जलालगढ़. मुनि विकास कुमार 27 वर्षों बाद अपने पैतृक कर्मभूमि आये. जहां श्रद्धालुओं ने उनका भव्य स्वागत किया. मौके पर महातपस्वी आचार्य महाश्रमण जी के विद्वान सुशिष्य मुनि आनंद कुमार कानू ठाना टू भी मौजूद थे. जो अररिया स्थित तेरापंथ भवन में चातुर्मास कार्यक्रम के बाद असम यात्रा के दौरान जलालगढ़ में पड़ाव लिया. कल्याण भवन में मुनि का भव्य स्वागत किया गया. उनके साथ मुनि विकास भी पधारे. जो 27 वर्ष पूर्व जलालगढ़ में अपने चाचा के साथ व्यवसाय में सहयोग कर रहे थे. जलालगढ़ के कपड़ा व्यवसायी चांदमल जैन के यहां मुनि विकास काम करते हुए उनके विचारों में परिवर्तन आया. जो संयम का मार्ग अपनाते हुए 1997 में जलालगढ़ से अपनी जन्मभूमि गये और वहां से आचार्य श्री महाप्रज्ञेय जी के सानिध्य में 2005 में दिल्ली के मेहरौली में श्वेतांबर धर्म में दीक्षित हुए. दीक्षा ग्रहण कर पहली बार विकास मुनि जलालगढ़ आये. मौके पर स्थानीय व्यवसायी सह मुनि विकास के चाचा चांदमल जैन ने बताया कि मुनि विकास 14 वर्षों से एकांतर तपस्या कर रहे हैं. उनको जैन धर्म में वर्षीतप कहा जाता है. मुनि आनंद कानू ने जलालगढ़ प्रवास के दौरान श्रद्धालुओं को श्वेतांबर विचारधारा से जुड़ी बातों को बताया. उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति त्याग और तपस्या की है. संतो का स्वागत त्याग व तपस्या से होता . वहीं मुनि विकास ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति की. मौके पर चांदमल जैन, अमरचंद्र जैन, पूजा मनोज, प्रीति लुनिया, ममता बेताला ने भव्यपूर्ण स्वागत किया. इस दौरान तेरापंथ महिला मंडल अररिया की अध्यक्ष सरिता बेगवानी, सुरभि दुगड़, कांता बेगवानी, शांति चिंडालिया, कल्याना चिंडालिया, रेखा, आदि जलालगढ़ के कल्याण भवन पहुंचे. कार्यक्रम में जलालगढ़ सहित अररिया, गढबनैली के जैन श्वेतांबर श्रद्धालु मौजूद थे. फोटो. 19 पूर्णिया 22- जैन श्वेतांबर मुनि के साथ श्रद्धालु
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