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सदभाव का प्रतीक है माधोपाड़ा दुर्गा मंदिर

माधोपाड़ा के दुर्गा मंदिर

पूर्णिया. माधोपाड़ा के दुर्गा मंदिर से पूरे शहर की आस्था जुड़ी हुई है. इस मंदिर का इतिहास लगभग ढाई दशक पुराना है पर इससे पूरे शहर का जुड़ाव बना हुआ है. इस मंदिर के बारे में एक मान्यता यह भी है कि यहां श्रद्धा के साथ मां की पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है. इसके बारे में स्थानीय नागरिक यह उदाहरण भी देते हैं कि कई लोगों को नौकरी मिली है. शायद यही वजह है कि यहां पूजा के लिए अच्छी भीड़ उमड़ती है. स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां दूर-दराज के श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होती है.

क्या है मंदिर का इतिहास

माधोपाड़ा में दुर्गा पूजा की शुरुआत सन् 1996 में हुई. स्थापना काल से सन् 2001 तक पांडाल बना कर पूजा होती रही. सन् 2002 में नागरिकों के सहयोग से मंदिर का निर्माण किया गया. पूजा समिति के सचिव हरेराम ठाकुर बताते हैं कि पहले जब यहां पूजा नहीं होती थी तब लोगों के मन में अचानक पूजा शुरु करने की इच्छा पैदा हुई. कुछ लोग स्वप्न की भी बात बताते हैं. यहां के सत्यनारायण यादव पूजा के लिए आगे आए और पूरे मुहल्लावासियों की सहमति बनायी गयी. इसके बाद से पूजा शुरु कर दी गयी. शुरुआती दौर में बंगला समाज के पंडित यहां पूजा कराते थे किन्तु उनके निधन के बाद हिन्दी के पंडित पूजा करा रहे हैं. इस पूजन स्थल से जुड़े विनोद कुमार यादव, नीरज कुमार, दिलीप चौधरी, अरविन्द मंडल, सुबोध यादव, अमरेश, सूरज, संजय, किशोर आदि सक्रिय भूमिका निभाते हैं.

सद्भाव का प्रतीक

माधोपाड़ा एक ऐसी जगह पर अवस्थित है जहां अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं. वे वहां सिर्फ रहते ही नहीं बल्कि पूजन के इस आयोजन में बढ़-चढ़ कर सहयोग भी करते हैं. यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है और आज की पीढ़ी भी इस परम्परा का निर्वाह कर रही है. यही वजह है कि इस पूजन स्थल को पूरे पूर्णिया में सद्भाव का प्रतीक माना जाता है.

सांस्कृतिक कार्यक्रम

माधोपाड़ा सही मायने में शहर और गांव की सीमा पर बसा हुआ है. इसके बावजूद यहां के लोग कला और संस्कृति के प्रेमी हैं. खास तौर पर दुर्गा पूजा में लोगों का कला प्रेम उभर उठता है. पूजा के दौरान बच्चे काफी उत्साह के साथ नाटक का मंचन करते हैं. इसके लिए वे पहले से तैयारी करते हैं. घर के लोग भी इस तैयारी में उनका सहयोग करते हैं. इसके अलावा बच्चे नृत्य और संगीत की भी तैयारी करते हैं और अष्टमी व नवमी की पूजा के दौरान उसकी प्रस्तुति भी देते हैं. दुर्गा पूजा में यहां के लोग जगराता खूब पसंद करते हैं और इसके लिए रात्रि जागरण करने वाले कलाकारों की टीम बाहर से बुलाई जाती है. अध्यक्ष नंद कुमार यादव, अवधेश चौधरी, तेजस्वी कुमार, उत्तम दास, महेश उरांव, सुजीत कुमार, आशीष कुजूर कुमार प्रीतम, दिलीप कुमार मुन्ना आदि समेत पूरे मुहल्ले के लोग पूजन के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रति गंभीर रहते हैं.

यहां दुर्गापूजा को लेकर सभी लोगों में अपार श्रद्धा है. समाज के हर तबके के लोग यहां से जुड़े हैं और सम्पूर्ण भक्तिभाव से पूजा अर्चना की जाती है. दूर दूर से लोग आते हैं. धीरे धीरे मंदिर निर्माण का कार्य भी आगे बढ़ रहा है. सांस्कृतिक आयोजनों में अन्य समुदाय के बच्चे भी भाग लेते हैं सौहार्द की अद्भुत मिसाल है माधोपाडा दुर्गापूजा.

नन्द कुमार यादव, अध्यक्ष पूजा समिति.

फोटो. 20 पूर्णिया 1

हर वर्ष पूजा का आयोजन धूमधाम से किया जाता है. इस वर्ष भी सदस्यों के साथ हुई बैठक में सभी चीजें तय कर ली गयी हैं. पूजा अर्चना के साथ साथ लाईट से सजावट की भी तैयारी है. इस साल भी माता के लिए तैयार किये जानेवाले अलग अलग दिनों के भोग की व्यवस्था है. वहीँ सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा.

हरेराम ठाकुर, सचिव पूजा समिति.

फोटो. 20 पूर्णिया 2

चंद लोगों के द्वारा शुरू हुई यहां की पूजा ने अब काफी वृहत रूप ले लिया है. अनेक लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होने पर उन भक्तों के द्वारा स्वेच्छा से पूजा के लिए दान दिए जाने से भव्य मंदिर का निर्माण भी किया जा चुका है. हर साल माता के भक्तों की संख्या में इजाफा ही हो रहा है सब माता की ही महिमा है.

दिलीप कुमार मेहता उर्फ़ मुन्ना, संस्थापक सदस्य

फोटो. 20 पूर्णिया 3फोटो. 20 पूर्णिया 4- माधोपाड़ा दुर्गा मंदिर

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