धान समेत खरीफ फसलों के लिए संजीविनी बनी झमाझम बारिश

वापस लौट आयी खेतों की नमी

By Prabhat Khabar News Desk | September 15, 2024 6:52 PM

कड़क धूप से झुलसती फसलों को मिली राहत, वापस लौट आयी खेतों की नमी

कह रहे किसान -खरीफ फसलों के लिए अभी है और बारिश की आवश्यकता

पूर्णिया. मौसम के बदले हुए रूख ने एक तरफ जहां गर्मी से झुलस रहे लोगों को बड़ी राहत दी है वहीं दो दिनों की झमाझम बारिश से कड़क धूप में मुरझाती धान व खरीफ की अन्य फसलों को संजीवनी मिल गयी है. अपनी वापसी के दौरान मानसून ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ी है जिससे किसान काफी राहत महसूस कर रहे हैं. बीते शुक्रवार और शनिवार को अलग-अलग चरणों में आसमान ने पानी बरसाया. इस बारिश के कारण से सबसे ज्यादा राहत किसानों को मिली है. महंगी डीजल से धान खेतों में पटवन कर रहे किसानों को इससे छुटकारा मिला है जिससे उन्हें आर्थिक बचत हो रही है.गौरतलब है कि इस साल समय पर आने के बावजूद खरीफ के माकूल मौसम में मानसून ने किसानों को खूब छकाया. हालांकि बारिश की उम्मीद लिए किसानों ने किसी तरह बिचड़ा गिराने का काम कर लिया और रोपणी भी पूरी कर ली पर बारिश ने ऐसा मुंह फेर लिया कि फसलों को बचाए रखना मुश्किल हो गया. वैसे, बीच-बीच में बारिश ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी पर आखिरकार किसानों को पंपसेट के भरोसे रहना पड़ा जिसके कारण इस साल धान की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा जैसा रहा. कई किसानों ने बताया कि सरकार की ओर से डीजल अनुदान की राशि का प्रावधान है और मिलता भी है पर विडम्बना है कि खेतों में सिंचाई की जरुरत का वक्त और अनुदान राशि मिलने के समय में कोई तालमेल नहीं है.

धान के खेतों को अभी और पानी की जरुरत

किसानों का कहना है कि पिछले कुछ सालों से धान की खेती के लिए पर्याप्त बारिश नहीं हो रही है. मुकुंद सहनी, बालदेव साह, रजनीश गोस्वामी आदि किसानों ने बताया कि अभी भी धान के खेतों को और बारिश की जरुरत है. अगले सप्ताह तक यदि बारिश नहीं होती है तो फिर पंपसेट का सहारा लेना पड़ेगा और यह काफी महंगा होगा. किसानों की मानें तो पंपसेट से पटवन में 250 से 300 रुपये प्रति घंटे खर्च होता है. इससे लागत काफी बढ़ जाती है. किसानों का कहना है कि धान की खेती के लिए एकमात्र उम्मीद वर्षा की रहती है क्योंकि धान के खेतों की जरुरत इसी से पूरी हो सकती है. वैसे, आसमान को देख कर किसानों को अंदाजा है कि बारिश अभी होगी.

इस साल 41 फीसदी कम बारिश

पूर्णिया में इस साल 41 फीसदी कम बारिश हुई है जो सामान्य से बहुत कम है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पूर्णिया में अब तक 1196.6 एम एम बारिश होनी थी, लेकिन इसके विरुद्ध 704.4 एमएम बारिश दर्ज की गयी है. जानकारों की मानें तो जिले में सामान्य तौर पर 1200 एमएम से ज्यादा बारिश होती है. मगर, इस साल बारिश की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही है. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में बारिश शून्य रही. फरवरी में 1.6 एमएम, मार्च में 47.7 एमएम बारिश हुई जबकि अप्रैल का महीना शून्य रहा. मई माह में 191.5 एमएम और जून में 156 एमएम बारिश हुई जो सामान्य वर्षापात से काफी कम है. ————————

आंकड़ों पर एक नजर

01 लाख हेक्टेयर में था धान के आच्छादन का लक्ष्य100 फीसदी समय पर पूरा हो चुका है रोपनी का काम6800 हैक्टेयर में पूर्णिया पूर्व प्रखंड में लगाया जाता है धान4850 हैक्टेयर में कसबा प्रखंड के किसान करते हैं धान की खेती4675 हैक्टेयर भूखंड जलालगढ़ में धान के लिए है रिजर्व9515 हैक्टेयर में अमौर के किसान लगाते हैं धान6800 हैक्टेयर में के नगर प्रखंड में होती है धान की खेती6425 हैक्टेयर भूमि पर बायसी के किसान उगाते हैं धान———————————–फोटो- 15 पूर्णिया 2- खेत में लगी धान की फसल

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