निकट भविष्य में मखाना बन सकता है पूर्णिया जिले का बड़ा ग्रोथ इंजन: डीएम
जिले में कृषि विभाग द्वारा लगातार प्रयासों के बल पर जो बदलाव आये हैं उनमें मखाना का रोल बहुत बड़ा है.
पूर्णिया. जिले में कृषि विभाग द्वारा लगातार प्रयासों के बल पर जो बदलाव आये हैं उनमें मखाना का रोल बहुत बड़ा है. इसके अलावा उद्यानिक फसलों में भी जिला काफी आगे बढ़ा है और अनेक वैसे फलों की खेती यहां के किसानों ने शुरू कर दी है जिसके बारे में लोग कभी सोचा भी नहीं करते थे. हमें ग्रोथ इंजन की तलाश करनी होगी जिससे अन्य उत्पादों को भी बेहतर बाजार मिल सके और किसानों की आमदनी बढ़ सके. इसके लिए मखाना के उत्पादन को देखते हुए कहा जा सकता है कि मखाना जिले का बड़ा ग्रोथ इंजन बन सकता है और इस दिशा में कार्य आगे बढ़ चला है. उक्त बातें पूर्णिया के जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने सोमवार को आर्ट गैलरी सह प्रेक्षागृह में आयोजित जिला स्तरीय खरीफ कर्मशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही.
जिलाधिकारी ने तीन बिंदुओं पर दिया खास जोर
जिले के कोने कोने से आये पुरुष और महिला किसानों के अलावा राज्य और जिले से आये कृषि विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों तथा कृषि अधिकारियों के बीच जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर फोकस करते हुए कहा कि जिस प्रकार आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए जय जवान जय किसान का नारा देकर कृषि के मामले में कार्य हुए वो एक मिसाल है. वहीं जय जवान जय किसान और जय विज्ञान के जरिये देश काफी आगे बढ़ा इससे हम अन्य देशों को मदद करने की स्थिति में पहुंच गये. हम सभी को मिलकर इस जिले को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करना होगा. पहले जिले के लिए, फिर निर्यात करने की दिशा में कार्य आरंभ हो चुके हैं. दूसरी ओर जिलाधिकारी ने जैविक और ऑर्गेनिक खेती पर बल देते हुए मिट्टी, मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण की रक्षा का आह्वान किया. उन्होंने ऑर्गेनिक खेती पर जोर देते हुए विभिन्न रासायनिक उर्वरकों व कीट नाशकों की जगह जैविक या ऑर्गेनिक उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और इस दिशा में विभाग को पहल करते हुए किसानों के बीच जागृति लाने को कहा. उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से हर हाल में संभावनाओं पर कार्य करते रहने को प्रोत्साहित किया. तीसरी बिंदु पर उन्होंने किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि उनकी आमदनी कैसे बढ़े, किस फसल को करने में प्रति हेक्टेयर मुनाफ़ा ज्यादा है इसपर विचार करें. उन्होंने खेतो में 80-20 के अनुपात से खेती करने का आग्रह किया और कहा हर हमेशा 20 प्रतिशत नवाचार के तहत नयी फसलें आजमायें. कोई भी फसल हो संभावना की तलाश करें उसके बाद उसे विस्तार रूप दें. उन्होंने किसानों से एग्रीप्रेन्योर बनने के लिए उत्साहित किया. इस दरम्यान खेती किसानी में बेहतर कार्य करने वाले किसानों की चर्चा करते हुए उन्होंने विलेज अथवा कलस्टर बनाकर संबंधित उत्पादों को बढ़ावा देने की बात अधिकारियों से कही. इससे पूर्व जिला कृषि पदाधिकारी सहित उद्यान पदाधिकारी प्रखंड कृषि पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी, उपविकास आयुक्त सहित राज्य और जिले से आये तमाम अतिथियों का पौधा देकर स्वागत किया.प्लानिंग और समय के अनुसार चलेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी: डीडीसी
उपविकास आयुक्त साहिला ने कहा कि कृषि में समय और योजना का तालमेल बहुत जरूरी है. इसपर ध्यान देते हुए कार्य करने पर सफलता ही नहीं बल्कि उपलब्धियां हासिल की जा सकती है. उन्होंने खेती की तकनीकों में बदलाव लाने के लिए अद्यतन जानकारियों से लैस रहने को कहा साथ ही लगातार एक ही तरह की फसल की जगह किसानों से बदल बदल कर फसलों को लगाने की बात कही. कहा इस दिशा में ड्रैगन फ्रूट एक बेहतर विकल्प के तौर पर उभरा है. साथ ही मोटे अनाज की खेती में भी प्रचुर संभावनाएं दिख रही हैं.कृषि विशेषज्ञों ने किसानों से किया संवाद
इस मौके पर कृषि विशेषज्ञों ने विभिन्न फसलों सहित, मिट्टी जांच, फल फूल उत्पादन, खाद उर्वरक प्रबंधन, कृषि प्रशिक्षण व यांत्रिकीकरण आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की और किसानों से संवाद भी किया. बताते चलें कि कृषि विभाग द्वारा इस बार के खरीफ सीजन में धान के साथ साथ खरीफ मक्का के उत्पादन पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. वहीं दशकों पूर्व किसानों द्वारा उगाये जाने वाले मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देते हुए किसानों की आमदनी को बढ़ाने की कवायद की जा रही है. इनमें बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न सहित मोटे अनाजों में ज्वार, बाजरा, रागी, मड़ुआ, कोदो, सांवा की खेती प्रत्यक्षण के रूप में यहां चयनित किसानों के बीच कलस्टर में कराने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए किसानों के बीच अनुदान, प्रत्यक्षण तथा बीज वितरण किये जाने की योजना है.विभिन्न फसलों के लिए लक्ष्य
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में धान बीज वितरण कार्यक्रम के तहत सभी प्रखंडों के कुल 254 पंचायतों में 10 वर्ष के अंदर के बीज के लिए 1725 क्विंटल तथा दस वर्ष से ज्यादा समय के बीज के लिए 376 क्विंटल निर्धारित किये गये हैं. वहीं मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार के तहत धान बीज वितरण में 1281 चयनित राजस्व गांव में प्रत्येक गांव से दो किसानों यानि कुल 2562 कृषकों का चयन किया गया है. जबकि 2024–25 के लिए खरीफ संकर मक्का प्रत्यक्षण का लक्ष्य 1510 एकड़ है ये सभी कलस्टर में होंगे और प्रत्येक कलस्टर 25 एकड़ के होंगे. मिलेट्स के लिए ज्वार प्रत्यक्षण लक्ष्य 35 एकड़, बाजरा के लिए 100 एकड़, कौनी 465 एकड़ तथा रागी के लिए 215 एकड़ का निर्धारण किया गया है. जबकि मक्का में बेबी कॉर्न हेतु 140 एकड़ और स्वीट कॉर्न के लिए 149 एकड़ लक्ष्य तय किये गये हैं. वहीँ एनएफएसएम के तहत दलहन में अरहर प्रत्यक्षण का लक्ष्य 25 एकड़ में, ज्वार तथा बाजरा के साथ अंतरवर्ती फसल ले रूप में लिए जाने की योजना है. –डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है