पूर्णिया की सांसों में घुल रहा नशीला धुआं, किशोर भी हो रहे शिकार
तंबाकू के सेवन से बढ़ रहे मुंह और फेफड़ा कैंसर के रोगी, हो रही रोगियों की पहचान
तंबााकू दिवस आज
तंबाकू के सेवन से बढ़ रहे मुंह और फेफड़ा कैंसर के रोगी, हो रही रोगियों की पहचान
बदलते हालात में नई पीढ़ी से आने वाले किशोर भी हो रहे हैं नशे की लत की शिकार
पूर्णिया. तंबाकू और अन्य नशा के सेवन पर रोक लगाने के कई प्रयास हुए पर आज भी पूर्णिया की सांसों में नशीला धुआं घुल रहा है. युवाओं का बड़ा तबका नशे की गिरफ्त में है. कहीं चिलम से गांजा का मजा लिया जा रहा है तो कहीं सिगरेट के कश लिए जा रहे हैं. आलम यह है कि हाई स्कूल में पढ़ने वाले नई पीढ़ी के किशोर भी नशे की लत के शिकार हो रहे हैं. आलम यह है कि तंबाकू के सेवन से मुंह और फेफड़े का कैंसर बढ़ रहा है. दरअसल, यहां नशे का खुला खेल वर्षों से जारी है. इसके लिए भले ही कोटपा समेत कई कानून लागू हैं पर व्यावहारिक तौर पर इसका कोई असर नहीं. इसका खुलासा 2014 में पहली बार उस समय हुआ था जब पूर्णिया में पहली दफे भारी मात्रा में हेरोइन जब्त की गई थी. उस समय बेलगच्छी के गंडवास गांव में यह जब्ती हुई थी जहां हेरोइन पीने के लिए चांदी के रंग का रैपर भी बरामद किया गया था. तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने इस बात का खुलासा किया था कि असंगठित रूप से पूर्णिया के विभिन्न हिस्सों में छोटे पैमाने पर हेरोइन बेचने का धंधा चल रहा है.एक साल में 86 कैंसर के मरीजों की पहचान
तंबाकू से होने वाले कैंसर रोगों में मुख्य रूप से माउथ यानि मुंह के कैंसर तथा फेफड़े के कैंसर बहुलता से पाए जा रहे हैं. होमी जहांगीर भाभा कैंसर संस्थान मुजफ्फरपुर के सहयोग से राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल में ऐसे संभावित मरीजों की हर दिन स्क्रीनिंग की आती है. विगत एक साल में 86 कैंसर के मरीजों की पहचान की जा चुकी है. डॉ. गौरव कुमार सिंह तथा डॉ. ऐश्वर्या राय के अनुसार यहाँ हर दिन लक्षण के आधार पर लगभग 150 लोगों में कैंसर की आशंका को देखते हुए उनकी स्क्रीनिंग की जाती है जिनमें औसतन 5 लोग संभावित पाए जाते हैं जिनमें 1 से लेकर 3 लोगों में सर्वाधिक संभावना पायी जाती है. इसी माह यानि मई में 13 लोगों में कैंसर कंफर्म किये जा चुके हैं जिनमें 11 मरीज में इसकी वजह तंबाकू सेवन है. उन्होंने यह भी कहा कि कैंसर रोग के केसेज दिनोदिन बढ़ रहे हैं.सार्वजनिक स्थलों पर बिकते हैं तंबाकू
अमूमन यह सब जानते हैं चकि सार्वजनिक स्थल ,मंदिर, मस्जिद ,स्कूल कॉलेज जैसे सार्वजनिक जगहों पर धुम्रपान पर पाबंदी है. इसके उल्लंघन पर जुर्माना और सजा का प्रावधान है. मगर विडम्बना है कि प्रतिबंधित स्थलों पर तंबाकू समेत अन्य नशीले पदार्थ बेरोकटोक बेचे जा रहे हैं. शहर के कई स्कूल-कालेजों के आसपास की दुकानों में कम से कम तंबाकू और सिगरेट सहज रुप से मिल जाता है. उन दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ के बीच छात्र भी आसानी से दिख जाते हैं. किसी को तंबाकू या सिगरेट तो किसी को गुटखा की तलब होती है.नकारा साबित हुए नशा मुक्ति केन्द्र
नशे की गिरफ्त में कैद लोगों को इस दुनिया से बाहर निकालने में नशा मुक्ति केन्द्रों का बहुत बड़ा योगदान होता है पर यहां इसकी भूमिका नकारा साबित हुई. याद रहे कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद सदर अस्पताल परिसर में ही रिहैब सेंटर की शुरुआत की गई थी. उस दौरान यहां वैसे ही नशेड़ियों को भर्ती कराया गया जो शराब के नशे की हालत में पकड़े गये. शुरुआती दौर में करीब एक दर्जन लोग भर्ती हुए थे पर इसके बाद धीरे-धीरे यह बंद भी हो गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है