अरविन्द कुमार जायसवाल, बीकोठी. प्रखंड के भटोत्तर गांव में 253 वर्ष से मां श्यामा काली का दरबार सज रहा है. प्राचीन काल में नदी के प्रकोप तथा जंगली जानवरों से निजात दिलाने वाली एकमात्र माता मां श्यामा काली ही थी माता काली की आराधना भी लोग पूर्व मे दुर्गा स्थान बड़हरा कोठी बजार में ही किया करते थे. मां से मन्नत तथा चढावा स्वरुप छागर तथा भैंसों की बलि दी जाती थी. उस समय इस क्षेत्र के जमींदार बाबू भज्जु सिंह माता रानी के अनन्य भक्त थे. एक बार भटोत्तर से बलि के लिए बड़हरा लाया गया भैंसा की बलि नहीं हो पायी. भैंसा स्वतः वहां से चलकर वर्तमान में जहां मा श्यामा मंदिर है वहां आकर बैठ गया और उसके आगे मेंआपरूपी एक पिण्ड बन गया.इसी दिन भटोत्तर गांव में लोगों ने मां श्यामा काली की स्थापना कर दी. तब से आजतक यहां प्रतिमा बना कर प्राण प्रतिष्ठा कर दो दिवसीय मेला का आयोजन होता आ रहा है. आज भी पहली छागर की बली बाबु भज्जु सिंह के वंशज की ओर से ही होती है. मा श्यामा काली मंदिर का भव्य निर्माण 03 .02 .2023 से हो रहा है जिसे पूर्ण होने का लक्ष्य 2025 तक रखा गया है. यहां मेला दीपावली के उपरांत दो दिनों तक चलता है. यहाँ प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी महिला फुटबॉल एवं पुरूष मैच का आयोजन रखा गया है. दो दिवसीय मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन है. मेला अध्यक्ष धनेश सिंह बबू, सचिव रवि सिंह ने बताया कि यह मंदिर जब बन कर तैयार होगा तो पूर्णिया जिला का पहला भव्य मंदिर भटोत्तर गांव का होगा. फोटो. 23 पूर्णिया 23, – मां श्यामा काली मंदिर पूर्व का 24- निर्माण मंदिर मां श्यामा काली मंदिर
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