पूर्णिया. खासकर मिथिलांचल में शादी ब्याह से लेकर विभिन्न उत्सवों, पारंपरिक रीति रिवाजों में गुड्डे गुड़ियों का समावेश सदियों पुराना है. यहां की बेटियां इन्हें संजोने और आगे बढाने का काम बड़ी संजीदगी से करती चली आ रही हैं. सामाजिक गतिविधियों और जिम्मेदारियों के प्रतीक के रूप में बेटियां गुड्डे-गुड़ियों का परिवार तैयार करती हैं. उनके लिए सामाजिक रस्मों को भी निभाया जाता है. उनके शादी ब्याह से लेकर अन्य पारंपरिक सामाजिक बंधनों को खेल खेल में जीवित रखते हुए सभी आनंद विभोर होते हैं. कुछ इसी तरह का माहौल दिखा जिले के मरियम नगर स्थित बिहार बाल भवन किलकारी के प्रांगण में जहां गुड्डा गुड़िया का शुभ विवाह हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ. इसमें उनकी सगाई, हल्दी और मेहंदी की अलग-अलग रस्में पूरी की गयी. शादी में दो पक्ष बने. एक लड़का पक्ष और दूसरा लड़की पक्ष
मिथिलांचल की पारंपरिक खेलों में से एक खेल है
बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की प्रमुख पारंपरिक खेलों में से एक खेल है कन्या पुत्री का विवाह जो सावन माह के पहले खेला जाता है. अपनी इसी परंपरा से बच्चों को किलकारी पूर्णिया ने रूबरू करवाया. यह पूर्णिया बाल भवन का महत्वपूर्ण कन्वर्जेंस क्लास रहा. कन्वर्जेंस क्लास का अर्थ जिससे बच्चे अपनी विद्या के अलावा अन्य विधाओं में भी कुछ सीखे, समझे और फिर अपने विद्या में उस ज्ञान का उपयोग करें. इस उत्सव में सभी विधाओं का सहयोग रहा.बच्चों को कराया गया सामाजिक बंधनों से रूबरू
बिहार बाल भवन किलकारी पूर्णिया के सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी त्रिदिप शील ने बताया कि बच्चों ने बिल्कुल समाज में आयोजित होने वाले वैवाहिक समारोह का आयोजन कर खेल को जीवंत कर दिया. किलकारी पूर्णिया के प्रमंडलीय समन्वयक रवि भूषण ने कहा कि इस तरह के आयोजनों का मुख्य उद्देश्य है बच्चों को प्रशिक्षण से प्रस्तुति की ओर ले जाना. एक ऐसी गतिविधि की खोज जिसमें कई चीजें समाहित हो. इससे बच्चों को एक साथ कई चीजों को करने का अवसर प्राप्त होता है जिससे उनकी समझ बढ़ती है और ज्ञान का विकास होता है. बच्चों को समूह में कार्य करने की आदत पड़ती है. बच्चों में नेतृत्व क्षमता का विकास होता है वे एक दूसरे से अपने विचारों का आदान प्रदान करना सीखते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है