रेन में मजदूर और युवकों के साथ-साथ कई लोगों के परिवार भी शामिल थे. महिला और छोटे-छोटे बच्चे भी उतरे