अरविन्द कुमार जायसवाल, बीकोठी. प्रखंड बाजार में 200 वर्ष से अधिक से मां दुर्गा का दरबार सज रहा है. यहां पूजा की शुरुआत 204 वर्ष पूर्व हुई थी. तब से लेकर आज तक दुर्गापूजा धूमधाम से मनायी जा रही है. इस वर्ष भी पूजा की तैयारी जोरों पर है. मंदिर परिसर में बंगाल के कलाकार छोटन दा प्रतिमा तैयार करने में लगे हुए है. प्रतिमा की साज-सज्जा के अधिकांश सामान भी बंगाल से मंगाए गए हैं. मंदिर के बाहर भी रंगरोगन और अन्य तैयारियां पूर्ण हो गयी. कलश स्थापना के दिन से ही यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ रहता है. प्रखंड क्षेत्र के दूरदराज गांव से प्रतिदिन संध्या आरती एवं दीपक जलाने के लिए महिलाएं यहां पहुंचती हैं. .इस मंदिर की प्रसिद्धि के कारण पूरे प्रखंड क्षेत्र के अलावे मधेपुरा जिला तक के श्रद्धालु यहां आते हैं. पूजा समिति के अध्यक्ष रामानंद तिवारी बताते है कि यहां पूजा की शुरूआत पहले फूस के घर में बाद में टीन घर में की गयी. धीरे-धीरे इस पूजन का स्वरूप वृहत होता चला गया. कालांतर में सार्वजनिक सहयोग से वर्ष 1981 में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा किया गया. अध्यक्ष रामानंद तिवारी उर्फ कल्लू बाबू बताते है कि पूजा में युवकों की अच्छी खासी भागीदारी रहती हैं. यहां पंडित निर्मल बाबा मैथिल पद्धति से पूजा कराते है. पूजा के दौरान विशेष आकर्षण का केंद्र सप्तमी से नवमी तक लगने वाले भोग में दिखता है. इस दौरान श्रद्धालु खासकर महिलाएं बड़ी संख्या में यहां जुटती हैं.यहां ढाक बजाने की परंपरा है. ढाक बजाने के लिए दक्ष से दक्ष कलाकार यहां आते है. मेला मालिक सह पूजा समिति अध्यक्ष रामानंद तिवारी उर्फ कल्लू बाबू ने बताया कि हमारे पूर्वज कहते थे कि मां दुर्गा मंदिर के पश्चिम नदी बहती थी. एक पगला नाम के बाबा नदी के पूरब किनारे एक फूस के घर में अष्ट भुजा धारी मां दुर्गा माता को अपने आंखें चीर कर खून देकर स्थापित किया था. यहां सभी जगहों से ज्यादा बलि प्रदान होता हैं. सबसे खास बात की यहां पूजा में साम्प्रदायिक सौहार्द का उदाहरण देखने को मिलता है. वहीं मंंदिर का नव निर्माण कार्य 28 नवम्बर 2022 से शुरू किया गया है. फोटो. 27 पूर्णिया 14- बड़हरा बाजार का पूर्व का बना मंंदिर 15- नव निर्माण मंंदिर का फोटो
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