पूर्णिया. हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का खास महत्व है. इस साल यह पर्व मंगलवार को मनाया जायेगा. लोगों ने पर्व संबंधी सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. हालांकि, मकर संक्रांति की तिथि को लेकर इस बार कोई संशय नहीं है फिर भी 14-15 जनवरी को दोनों दिन यह पर्व मनाया जा रहा है और इसी के साथ खरीदारी भी की जा रही है. यही वजह है कि सोमवार को इस पर्व को लेकर अंतिम खरीदारी की गयी. वैसे, इस पर्व पर इस बार महंगाई की मार अधिक है पर पर्व के उत्साह और खरीदारी पर कोई असर नहीं है.
मकर संक्राति को लेकर सोमवार को बाजारों में भीड़-भाड़ रही. सुबह ठंड की वजह से बाजार में ग्राहक कम थे, लेकिन भगवान भास्कर ने लोगों को राहत पहुंचाई तो बाजार में ग्राहक उमड़ पड़े. लाई-चिउड़ा, तिलवा, गट्टा, पट्टी के अलावा दही की बिक्री जमकर हुई. खिचड़ी बनाने की परंपरा के चलते सब्जी की दुकानों पर भी शाम को ग्राहक देखे गये. जिला मुख्यालय के अलावा शहर के गुलाबबाग, खुश्कीबाग, लाइनबाजार, रजनी चौक, मधुबनी, रामबाग, सिटी के बाजारों में ग्राहकों की भीड़ से चहल-पहल रही. चूंकि मकर संक्रांति पर्व पर बहन बेटियों के यहां चुड़ा, तिलकुट भेजने की पुरानी परंपरा रही है. इसलिए इसके लिए अलग से खरीदारी की गयी है. कई लोगों ने एक दिन पहले ही कुटुम्ब और रिश्तेदारों के लिए मकर संक्रांति का संदेश भेज दिया है.बाजारों में जमकर हुई तिलकुट की खरीदारी
मकर संक्रांति को लेकर पूर्णिया के बाजारों में पिछले साल की तरह बिक्री भी खूब हो रही है पर अंतर इतना है कि जो लोग पहले अपने घरों के लिए तीन से चार किलो तक तिलकुट खरीदते थे, वे इस बार पचास फीसदी कम खरीदारी कर रहे हैं. बाजारों में सजी दुकानों से तिलकुट की खुशबू भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है और यही वजह है कि पर्व का उत्साह महंगाई पर भारी पड़ रहा है. महंगाई को लेकर लोग कहते हैं कि चलो, खिचड़ी में कोई परेशानी नहीं है. तिलवा और दही चूड़ा में कटौती कर काम चला लेंगे. तिलकुट विक्रेता विश्वनाथ साह और सतोष साह कहते हैं कि महंगा होने के बावजूद ग्राहकी कम नहीं हुई है. दुकानदारों की मानें तो मकर संक्रांति से जुड़े सामानों की कीमतों में एक साल के अंदर कम से कम डेढ़ गुना इजाफा हुआ है.पहले से बुक किए गये दही का हुआ उठाव
मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व लोगों ने दुकानों से दही का उठाव कर लिया. तीन-चार दिन पहले ही इसकी एडवांस बुकिंग करायी गयी थी. इसके लिए पूर्णिया और आसपास के मिष्टान्न भंडारों व डेयरी फार्मों में लोगों की भीड़ जुटी. डेयरी फार्म चलाने वाले उद्यमियों ने आर्डरों के अनुसार पहले से दूध और दही का स्टॉक कर रखा था. अमूमन यही स्थिति दुग्ध विक्रेताओं की भी रही. अगर देखा जाए तो यहां खपत के हिसाब से दूध की आपूर्ति नहीं होने पर दूध के कतिपय कारोबारी मकर संक्रांति जैसे पर्व का पूरा फायदा उठाते हैं. इसमें स्वाभाविक रुप से दाम बढ़ जाते हैं.मिल्क पाउडर की बल्ले-बल्ले
मकर संक्रांति जैसे पर्व में इस साल फिर मिल्क पाउडर की बल्ले बल्ले है. दूध की बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए मिल्क पाउडर के घोल के नायाब नुस्खे का इस्तेमाल किया जा रहा है. जानकारों की मानें तो बाजार में बिकने वाले कम से कम आधा किलो के मिल्क पाउडर को पानी में घोल दिया जाए तो वह साढ़े पांच लीटर दूध बन जाता है. इस बार भी मकर संक्रांति में यह तकनीक काम आ रही है. आलम यह है कि लोग असली समझ कर मिलावटी दूध खरीद रहे हैं.क्या है मकर संक्रांति
पंडितों की मानें तो सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करने को ही मकर संक्रांति कहा जाता है. इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है. इस दिन स्नान, दान, जप-तप, अनुष्ठान आदि का महत्व है. इसमें खास तौर पर गंगा स्नान और तिल का दान देने का विशेष महत्त्व माना जाता है. यह अमूमन हर साल पौष मास शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है. इसी दिन खिचड़ी पर्व भी मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि शास्त्रों के अनुसार नियमों के साथ पर्व मनाने से जीवन में कई लाभ होते हैं.—————————–
मकर संक्रांति का खास समय
2.58 बजे के बाद मकर राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य9.12 बजे सुबह से 5.17 बजे तक रहेगा पुण्यकाल9.12 बजे प्रातः से दिन के 11.46 बजे तक रहेगा महापुण्य काल——————————-
फोटो. 13 पूर्णिया 2- मकर संक्रांति पर्व के मौके पर खरीदारी करते लोग.–
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