नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू, खरना आज

खरना आज

By Prabhat Khabar News Desk | November 5, 2024 6:30 PM

नदी में स्नान कर छठव्रतियों ने श्रद्धा के साथ किया कद्दू भात का सेवन

शहर से गांव तक दोपहर बाद शुरू हुई खरना के पूजन अनुष्ठान की तैयारी

पूर्णिया. छठ व्रतियों ने मंगलवार के पूर्णिया सिटी स्थित सौरा नदी में श्रद्धा की डुबकी लगायी और छठ की पहली सात्विक प्रक्रिया पूरी की. सौरा नदी में स्नान के के बाद व्रतियों ने कद्दू भात का सेवन किया और इसी के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान विधिवत शुरू हो गया. मंगलवार को खरना का पूजन अनुष्ठान होगा. नहाय-खाय की पूजन प्रक्रिया के बाद से ही पूर्णिया की फिजां में भक्ति का रंग घुल गया है.

मंगलवार को बड़ी संख्या में छठव्रतियों ने पूर्णिया सिटी स्थित सौरा नदी में स्नान किया और फिर पारम्परिक शुद्ध मिट्टी से बने चूल्हे पर पकाये गये अरवा चावल के भात के साथ कद्दू की सब्जी ग्रहण कर चार दिवसीय अनुष्ठान का पहला चरण पूरा किया. कई छठ व्रतियों ने सुविधा के हिसाब से अपने-अपने घरों में भी स्नान कर महापर्व की शुरुआत की. इससे पहले छठव्रतियों ने अपने घरों की पूरी साफ- सफाई की ताकि हर तरफ पवित्रता नजर आए. इधर नहाय-खाय के बाद छठव्रतियों ने खरना के प्रसाद एवं छठ पूजन की व्यवस्था शुरू कर दी है. इसके लिए जहां पवित्रता के साथ सारे काम हो रहे हैं वहीं अन्य पूजन सामग्रियां भी जुटायी जा रही हैं. नहाय-खाय के साथ तमाम व्रती गेहूं सुखाने के अभियान में जुट गई हैं.

व्रतियों ने सर्वप्रथम खुद स्नानादि से निपटकर छत की शुद्धता बनायी व गेहूं को धोकर शुद्ध कपड़े पर रखकर उसे छत पर सुखाया. परिवार के सदस्य पूरी तन्मयता से बारी-बारी पशु-पक्षी से बचाये रखने के लिए टकटकी लगाये देखते रहे. बुधवार की सुबह इसे पीसवाकर तैयार किया जाएगा. कहते हैं, खरना में गुड़ के साथ बनी खीर का का काफी महत्व है जिसे मिट्टी के चूल्हे पर शुद्ध वर्तन में पकाने की परम्परा रही है. इसमें शुद्धता और नियमों का ख्याल पूरी निष्ठा के साथ रखा जाता है. खरना के साथ ही छठ व्रतियों का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा. यह शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देने के साथ समाप्त होगा.

———————-

खरना की विधि

दिन भर निर्जला व्रतसूर्यास्त के बाद भोग का प्रसाद गुड़ की खीर, गेंहू की रोटी, केला, धूप, दीप, अगरवत्ती व हवन——————

अर्घ्य के लिए जरूरी

तांबा, पीतल, कांसा, सोना, चांदी व मिट्टी के पात्र में पानी भरकर अर्घ्य दे सकते हैंप्लास्टिक के बने किसी प्रकार के पात्र में अर्घ्य देना उचित नहींतालाब की लंबाई-चौड़ाई का कोई विधान नहीं है सुविधा के अनुसार कितना भी छोटा या बड़ा गड्डा खोदकर उसमें अर्घ्य दे सकते हैं अर्घ्य यदि गाय के दूध से दिया जाए तो बेहतर माना जाता है——————————

यहां दे सकते हैं अर्घ्य

पक्की तालाब : फारबिसगंज मोड़कलाभवन : बैंक कालोनीचूनापुर घाट : रहमत नगरछठ पोखर: ततमा टोली सौरा घाट: पूर्णिया सिटी————————————–

डाक्टरों की सलाह

36 घंटे के उपवास में बरतें सावधानी

लंबे उपवास के दौरान बीपी और हार्ट के मरीजों को दवा नहीं छोड़नी चाहिए दवा छोड़ना खतरनाक हो सकता है उपवास के दौरान कोलेस्ट्राल की दवा नहीं खाएंगे तो काम चलेगादिल के गंभीर मरीज हैं और दवा नहीं लेंगे तो ‘कोरोनरी स्पाज्म’का खतरा रहेगाकोरोनरी स्पाज्म होने पर अटैक की संभावना बनी रहेगीबीपी के मरीजों को भी दवा नहीं छोड़नी चाहिएयदि दवा नहीं ली और बीपी अचानक सूट कर गया तो परेशानी बढ़ जाएगीमधुमेह के मरीज उपवास के दौरान दवा नहीं लें शरीर में जमा फैट एक-दो दिन का फास्ट मैनेज कर लेता हैजिनका ब्लड सुगर बहुत ज्यादा अनियंत्रित रहता है, वे उपवास नहीं करेंजो सुगर की कम डोज में दवा लेते हैं, वे उपवास रख सकते हैंअधिक डोज में दवाएं लेने वाले सावधान रहें उपवास के दौरान उन्हें दवा भी नहीं लेनी चाहिए दवा लेने से ब्लड सुगर कम हो जाएगा

(जीएमसीएच के डॉक्टरों से बातचीत पर आधारित)

————————–

छठ पूजा कैलेंडर

नहाय खाय- मंगलवार 05 नवंबर खरना- बुधवार 06 नवंबर

शाम का अर्घ्य- गुरुवार 07 नवंबर

सुबह का अर्घ्य- शुक्रवार 08 नवंबर

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version