जीएमसीएच में सफलतापूर्वक निकाली गयी मासूम के कंठ में फंसी लोहे की चकरी
पूर्णिया मेडिकल कॉलेज
हताश हो चुके परिजनों के लिए वरदान साबित हुआ पूर्णिया मेडिकल कॉलेज
पूर्णिया. जिले में अवस्थित राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के चिकित्सकों ने एक बार फिर एक नन्हे मासूम को जीवन दान दिया है. बीते महीनों एक दस माह के मासूम की पेट में फंसी क्लिप को सफलता पूर्वक बाहर निकालकर उसकी जान बचाने वाले जीएमसीएच के चिकित्सकों ने इस दफा चम्पानगर के चरैया रहिका से आये 4 वर्षीय सुन्दर के गले में फंसी लोहे की एक तेज आरी के सामान दांतों वाली चकरी को बाहर निकाल कर उसे नया जीवन प्रदान किया है. बच्चे के अभिभावक ने बताया कि सुन्दर ने अपने खिलौने के स्प्रिंग से लगी चकरी जो टूट कर बाहर आ गयी थी उसे निगल लिया था. वह लोहे की चकरी उसके गले से अन्दर न जाकर कंठ में अटक गयी. इसके बाद उसे खाने पीने के अलावा बोलने में दिक्कत आने लगी. परेशान हो कर उसके अभिभावक उसे लाईन बाजार के निजी चिकित्सक के पास ले गये लेकिन उसकी स्थिति को देखते हुए सभी चिकित्सकों ने अपने हाथ खड़े करे दिए. इस बीच किसी भी तरह बच्चे को जीएमसीएच लाया गया जहां बच्चे के परिजन ने डॉ. विकास कुमार से बच्चे का एक्सरे रिपोर्ट दिखाया उसके बाद डॉ. विकास ने जीएमसीएच अधीक्षक डॉ. संजय कुमार से मशविरा किया उनकी स्वीकृति मिलने के बाद डॉ. विकास ने बच्चे को बेहोश कर उसके गले में अटकी लोहे की चकरी को बगैर ऑपरेशन किये सावधानी पूर्वक बाहर निकाला. जिसके बाद बच्चे को भर्ती कर निगरानी में रखा गया है. फिलहाल बच्चे की स्थिति काफी बेहतर है.बोले चिकित्सक
यह मामला जटिल था लोहे की चकरी बच्चे के वोकल कॉर्ड में जाकर फंस गयी थी इससे उसकी आवाज लगभग बंद हो गयी थी, खाने पीने श्वास लेने में भी परेशानी हो रही थी और उसकी जान को भी खतरा था. लेकिन अधीक्षक महोदय की अनुमति के बाद लेरिंगोस्कोपी की मदद से सफलता पूर्वक उसे बाहर निकाल लिया गया. बच्चे की स्थिति अब सामान्य हो गयी है तीन दिनों तक निगरानी के बाद उसे घर भेज दिया जाएगा.डॉ. विकास कुमार, चिकित्सक जीएमसीएच
फोटो – 15 पूर्णिया 18- बच्चे के गले से निकाली गयी लोहे की चकरी 19- घटनाक्रम बताते हुए डॉ. विकास एवं बच्चे के साथ परिजनडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है