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हृदयेश्वरी दुर्गापीठ में गिरा था माता सती का हृदय, दो पिण्ड की होती है पूजा

बनमनखी प्रखंड के हृदयनगर काझी स्थित हृदयेश्वरी दुर्गा शक्तिपीठ की ख्याति विदेशों तक फैली हुई है. मान्यताओं के अनुसार, माता सती का हृदय यहीं गिरा था.

विजय साह, बनमनखी. बनमनखी प्रखंड के हृदयनगर काझी स्थित हृदयेश्वरी दुर्गा शक्तिपीठ की ख्याति विदेशों तक फैली हुई है. मान्यताओं के अनुसार, माता सती का हृदय यहीं गिरा था. इसलिए इस जगह को हृदयनगर भी कहा जाता है.भारत वर्ष में 52 शक्ति पीठों में माता सती आदिशक्ति के हृदय गिरने का वर्णन पौराणिक कथा-पुरानों में वर्णित है. यहां कोशी-सीमांचल समेत बिहार, नेपाल, झारखंड, बंगाल के श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं. बुजुर्गों का मानना है कि यह हृदयेश्वरी दुर्गा शक्तिपीठ हजारों वर्ष से स्थापित है. आज एक विशाल एवं भव्य मंदिर स्थापित है. मान्यता है कि यहां की हृदेश्वरी दुर्गा शक्ति पीठ में अद्भुत शक्तियां हैं. यही वजह है कि यहां तांत्रिक भी साधना करने आते हैं. इस मंदिर में मां भगवती की मिट्टी के दो पिंड है. उसी की पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्र के समय श्रद्धालुओं द्वारा मां के चरणों में प्रसाद व चुनरी चढ़ाया जाता है. रीति रिवाज के मुताबिक, मां दुर्गे का खोयंछा भराई की भी रस्म अदायगी की जाती है. अष्टमी को निशा बलि की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद ही माता का पट खोला जाता है. शक्तिपीठ दुर्गा मंदिर पूजा समिति के अध्यक्ष शिवनारायण साह ने बताया कि माता सती का हृदय यहां गिरा था. इस शक्तिपीठ में दो पिंडियों की पूजा होती है. दो दशक पहले ग्रामीणों की मदद से सार्वजनिक रूप से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. अब सरकार के द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. शक्तिपीठ के पुजारी छोटू झा ने बताया कि मंदिर परिसर में भव्य आरती, माता का जागरण सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

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