जीएमसीएच में भर्ती मरीज अपनी समस्या का समाधान खुद करने पर मजबूर
जीएमसीएच में
पूर्णिया. जिले के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल स्थित विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीज वहां की व्यवस्था के हाथों मजबूर हैं. आलम यह है कि हर मौसम में अलग अलग तरह की परेशानियों से उन्हें हर रोज रूबरू होना पड़ता है. जो मरीज दो चार दिनों में ठीक होकर अपने घर जाने वाले होते हैं वे किसी प्रकार अपना समय बिता लेते हैं लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी उन्हें झेलनी पड़ती है जिनका कई हफ़्तों या महीनों तक इलाज चलता है. मजबूरन उन्हें अपने स्तर से अपनी समस्या खुद दूर करनी पड़ती है. दरअसल जिस रफ़्तार और जितनी बड़ी संख्या में मरीज यहां इलाज कराने पहुंच रहे हैं उसके आगे पुरानी व्यवस्था कमतर पड़ती जा रही है. मरीजों को अस्पताल के बरामदों एवं ऑपरेशन थियेटर के आसपास की खाली जगह पर जगह दी जा रही है जिससे हर मौसम में उन स्थानों पर रहने वाले मरीजों को अलग अलग तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है. क्या है वर्तमान समस्या यूं देखा जाय तो प्रायः जीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में दुर्घटना वाले मरीजों की बड़ी संख्या में इंट्री होती है. इनमें शरीर के कट, फट, चोट और हड्डी फ्रैक्चर जैसे मामले होते हैं. ऐसे मरीजों का लम्बे समय तक अस्पताल में इलाज चलता है जिस वजह से अस्पताल में भर्ती रहना उनकी मजबूरी होती है. दूसरी ओर अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में जगह का अभाव होने से मरीजों के सामने बरामदा ही एक मात्र विकल्प बचता है इसलिए भी अस्पताल के बरामदे पर लम्बे समय तक रहना उनकी मजबूरी होती है. ऐसे मरीजों के सामने इन दिनों गर्मी और मच्छरों का आतंक सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है जिसका हरदिन सभी को सामना करना पड़ रहा है. हालांकि बरामदे पर दोनों ही ओर बड़े बड़े पंखे लगे हुए हैं लेकिन इससे पूरा बरामदा कवर नहीं हो पाता नतीजतन बरामदे पर भर्ती मरीज खुद अपने घरों से बिजली चालित टेबुल फैन अथवा स्टैंड फैन मंगवाकर बेड के आसपास गर्मी और मच्छर को भगाने का उपाय करने पर मजबूर हैं. अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजन तुनिया देवी, उपेन्द्र राम, कारी देवी, अरविन्द, विन्देश्वरी ऋषि आदि ने बताया कि गर्मी के अलावा रात में रोशनी का भी अभाव रहने से सभी को अलग ही परेशानी हो रही है. बोले मरीज पिछले डेढ़ महीने से यहां भर्ती हैं. पैर की हड्डी टूट गयी है. वार्ड में कहीं जगह नहीं मिला तो बरामदे पर इलाज करवा रहे हैं. सुविधा तो है लेकिन गर्मी और मच्छर का बहुत आतंक रहता है. घर से पंखा मंगवाना पड़ा है. उमेश यादव, बनियापट्टी फोटो -7 पूर्णिया 7 पिछले पांच दिनों से यहां इलाज के सिलसिले में रहना पड़ रहा है. यहां दो पंखा लगा तो है लेकिन हवा नहीं आती. बादल और बारिश में गर्मी का एहसास कम होता है लेकिन धूप होने से परेशानी बढ़ जाती है मो. रफीक, सिटी फोटो -7 पूर्णिया 8 महीना भर से यहां इलाज चल रहा है, दोबार ऑपरेशन हुआ है. क्या करें जगह की कमी से बरामदे पर हैं, धूप गर्मी और मच्छर से परेशानी है, घर से मच्छरदानी और पंखा मंगवाकर किसी तरह समय काट रहे हैं. विजय कुमार, अमचूड़ा फोटो – 7 पूर्णिया 9 एक्सीडेंट में दामाद को कुछ चोट आई है एक सप्ताह से भर्ती हैं. इलाज चल रहा है लेकिन परेशानी बनी हुई है. बरामदे पर पंखा का उपाय नहीं है रात में रोशनी भी कम रहती है. चोरी चकारी का भी भय बना रहता है. पूरन ऋषिदेव, सपनी फोटो -7 पूर्णिया 10 बोले उपाधीक्षक मेडिकल कॉलेज में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है. जो भी वार्ड हैं सभी पुराने सदर अस्पताल वाले ही हैं. नया वार्ड अभी तक हैण्डओवर नहीं हुआ है. बरसात को लेकर मैटर्निटी वार्ड को ही तत्काल नए भवन में शिफ्ट किया गया है. वार्ड के लिए स्थान मिलते ही समस्या स्वतः दूर हो जायेगी. डॉ भरत कुमार, उपाधीक्षक जीएमसीएच फोटो – 7 पूर्णिया 11- जीएमसीएच स्थित वार्ड के बरामदे पर भर्ती मरीज
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