ड्रोन उड़ाने के लिए परिचालन प्रमाणपत्र और ड्रोन का रजिस्ट्रेशन जरूरी
गृह विभाग ने विभिन्न कार्यों में ड्रोन के अत्याधिक प्रयोगों को देखते हुए स्पष्ट किये नियम- रेड और ग्रीन जोन होंगे प्रतिबंधित क्षेत्र, सिर्फ ग्रीन जोन में ड्रोन उड़ाने की रहेगी अनुमति
– गृह विभाग ने विभिन्न कार्यों में ड्रोन के अत्याधिक प्रयोगों को देखते हुए स्पष्ट किये नियम – रेड और ग्रीन जोन होंगे प्रतिबंधित क्षेत्र, सिर्फ ग्रीन जोन में ड्रोन उड़ाने की रहेगी अनुमति संवाददाता, पटना सुरक्षा, शिक्षा, व्यापार, कृषि, उद्योग सहित विभिन्न माध्यमों में ड्रोन के बढ़ते उपयोग को देखते हुए राज्य सरकार ने ड्रोन संचालन के नियमों को स्पष्ट किया है. गृह विभाग ने सार्वजनिक सूचना जारी कर कहा है कि किसी मानव-रहित वायुयान प्रणाली (ड्रोन) को डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म digitalsky.dgca.gov.in पर रजिस्टर्ड कराये बिना संचालित नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही नैनो ड्रोन (250 ग्राम) से अधिक वजन वाले ड्रोन का परिचालन प्रमाणपत्र प्राप्त रिमोट पायलट द्वारा ही किया जायेगा. डीजीसीए द्वारा प्राधिकृत रिमोट पायलट प्रशिक्षण संस्थान से सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पाने वाले व्यक्ति को ही यह प्रमाणपत्र मिलेगा. प्रमाणपत्र की वैद्यता सिर्फ 10 वर्षों की होगी. उड़ान की तीन श्रेणियां निर्धारित, सिर्फ ग्रीन जोन में उड़ाने की अनुमति गृह विभाग ने ड्रोन उड़ान को लेकर समूचे वायु क्षेत्र को तीन भागों रेड, येलो और ग्राीन जोन में बांटा है. रेड जोन में ड्रोन संचालन के लिए केंद्र सरकार, जबकि येलो जोन में ड्रोन उड़ाने के लिए संबंधित एयर ट्रैफिक कंट्रोल से अनुमति की आवश्यकता होगी. अंतराष्ट्रीय सीमा से अंदर 25 किमी, किसी भी संचालित हवाई अड्डा के चारों ओर पांच किमी दूर तक, राज्य सचिवालय/निदेशालय परिसर के चारों ओर तीन किमी दूर तक, सैनिक संस्थान/प्रशिक्षण केंद्र की सीमा से तीन किमी दूर तक और तेल रिफाइनरी/थर्मल पावर स्टेशन आदि से दो किमी दूर तक का क्षेत्र रेड जोन घोषित है. परिचालित हवाई अड्डे की परिधि से पांच किमी और आठ किमी के बीच स्थित संपूर्ण क्षेत्र, जबकि हवाई अड्डे की परिधि से आठ किमी और 12 किमी के बीच का हवाई क्षेत्र में 60 मीटर या 200 फीट से ऊपर येलो जोन माना जायेगा. रेड अथवा येलो जोन से बाहर सभी क्षेत्र ग्रीन जोन में आयेंगे. ग्रीन जोन में अधिकतम 400 फीट या 120 मीटर की ऊंचाई तक ड्रोन उड़ाने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है. हवाई अड्डे की परिधि से आठ से 12 किमी के क्षेत्र में अधिकतम 200 फीट या 60 मीटर की ऊंचाई तक का हवाई क्षेत्र ग्रीन जोन की श्रेणी में होगा. ग्रीन जोन में 400 फीट या 120 मीटर से ऊपर की ऊंचाई का हवाई क्षेत्र येलो जोन में तब्दील हो जायेगा, जहां ड्रोन उड़ाने के लिए अनुमति की आवश्यकता होगी. राज्य सरकार ने ड्रोन के सुरक्षित संचालन एवं परिचालन को लेकर डीएम की अध्यक्षता में सभी जिलों में जिलास्तरीय समिति का गठन किया है. ड्रोन से संबंधित नियमों का उल्लंघन करने पर ड्रोन को मार गिराया जा सकेगा. साथ ही कानूनी कार्रवाई भी होगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है