पूर्णिया. बदलते मौसम ने जिले में लोगों की स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ा दी हैं. बरसात और गर्मी के प्रकोप से नन्हे बच्चों सहित बड़े उम्र के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं. वायरल रोगों के संक्रमण से भी मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. अमूमन लोग सर्दी, खांसी, बुखार एवं डायरिया के शिकार हो रहे हैं. सोमवार को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में मरीजों की जबर्दस्त भीड़ देखी गयी. सबसे ज्यादा भीड़ रही मरीजों के निबंधन काउंटर पर जहां लोगों को काफी देर तक अपनी बारी के आने का इन्तजार करना पडा. वहीं ज्यादा भीड़ की वजह से कई मरीज और परिजनों को कतारों में एक दुसरे से उलझते भी देखा गया. उधर सभी विभागों के सामने महिलाओं, बच्चों के साथ साथ पुरुषों की कतारें देर तक लगी रहीं. ओपीडी स्थित दवा काउंटर पर भी दवा लेनेवालों को अपनी बारी के आने का देर तक इन्तजार करना पडा. उधर इमरजेंसी एवं बच्चा वार्ड में भी मरीजों की भीड़ रही. बच्चा वार्ड में जगह की कमी को देखते हुए वार्ड के बरामदे पर भी कुछ बेड लगाये गये हैं. चिकित्सकों का कहना है कि फिलहाल डायरिया वोमेटिंग की शिकायत लेकर लोग आ रहे हैं. अमूमन बरसात के दिनों में पानी का लेवल ऊपर आ जाता है आसपास के नालों व गढ़ों से सम्पर्क हो जाने से प्रदूषित हो जाता है. टाइफ़ाइड एवं डायरिया का मामला ज्यादा है. प्रतिदिन लगभग 10 से 12 डायरिया के केस में इमरजेंसी में आते हैं. वहीँ ओपीडी में पेट सम्बन्धी मामलों में प्रतिदिन 200 के करीब मरीज अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं.
तेजी से फैलता है संक्रमण
चिकित्सकों का कहना है कि बरसात के दिनों में पेय जल के संक्रमण के साथ साथ वातावरण में नमी की अधिकता से खान पान की चीजों में शीघ्र ही फंगस पनपने लगता है. ऐसी ही संक्रमित चीजों के सेवन से पेट से सम्बंधित अनेक समस्याएं बढ़ती हैं. दूसरी ओर चीजों के सड़ने गलने के साथ साथ मच्छर मक्खियों का प्रकोप बढ़ने से अन्य बीमारियों को भी पनपने का बड़ा आसान मौक़ा मिल जाता है. बीमारियों के पनपने के अलावा उसके संक्रमण का फैलाव भी बेहद द्रुत गति से होता है. इस लिए भी आसपास की स्वच्छता एवं साफ़ सफाई का इनदिनों बेहद महत्व है.स्वास्थ्य विभाग चला रहा है दस्त रोकथाम अभियान
वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा शिशु दस्त को शून्य स्तर तक लाने के लिए जिले में दस्त रोकथाम अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत घर घर ओआरएस पैकेट्स का वितरण करते हुए दस्त से ग्रसित बच्चों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिंक की गोलियां उपलब्ध कराई गयी हैं. जिसका मुख्य उद्देश्य डायरिया के प्रसार को कम करते हुए इससे होने वाले शिशु मृत्यु दर को शून्य स्तर पर लाना है.
बरतें सावधानी
-दूषित जल के सेवन से बचें -पानी उबालकर ठंडा कर या आरओ वाटर पियें. -बासी भोजन से बचें-बाजार में खानपान की जगह घरों में ही पकाया भोजन करें -हमेशा ताजा भोजन ही करें-मच्छर मक्खियों को पनपने से रोकें
दस्त ग्रसित होने के लक्षण
-बच्चे के सुस्त या बेहोश हो जाना
-पानी जैसा लगातार दस्त का होना-बार बार उल्टी होना-बच्चों को अत्यधिक प्यास लगना-पानी न पी पाना-बुखार होना-मल में खून का आना
चिकित्सकीय सलाह
-डायरिया की स्थिति में स्वच्छता का ख्याल रखें -शरीर से निर्जलीकरण न होने दें-ओआरएस अथवा नमक चीनी का घोल तैयार कर लगातार पिलायें-खुद इलाज करने से बचें -हर हाल में अविलम्ब चिकित्सकीय सलाह लें
बोले चिकित्सक
इन दिनों जीएमसीएच में पेट से संबंधित और डायरिया प्रभावित मरीजों के मामले ज्यादा आ रहे है. इनमें बच्चे भी हैं और बड़े भी. बरसात में पीने के पानी के संक्रमण से इस तरह की समस्या बढती है. साथ ही टाइफ़ाइड का भी खतरा रहता है. उनके लिए विशेष सावधानी के रूप में खानपान, आसपास की साफ़ सफाई और सुरक्षात्मक उपायों पर ध्यान देने की जरुरत है.डॉ. आशुतोष चौधरी, जीएमसीएच शून्य से 05 वर्ष तक के बच्चों में डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है. ओआरएस और जिंक के प्रयोग द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है. बच्चों के दस्त ग्रसित होने के लक्षण दिखते ही नजदीकी अस्पताल में उनका अविलंब इलाज करवाना चाहिए ताकि बच्चा डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सके.
डॉ. प्रमोद कुमार कनौजिया, सिविल सर्जनडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है