पूर्णिया. जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर नेपाल को छूने वाले एन एच 57 से सटे कसबा कुम्हारटोली स्थित गुप्त काली मंदिर परिसर में एक साथ अठारह और दस भुजा वाली देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है. दोनों की प्रतिमाएं अलग अलग प्रतिष्ठापित होती हैं. इसमें खास बात यह है कि दस भुजा वाली देवी की प्रतिमा मां काली के स्वरूप में है जो आमतौर पर नजर नहीं आता. अमूमन 18 भुजा वाली प्रतिमा भी विरले नजर आती है. समझा जाता है कि पूरे सीमांचल में यह अकेला पूजन स्थल है जहां 18 भुजा और मां के काली स्वरूप की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित की जाती हैं. इस बारे में मंदिर के प्रधान पुजारी शंकर पंडित उर्फ भगत जी बताते हैं कि दोनों प्रतिमाएं देवी माता के आदेश से लगायी जाती हैं जिनका साधना से सीधा संबंध होता है. भक्त यहां न केवल अपनी साधना सिद्ध कर सकते हैं बल्कि अपनी पूजा अर्चना से देवी मां को प्रसन्न भी कर सकते हैं. दरअसल इस मंदिर में तंत्र पद्धति से पूजा होती है. जानकारों की मानें तो इसके लिए शास्त्रों में देवी दुर्गा के काली स्वरूप की विशेष अहमियत है. इसी तरह 18 भुजा वाली प्रतिमा के पूजन का भी इस पद्धति में महत्व बताया गया है. इस मंदिर में मां गुप्त काली की प्रतिमा के अलावा देवी के सभी स्वरुपों की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित हैं. यही वह जगह है जहां गुफाओं में चल कर मां वैष्णो देवी के दर्शन भी होते हैं. यहां भगवान शिव,पार्वती और हनुमान जी की भी प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित हैं. भक्त संतोष, मनोज और विक्रम बताते हैं कि यहां नेपाल और बंगाल के भी भक्त बड़ी संख्या में जुटते हैं. फोटो- 24 पूर्णिया 8-मंदिर परिसर में मां काली की प्रतिमा
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