इन्देश्वरी यादव, भवानीपुर. भवानीपुर प्रखंड के सुपौली पंचायत के चर्चित सुपौली भगवती माता स्थान में दो सौ वर्ष से भी ज्यादा समय से माता भगवती की पूजा काफी भव्य तरीके से होती आ रही है. मां भगवती मंदिर में कलश की पूजा होती है. इस मंदिर में मूर्ति की स्थापना नहीं की जाती है. सुपौली स्थित भगवती माता का स्थान सूबे के शक्तिपीठ में शुमार है. यू तो यहां सालों भर भगवती के उपासक व श्रद्धालु अपनी इच्छापूर्ति के लिए पूजा अर्चना को आते रहते हैं . परन्तु प्रतिवर्ष यहां लगनेवाले भव्य दशहरा मेला में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है . दुर्गापूजा में यहां काफी संख्या में छागर एवं भैंसा की बलि भी दी जाती है . यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि लगभग दो सौ वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में काफी घना जंगल हुआ करता था . एक रोज ब्रह्मज्ञानी के रीतलाल ठाकुर को माता ने स्वप्न में बताया कि वह इसी जंगल में अवस्थित हैं. खोज कर उन्हें स्थापित किया जाये. रीतलाल ठाकुर ने अहले सुबह इस बात की जानकारी यहां के ग्रामीणों एवं ब्रहमज्ञानी स्टेट के मालिक बबुजन मंडल को दी . इसके बाद खोजने के क्रम में घने जंगल के बीच माता की पिंडी लोगों को प्राप्त हुई. जिस जगह से माता की पिंडी मिली वहां पर एक झोपड़ी बना कर रीतलाल ठाकुर को माता की पूजा के लिए नियुक्त कर दिया गया. समय के साथ साथ उक्त स्थान पर आज सार्वजनिक सहयोग से काफी भव्य व भगवती मंदिर है . माता के इस मंदिर में आज भी रीतलाल ठाकुर के वंशजों के द्वारा हीं पूजा अर्चना का काम किया जाता है .माता के नाम पर ही इस पंचायत का नाम सुपौली पड़ा है. मदिर के पुजारियों ने बताया कि छागरों की बलि दी जाती है और भेैसा का कान काट कर छोड़ दिया जाता है . पंचायत की मुखिया अनोखा देवी के प्रतिनिधि सुमन कुमार सुमन ने बताया कि इस मेला की तैयारी को लेकर समाज के सभी वर्ग के लोग तत्पर रहते हैं . मंदिर की व्यवस्था में संजय कुमार ठाकुर, सुभाष चंद्र ठाकुर, सर्वेन्दू ठाकुर, विनोद ठाकुर, राकेश ठाकुर आदि तत्पर रहते हैं. फोटो-5 पूर्णिया 12,13- सुपौली भगवती माता स्थान मंदिर एवं कलश की पूजा आराधना करते श्रद्धालु.
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