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बारिश से खरीफ, जूट व मखाना की खेती को भी फायदा

किसानों को राहत

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पूर्णिया. जुलाई के पहले सप्ताह में बारिश की बेरुखी से किसान परेशान थे, लेकिन जैसे ही मानसून लौटा किसानों के उम्मीदों को जैसे पर लग गए हैं. झमाझम बारिश होने के बाद किसान खुश होकर खेतों में उतर गए हैं. इधर, लगातार हो रही बारिश से खरीफ की खेती पटरी पर आ गई है. यही वजह है कि जिले के किसानों ने अब तक 60 फीसदी से अधिक धान की रोपणी कर ली है. अभी लगातार बारिश की संभावना बनी हुई है जिससे किसानों को काफी सहूलियत होगी. इस बारिश से खरीफ की अन्य फसलों के साथ जूट और मखाना की खेती को भी फायदा हो रहा है.

जिले में 65 फीसदी हो चुकी है धान की रोपनी :

विभागीय जानकारों के अनुसार, जिन किसानों ने धान की रोपनी कर ली है उन्हें वर्षा से काफी लाभ पहुंचा है. जिन किसानों ने धान का फसल की रोपनी नहीं की है उन्हें भी वर्षा के पानी से धान की खेती में काफी सहूलियत होगी. जिले में 60 से 65 फीसदी धान की रोपनी हो चुकी है. याद रहे कि इस साल एक तो समय पर मानसून नहीं आया और फिर खरीफ के सीजन में कड़ी धूप और प्रचंड गर्मी के साथ बारिश की बेरुखी ने किसानों को रुला दिया था. खेतों की नमी गायब हो गई थी और खेतों में लगे धान के बिचड़े पीले पड़ने लगे थे. मगर, अब बारिश के बाद किसानों की उम्मीदों को बल मिला है. इस बीच कृषि विभाग की ओर से भी लगातार खरीफ की खेतो की मॉनिटरिंग की जा रही है. विभाग का दावा है कि समय पर लक्ष्य के अनुरुप धान एवं अन्य फसलों का आच्छादन हो जाएगा.

बारिश से दलहन और जूट फसल को भी फायदा

मौसम के बदले मिजाज के बीच लगातार हो रही बारिश से खेतों में लगी मूंग समेत अन्य दलहन और जूट फसल को काफी फायदा पहुंचा है. इतना ही नहीं, सब्जी की खेती के लिये भी बारिश वरदान साबित हुआ है. किसानों की मानें, तो खासकर जूट और मूंग फसल के अलावा मखाना और सब्जी की खेती को काफी फायदा पहुंचा है. पिछले लंबे समय से बारिश नहीं होने के कारण किसान बारिश की आस लगाये बैठे थे. अब बारिश होने के बाद फसलों को काफी फायदा पहुंचा है. किसानों ने बताया कि लेट भेरायटी मक्का फसल को भी बारिश से फायदा है. इसी तरह जिले के अलग-अलग इलाकों में लगे मखाना के खेतों में पानी की जरुरत महसूस की जा रही थी. मखाना किसानों का कहना है कि मखाना के खेतों में अक्सर पानी लगा होना चाहिये.

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आंकड़ों पर एक नजर

65 फीसदी रोपनी इस सीजन में अब तक हो चुकी है

95 हजार हेक्टेयर तक होती है जिले में धान की खेती

6800 हेक्टेयर में पूर्णिया पूर्व प्रखंड में लगाया जाता है धान

4850 हेक्टेयर में कसबा प्रखंड के किसान करते हैं धान की खेती

4675 हेक्टेयर भूखंड जलालगढ़ में धान के लिए है रिजर्व

9515 हेक्टेयर में अमौर के किसान लगाते हैं धान

6800 हेक्टेयर में केनगर प्रखंड में होती है धान की खेती

6425 हेक्टेयर भूमि पर बायसी के किसान उगाते हैं धानफोटो- 12 पूर्णिया 1- बारिश होने पर खेत में धान रोपणी करते किसान

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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