Purnia news : लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है जो कभी खफा नहीं होती. जी हां, जिन बेटों ने अपनी मां को ठुकरा दिया और संतान की एक झलक पाने के लिए वृद्धाश्रम में रहनेवाली जिन माताओं की आंखें पथरा गयीं हैं, वे माताएं भी बुधवार को निर्जला रह कर अपनी संतान की दीर्घायु और सलामती के लिए व्रत कर रही हैं. वृद्धाश्रम में रहनेवाली माताओं ने मंगलवार को नहाय-खाय किया और बुधवार को व्रत रखेंगी. वृद्धाश्रम में वे अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं. उन्हें उनकी अपनी संतान ने ही दुत्कार दिया है, फिर भी वे चाहती हैं कि उनके बच्चों को जीवन में कोई कष्ट न हो और वे खुशहाल रहें.
आज भी बेटों का नाम-पता नहीं बतातीं
वृद्धाश्रम में रहनेवाली ये वह माताएं हैं, जिन्हें किसी ने ठुकरा दिया है, तो कोई अपने बेटे व बहू के खौफ से भागकर यहां शरण ले रखी हैं. माताएं कहती हैं, उनकी संतानों ने जो कुछ किया है यह उनका कर्म है, पर वे अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रही हैं. दुर्गा सप्तशती के श्लोक की चर्चा करते हुए वे कहती हैं कि संतान चाहे जैसी हो, पर माता कभी कुमाता नहीं हो सकती. बच्चों के लिए उनकी जुबान से सिर्फ आशीर्वाद ही निकलता है. बेटों की बदनामी के डर से वे उनका नाम और पता भी बताना नहीं चाहतीं. कहती हैं, एक तो उन्हें घर से आश्रम तक आने के लिए विवश किया और फिर नाम-पता बता कर उसकी जगहंसाई कराना उचित नहीं. ये माताएं बुधवार को व्रत रह कर गुरुवार को अहले सुबह ओठगन और फिर पारण करेंगी. सभी माताओं को वृद्धा आश्रम की ओर से व्रत की सारी सामग्री उपलब्ध करायी गयी है
वृद्धाश्रम में 50 फीसदी है महिलाओं की संख्या
पूर्णिया के वृद्धाश्रम में अभी करीब 90 वृद्ध महिला-पुरुष हैं. इनमें 50 फीसदी महिलाओं की संख्या है. वृद्धाश्रम में जिउतिया का व्रत रखनेवाली माताएं अपने बेटे और परिवार की बदनामी नहीं चाहती हैं. नाम व फोटो नहीं छापने की शर्त पर माताओं ने बताया कि वे नहीं चाहती हैं कि अखबार या टीवी में आ कर यह बोलें कि हम अपने ही बेटे-बहू से प्रताड़ित हैं. नम आंखों से इन माताओं ने बताया कि जिउतिया व्रत कर यहीं से वह अपने बेटों की दीर्घायु की कामना करेंगी. वे उन्हीं बेटों के लिए लगातार करीब 30 घंटे तक निर्जला व्रत रखेंगी, जो अपनी पत्नी की जिद पर पराये की तरह अपनी मां को इस आश्रम में अकेले रहने को छोड़ गये हैं.बीकोठी की एक महिला ने बताया कि वह चार-पांच महीने से यहां रह रही हैं. वृद्धाश्रम के कर्मी ने बताया कि उक्त महिला की बहू का व्यवहार ठीक नहीं है. एक अन्य महिला ने कहा कि यदि बेटा ठीक-ठाक रहेगा तो बहू की हिम्मत नहीं होगी कि वह अपनी सास के साथ लड़ाई करे. आंखों में आंसू और मूक भाव से वे बेटों के प्रति नाराजगी भी जताती हैं, पर प्रकट में कहती हैं- नाै महीने तक अपने खून से सींचा, तीन साल तक उसे अपना दूध पिलाया, वह तो मेरा अंश है. भला मैं उसका बुरा कैसे सोच सकती हूं. वह खुश रहे, मैं तो आश्रम में अपनी बची हुई जिंदगी काट लूंगी.
आज भी ये बेटों की खुशहाली ही चाहती हैं. : ममता
वृद्धाश्रम में रहनेवाली कई महिलाएं जिउतिया का व्रत कर रही हैं. भले ही इनके परिवार वालों ने इन्हें ठुकरा दिया है, लेकिन आज भी इनका पुत्र मोह कम नहीं हुआ है. आज भी ये उनका खुशहाल जीवन की ही कामना करती हैं. व्रत कर रही महिलाओं के लिए व्रत की पूरी सामग्री वृद्धाश्रम की ओर से उपलब्ध करायी गयी है. मंगलवार को नहाय-खाय की सामग्री दी गयी. इसके बाद बुधवार की अहले सुबह ओठगन के लिए दही-चूड़ा की व्यवस्था की गयी है. गुरुवार को पारण के दिन इन महिलाओं के लिए विशेष भोजन की व्यवस्था की जाएगी.