अच्छी खबर
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जिला प्रशासन चला रहा है शहरों की तर्ज पर गांव को स्वच्छ रखने की मुहिम
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइ की स्थापना कर बेकार को बना रहे उपयोगी
पूर्णिया. स्वच्छता और साफ-सफाई का सीधा संबंध मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ा है. जिला मुख्यालय में नगर निगम द्वारा कचरा उठाव और प्रबंधन के अलावा उसके निस्तारण की व्यवस्था की गयी है वहीं दूसरी और केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण और लोहिया स्वच्छ बिहार जैसे कार्यक्रमों की मदद से गांव को भी स्वच्छ एवं साफ-सुथरा रखने की कवायद तेज हो गयी है. पंचायतों में स्वच्छता कार्यक्रम के तहत डब्ल्यूपीयू (वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट) तथा अनुमंडल स्तर पर पीडब्लूएमयू यानि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइ की स्थापना से स्वच्छता के साथ साथ कचरा प्रबंधन ही नहीं बल्कि बर्बाद कचरे को आबाद कर उसे कंचन बनाने की प्रक्रिया से नयी दिशा मिली है.इधर, बेरोजगारी दूर करने की दिशा में भी यह माध्यम कारगर साबित हो रहा है. जबकि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई की मदद से सिंगल यूज प्लास्टिक और अन्य टूटे फूटे सामानों की मदद से टिकाऊ सड़कों और खिलौनों के लिए मेटेरियल भी तैयार किये जा रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न सरकारी योजनाओं द्वारा इस तरह की व्यवस्था के लिए संयंत्र तथा स्थान उपलब्ध करा दिए गये हैं साथ ही इसके सफल संचालन के लिए पंचायत स्थित प्रत्येक घरों से बहुत ही मामूली राशि शुल्क के रूप में ली जायेगी जिससे कार्य का सिलसिला लगातार चल सके.
श्रीनगर के खुट्टी धुनैली में लगे हैं दोनों यूनिट
पूर्णिया अनुमंडल स्थित श्रीनगर प्रखंड के खुट्टी धुनैली पंचायत सरकार भवन परिसर में वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट के साथ साथ प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइ की स्थापना ने स्थानीय नौ पंचायतों सहित जलालगढ़ के 10, कसबा के 12, पूर्व प्रखंड के 14 एवं के. नगर के 17 पंचायतों में स्वच्छता कार्यक्रम एवं कचरा प्रबंधन को बेहद आसान बना दिया है. प्रत्येक दिन सभी पंचायतों के कचरों और प्लास्टिक को अलग अलग डब्बों में स्वच्छता कर्मी घूम घूम कर इकट्ठा करते हैं और उसे प्रसंस्करण इकाइयों तक पहुंचाते हैं. पंचायत में भी सभी घरों से सूखा और गीला कचरा अलग अलग संग्रह किया जाता है. घरेलू गीले कचरे से नाडेप खाद का निर्माण किया जाता है.रद्दी प्लास्टिक से बन रही सड़क निर्माण की सामग्री
पूर्णिया अनुमंडल के शेष सभी प्रखंडों से लाये गये सिंगल यूज प्लास्टिक की छटाई कर कम्प्रेशर मशीन की मदद से उसके गट्ठर बनाए जाते हैं और उसे अन्य कार्यों के निर्माण में उपयोग के लिए आगे भेज दिया जाता है. मिली जानकारी के अनुसार इन प्लास्टिक गट्ठरों का उपयोग सड़क निर्माण में किया जाता है. इसके अलावा खिलौने व अन्य प्लास्टिक सामग्रियां भी इनकी मदद से तैयार की जाती हैं. ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी) का एक प्रमुख घटक है, जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई, स्वास्थ्य और जीवन की सामान्य गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है. ——————————
बोले कार्यक्रम से जुड़े लोग
1.स्वच्छता कार्यक्रम से जुड़कर बहुत ही अच्छा लग रहा है. अपने पंचायत को कचरा मुक्त बनाने के साथ साथ दो पैसे की आमदनी भी हो जाती है. सुबह 6 बजे से लगातार दो घंटे तक घर घर घूमकर कचरा जमा कर सेंटर पर पहुंचा देते हैं उसके बाद अपना काम. सुनील. स्वच्छता कर्मी फोटो. 4 पूर्णिया 12. खुट्टी धुनैली के लिए यह बड़ी बात है कि यहां दोनों संयंत्र स्थापित किये गये हैं. इससे यहां के निवासियों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है. साथ ही कई लोगों को रोजगार भी मिला है. 13 वार्ड हैं यहां और 31 कर्मियों की टीम पंचायत में कार्यरत है. पियूष आनंद. स्वच्छता पर्यवेक्षक, खुट्टी धुनैली फोटो. 4 पूर्णिया 23. यहां वेस्टेज को प्रोसेस कर उपयोग में लाने योग्य बनाया जाता है. इस उपक्रम से श्रीनगर प्रखंड में 236 लोगों को रोजगार भी मिला है. अबतक प्लास्टिक के 12 क्विंटल गट्ठर को तैयार किया जा चुका है जिसे सड़क निर्माण विभाग को भेजा जाएगा साथ ही अपशिष्ट से नाडेप खाद तैयार किया जा रहा है. अवधेश कुमार पाठक. लोहिया स्वच्छ बिहार, श्रीनगर प्रखंड समन्वयकफोटो. 4 पूर्णिया 3फोटो. 4 पूर्णिया 4- कंप्रेसर मशीन से प्लास्टिक का गट्ठर तैयार करते कर्मी 5- ठोस एवं तरल प्रसंस्करण इकाई खुट्टी धुनैली श्रीनगर 6- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई श्रीनगर 7, 8- डब्लूपीयू में नाडेप विधि से निर्मित जैविक खाद …………..डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है