जीएमसीएच में पानी के लिए तरस रहे मरीज
पीने योग्य पानी के लिए लगाये गये नल और हैंडपंप या तो खराब पड़े हैं या उनसे निकलने वाले जल पीने योग्य नहीं हैं
पूर्णिया. जल ही जीवन है. ये महज कहावत नहीं बल्कि हकीकत है. पानी के बिना जीव की कल्पना असम्भव है. लेकिन जिले के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में अपने जीवन की रक्षा के लिए पहुंचने वाले मरीजों और उनके परिजनों को आसानी से पीने योग्य पानी मिल जाये यह फिलहाल संभव नहीं दिखता. ऐसा भी नहीं है कि मेडिकल कॉलेज के पूरे परिसर में वाटर सप्लाई नहीं है लेकिन पीने योग्य पानी के लिए लगाये गये नल और हैंडपंप या तो खराब पड़े हैं या उनसे निकलने वाले जल पीने योग्य नहीं हैं.
जल बिल्कुल ही पीने योग्य नहीं :
जीएमसीएच कैंपस में मरीजों के लिए तकरीबन चार हैंडपंप हैं जिनमें से दो खराब ही पड़े हैं. पेयजल की मशीन भी भर्ती मरीजों के वार्ड कैम्पस में हैं लेकिन उनसे निकलने वाले जल बिल्कुल ही पीने योग्य नहीं हैं. मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि उस पानी से गंदगी के साथ साथ दुर्गन्ध भी आती है. दूसरी ओर नए ओपीडी बिल्डिंग के ठीक सामने एक हैंडपंप चालू अवस्था में दिखाई देता है साथ ही वहां पेयजल की एक मशीन भी लगी है लेकिन वार्ड से दूर रहने की वजह से भर्ती मरीज के परिजन वहां तक जाना नहीं चाहते या बहुत से मरीजों को वहां की जानकारी ही नहीं होती है. ले देकर एक मात्र हैंडपंप जो सिविल सर्जन कार्यालय के निकट स्थित काली मंदिर के ठीक पूरब भाग में अवस्थित है, वहां अक्सर मरीजों और उनके परिजनों की भीड़ लगी रहती है. इसी हैंडपंप पर प्रसव वार्ड के दोनों तल्ले, एसएनसीयू वार्ड के बच्चों के परिजन, कंगारू सेवा, महिला सर्जरी वार्ड, पुरुष सर्जरी वार्ड, मेडिसीन वार्ड, बच्चा वार्ड तथा आपात स्थिति में इलाज के लिए आनेवाले तथा भर्ती लोगों की प्यास बुझाने का जिम्मा है.दो स्थानों पर से हटा दिए गये पेयजल के श्रोत :
जीएमसीएच में पूर्व में स्थापित दो स्थानों के पेय जल श्रोतों को हटा दिए जाने से ख़ास तौर पर महिलाओं की परेशानियां बेहद बढ़ गयी हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले प्रसव वार्ड तथा एसएनसीयू वार्ड के बिलकुल सटे एक हैंडपंप कार्यरत हुआ करता था जिससे महिलाओं को पानी के लिए कहीं दूर नहीं जाना पड़ता था लेकिन नाले और सडक निर्माण को लेकर जब से हैंडपंप वहां से हटा है लोगों की परेशानियां बढ़ गयी हैं. वहीँ बच्चा वार्ड के निकट भी पेयजल की मशीन को हटा दिए जाने से एक मात्र चालू हैंडपंप पर चारो ओर का दबाव बढ़ गया है. बर्तन धोने से लेकर पीने के पानी के लिए कई बार उन्हें एक छोर से दूसरी छोर तक जाना पड़ता है.अस्पतालकर्मी घर से ही लेकर आते हैं पानी :
मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश जीएमसीएच कर्मी अपने साथ घर से ही पेयजल लेकर आते हैं. दूसरी ओर अन्य लोगों के लिए बोतलबंद पानी खरीदने की मजबूरी बनी हुई है. जबकि अस्पताल परिसर से पेयजल लेने वालों का कहना है कि जो मिल रहा है उसी से किसी तरह काम चलाना पड़ता है. लोगों का कहना है कि पूरे अस्पताल परिसर में इन हैंडपंपों के अलावा कम से कम चार पेयजल की मशीनें लग जाने से इस गरमी के सीजन में लोगों को राहत मिलेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है