माणिक आलम हर साल बंधवाते हैं अपनी बहनों से राखी
आस्था को किसी मजहब से नहीं बांधा जा सकता है. दरअसल रक्षाबंधन के अवसर पर मानिक आलम ने भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को लेकर कुछ ऐसी ही मिसाल कायम की है.
आस्था को किसी मजहब से नहीं बांधा जा सकता,
पूर्णिया. आस्था को किसी मजहब से नहीं बांधा जा सकता है. दरअसल रक्षाबंधन के अवसर पर मानिक आलम ने भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को लेकर कुछ ऐसी ही मिसाल कायम की है. पूरा समाज इसकी सराहना कर रहा है. आलम हर साल राखी का त्योहार मनाते हैं. इस साल भी आलम ने अपनी बहनों से राखी बंधवायी. छात्र नेता माणिक आलम ने बताया कि रक्षा बंधन का त्योहार उनकी बहन रेशमी निशा, रोशनी निशा, जोया प्रवीण, सालेहा प्रवीण, अमृत प्रवीण, साहिना प्रवीण, सामिया सुलतान ने उनके कलाई पर राखी बांधी. वही भाई साहिल आलम दिलावर बाबर के हाथों में भी भी राखी बांधी. राखी बांधने के बाद गिफ्ट भी अपनी बहनों को दिए. उन्होंने अपनी बहन को दीर्घायु होने का आशीर्वाद भी दिया. माणिक ने बताया कि रक्षा बंधन भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. यह ऐसा त्योहार है कि सभी समाज को मिल कर मनाना चाहिए. यह त्योहार भाई-बहन के अटूट पवित्र रिश्ते का प्रतीक है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है