केनगर के पूर्व सीओ व राजस्व कर्मचारी पर प्राथमिकी दर्ज

गलत म्यूटेशन का आरोप, सीजेएम ने प्राथमिकी दर्ज करने का दिया आदेश

By Prabhat Khabar News Desk | May 23, 2024 6:43 PM

गलत म्यूटेशन का आरोप, सीजेएम ने प्राथमिकी दर्ज करने का दिया आदेश

पूर्णिया. गलत तरीके से जमीन का नामांतरण दूसरे के नाम करना के.नगर के तात्कालीन अंचलाधिकारी शिल्पी कुमारी और वर्तमान राजस्व कर्मचारी पंकज कुमार भारती को काफी महंगा पड़ा. मामले में सीओ व राजस्व कर्मचारी के खिलाफ केनगर थाने में नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है. केनगर थानाध्यक्ष नवदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि आवेदिका श्वेता सुमन ने सीजेएम के यहां अभियोग पत्र दाखिल किया था. इसी अभियोग पत्र पर संज्ञान लेते हुए सीजेएम ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. इसी आदेश के आलोक में केनगर के तात्कालीन सीओ शिल्पी कुमारी और राजस्व कर्मचारी पंकज कुमार भारती के खिलाफ भादवि की धारा 166 (क), 167, 468, 469, 474, 120 (बी) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान शुरू कर दिया है.

आपत्ति के बाद भी जमीन का कर दिया नामांतरण :

दरअसल, के.नगर अंचल में नामांतरण वाद संख्या 2773/23-24 दाखिल किया गया था. इस वाद के खिलाफ स्थानीय श्वेता सुमन ने अंचलाधिकारी को निबंधित डाक से एक लिखित आपत्ति दर्ज करायी थी. दर्ज आपत्ति में कहा गया था कि जिस जमीन पर नामान्तरण वाद संख्या 2773/23-24 दाखिल किया गया है, उस जमीन पर वर्तमान में दीवानी वाद संख्या 225/23 न्यायालय में लंबित है. आवेदिका का आरोप है कि उनके द्वारा लिखित आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी विपक्ष पार्टी के नाम उक्त जमीन का नामांतरण कर दिया गया. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पूर्णिया के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने अपने न्यायालय में दाखिल अभियोग वाद सं.950/24 पर अनुसंधान की आवश्यकता दिखाते हुए केनगर थानाध्यक्ष को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट के इस आदेश के आलोक में केनगर थाना कांड सं.174/24 (जी.आर.नं. 2431/24) दर्ज किया गया. वादी के अधिवक्ता श्याम सुन्दर पाण्डेय ने कानून का हवाला देते हुए कहा कि बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम 2011 के अध्याय-5 की धारा-12 में सख्त निर्देश है कि जिस जमीन पर दीवानी वाद चल रहा होता है उस दीवानी वाद के दौरान नामांतरण को स्वीकृत किया जाना घोर लापरवाही है. आरोपित से अपना पक्ष रखने के लिए मोबाइल से संपर्क किया गया किंतु दोनों में से कोई कॉल उठाने को तैयार नहीं हुए.

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