40 डिग्री पार तापमान पर बेहाल और परेशान हैं जीएमसीएच के मरीज
वार्डों में पंखों तक की हालत खराब होने से हो रही परेशानी
पूर्णिया. इन दिनों आग बरसाते सूरज और तपती गरमी से जीएमसीएच में भर्ती मरीजों का हाल बेहाल बना हुआ है. हालात ऐसे हैं कि मरीज अपने दुःख दर्द के साथ अलग से इस गरमी में छटपटाते रहते हैं एसी और कूलर की बात तो दूर वार्डों में पंखों तक की हालत खराब हो चुकी है. अस्पताल के जितने भी वार्ड है सभी का हाल लगभग एक जैसा है. किसी वार्ड में दो तो किसी में तीन पंखे ही घुमते नजर आते हैं. हवा देना तो दूर उसे घुमते देखकर ही मरीजों को संतोष करना पड़ता है. ऐसे दर्जनों बेहद पुराने हो चुके पंखे खराब होकर छतों और दीवारों से लटके हुए हैं उनकी हालत मकड़ियों और उनके जालों ने ऐसा बना दी है मानों वर्षों से खराब ही पड़े हों. न कोई देखनहार और न ही कोई खेवनहार नतीजतन वार्डों में भर्ती मरीज के साथ साथ उनके परिजन या तो हाथ पंखे की मदद से या यूं ही पसीने में लथपथ होकर वहां इलाज कराने को मजबूर हैं. यहां तक कि छोटे बच्चे भी इस गरमी में इस तरह की सजा काटते नजर आते हैं. सबसे ज्यादा परेशानी उन मरीजों को है जो किसी कारणवश चलफिर नहीं सकते. अररिया के बादल कुमार झा ने बताया कि वे पिछले 20 दिनों से यहां भर्ती हैं. हाथ की हड्डी पर प्लास्टर चढा हुआ है इंतजार है ठीक होने का लेकिन उन्हें वार्ड में पंखे की अनुपलब्धता की वजह से बरामदे पर जगह लेनी पडी. कहते हैं अन्दर गरमी बेहद परेशान करती है इसी कारण बाहर जगह लेनी पडी. इसके बाद भी दिन को गर्म हवा के चलने पर परेशानी महसूस होती है लेकिन चलफिर कर लेने के कारण इधर उधर घूम कर समय व्यतीत कर रहे हैं. अपने हाथ की टूटी हड्डी का इलाज करा रहे मिर्जापुर के रणवीर कुमार साह ने बताया कि शाम के बाद बरामदे पर थोड़ी राहत तो जरूर मिलती है लेकिन मच्छरों का आतंक चैन से बैठने नहीं देता मजबूरन टहलते रहना पड़ता है. उन्होंने बताया कि विगत 25 दिनों से वे यहां इलाज करवा रहे हैं जब भी पंखा ठीक करने के लिए कहा जाता है तो कर्मी चुपचाप इधर से उधर चले जाते हैं. वहीं पंखे के साथ साथ दीवारों पर लगे स्विच और बोर्ड भी बेकाम हो चुके हैं जब अपने घर से पंखे लाने की बात कही जाती है तो स्विच बोर्ड ठीक करने के बहाने उसे उखाड़कर नदारद हो जाते हैं.
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