निज कर्मों के साथ सत्संग करना जरूरी : स्वामी स्वरूपानंद

सरसी थानाक्षेत्र के बुढ़िया के सार्वजनिक सतसंग मंदिर में संतमत

By Prabhat Khabar News Desk | October 15, 2024 5:51 PM

प्रतिनिधि, बनमनखी . प्रखंड के सरसी थानाक्षेत्र के बुढ़िया के सार्वजनिक सतसंग मंदिर में संतमत सतसंग के 44 वें साप्ताहिक वार्षिक अधिवेशन में भागलपुर महर्षि मेहीं आश्रम कुप्पाघाट के स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने कहा कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है. तभी तो ईश्वर ने आपको इंसान बनायाताकि इंसानियत जिंदा रहे. कहा कि मनुष्य के जीवन में सत्संग अति आवश्यक है. सत्संग के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ माना जाता है. सत्संग ही मनुष्य को जीवन मरण से छुटकारा दिला सकता. इसीलिए मनुष्य को अपने निज कर्मों के साथ साथ सत्संग भी करना चाहिए. वहीं देवानंद बाबा ने कहा कि संतमत-सत्संग का उद्देश्य ईश्वर भक्ति को अपनाने पर जोर देना है. आज संसार में अपने अपने सुख, स्वार्थ की बात हो रही है. भ्रष्टाचार, हिंसा, घृणा जैसे विकार बढ़ रहे हैं. ऐसे में ईश्वर भक्ति को अपनाए बिना जीवन में शांति संभव नहीं. ईश्वर भक्ति के वास्तविक स्वरूप से परिचित होकर अपने कल्याण पथ की ओर अग्रसर सबों को होना ही होगा. तब जाकर मानव जीवन सफल होगा. संतमत सत्संग का आयोजन निर्मला देवी की अध्यक्षता में हो रहा है. एक सप्ताह तक चलने वाले सप्ताहिक वार्षिक अधिवेशन में 5 बार ध्यानाभ्यास किया जाता है. फोटो. 15 पूर्णिया 5 परिचय:- प्रवचन करते संत

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