Purnia news : तालाबों के जरिये जल संचय की योजना सवालों के घेरे में है. इस योजना के तहत पांच साल पहले शहर के जिन तालाबों को संवारने की कोशिश की गयी थी वे आज भी बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं. इन तालाबों की सफाई और सौंदर्यीकरण पर लाखों खर्च हो गये फिर भी उनकी हालत जस-की-तस है. आलम यह है कि पूर्णिया शहर के तालाब गंदगी और झाड़ियों से पटे हुए हैं, जबकि इनमें जल संरक्षण की मामूली पहल भी नहीं हो रही है. नतीजतन शहर के अधिकतर तालाब सूखने के कगार पर हैं. सरकार की योजना के तहत करीब पांच साल पहले शहर के एक दर्जन से अधिक तालाबों का चयन सफाई, सौंदर्यीकरण व जल संचय के उद्देश्य से किया गया था.
बैठने के लिए बने चबूतरे भी गंदगी से पटे
इसी तरह दो साल पहले कलेक्ट्रेट कैंपस स्थित तालाब के सौंदर्यीकरण के नाम पर सात लाख रुपये खर्च किये गये थे. उस समय सौंदर्यीकरण के नाम पर सिर्फ तालाब की उड़ाही के साथ-साथ तालाब के किनारे रंग-रोगन किया गया था. उड़ाही के करीब 5-6 महीने बाद ही यह तालाब बदहाल हो गया. यही नहीं, शहर के कई तालाब जंगल बनते जा रहे हैं. इन तालाबों में पानी कम और गंदगी व जंगल ज्यादा है. शहर के बुद्धिजीवियों का कहना है कि देखरेख नहीं होने से तालाब की हालत बदतर हो गयी है. तालाब किनारे बैठने के लिए बने चबूतरे गंदगी से पटे हैं.
तालाब के बगलवाले भी फैला रहे गंदगी
तालाब के चारों तरफ गंदगी व जंगल भरे हैं. जल जीवन हरियाली योजना के तहत साफ किये गये शहर के समाहरणालय परिसर स्थित तालाब को धीरे-धीरे आस-पास की दुकानों से निकलनेवाले कचरे से पाटा जा रहा है. इतना ही नहीं, तालाब जलकुंभी से भी पटा हुआ है. अमूमन यही स्थिति कलाभवन और लॉ कॉलेज समेत अन्य तालाबों की भी है. शहर के तालाबों के रखरखाव के लिए सरकार की ओर से हर साल लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं. वैसे, साफ-सफाई के कुछ दिनों तक तालाबों की स्थिति ठीक रहती है, पर इसके बाद फिर जस की तस हो जाती है. तालाब किनारे रहनेवाले लोगों से कचरा नहीं फेंकने की अपील की जाती रही है, लेकिन वे भी गंदगी फैलाने से बाज नहीं आते हैं.
जल संचय व संरक्षण को लेकर कोई गंभीर नहीं
यह किसी विडंबना से कम नहीं कि तालाबों में जल संचय व इसके संरक्षण को लेकर कोई भी जिम्मेदार गंभीर नहीं है. यही कारण है कि बरसात का पानी तालाबों में नहीं भर रहा है. हालांकि इस बार बारिश भी कम हुई है, पर सूखते तालाबों में जल संचय की कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं हो सकी है. रख रखाव की समुचित व्यवस्था के अभाव में एक तरफ जहां तालाबों का दायरा धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर शहर में जीवित बचे तालाबों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. इसको संवारने और संजोने की जरूरत है.
माॅनीटरिंग नहीं करता निगम प्रशासन : पार्षद
वार्ड नंबर-02 के पार्षद बबलू सहाय ने कहा कि शहर में तालाब (पोखर) के रखरखाव की स्थिति बहुत ही खराब है. इनकी खोज खबर लेने के लिए नगर निगम प्रशासन के पास समय नहीं है. तालाब की साफ-सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जाती है. जिस पोखर की सफाई के लिए सात लाख रुपये टेंडर होता है, उसमें से 50 फीसदी भी संवेदक द्वारा खर्च नहीं किया जाता है. इसके अलावा तालाब की साफ-सफाई की मॉनीटरिंग भी नगर निगम प्रशासन नहीं करता है. इसका नतीजा है कि संवेदकों का मनोबल बढ़ाहै. नवनियुक्त नगर आयुक्त से बहुत अपेक्षा है, उम्मीद है इन सबों चीजों पर ध्यान देंगे.
छठ पूजा से पहले तालाब होंगे चकाचक
सिटी मैनेजर पवन कुमार पवन ने कहा कि शहर के तालाबों के रख रखाव के लिए साफ-सफाई की जा रही है. कलाभवन, समाहरणालय परिसर पोखर की सफाई हो रही है. छठ पूजा भी आगे है. छठ पूजा से पहले शहर के सभी तालाबों की साफ-सफाई युद्ध स्तर पर की जाएगी.