डायरिया, वायरल फीवर समेत जानलेवा संक्रामक रोगों के फैलाव की आशंका
मुहल्ले की आबोहवा को प्रदूषित कर रही है कचरों की ढेर से निकलने वाली दुर्गन्ध
पूर्णिया. शहर में एक मुहल्ले में कचरे की ढेर के बीच बसे लोगों की जान सांसत में है. यहां रहने वाले आशंकित हैं कि कहीं कोई जानलेवा संक्रामक बीमारी न फैल जाए. हालांकि अपने तई वे अपने घरों में बाजार से खरीद कर ब्लीचिंग का छिड़काव करते हैं पर कचरों से निकलने वाली दुर्गंध पूरी आबोहवा को प्रदूषित कर रही है. स्थानीय लोगों की मानें तो यहां डायरिया, वायरल फीवर, जैसी बीमारियां आम हो गई हैं. अगर देखा जाए तो यहां रहने वाले से. लोगों में औसतन नब्बे लोग खुद को बीमार बता रहे हैं. बच्चों में चर्म रोग फैल रहा है. यहां के पशुओं के सामने भी बड़ा संकट है. दरअसल, यह आबादी शहर के वार्ड 34 के अन्तर्गत बसी हुई है. पूर्णिया सिटी से हांसदा होते हुए गुलाबबाग आने वाली सड़क के समीप रेलवे लाइन और कलीजान धार के बीच बसे मुहल्ले को लोग नया टोला कहते हैं. यहां मूल रुप से अनुसूचित जाति व जनजाति के लोग रहते हैं जबकि कुछ अन्य जातियां भी बसी हुई हैं. सभी भूमिहीन हैं जिन्हें अस्सी के दशक में तत्कालीन विधायक अजीत सरकार ने बसाया था. अभी यहां की आबादी तीन-साढ़े तीन हजार के करीब है और विडंबना है कि इसी आबादी के बीच शहर के कचरों का डंपिंग सेंटर बना हुआ है जहां खुले में कचरे जमा किए जाते हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो शुरुआती दौर में यहां कचरा डंपिंग सेंटर बनाए जाने का कड़ा विरोध किया गया था पर कोई सुनवाई नहीं हुई. उल्टे कुछ लोगों पर मुकदमा कर उलझा दिया गया. बाद में यहां रहने वालों ने कचरों की बदबू को अपनी नियति मान ली. यहां रहने वाले अधिकांश लोग बीमार रहते हैं. उल्टी और दस्त से लोग अक्सर जूझते हैं. इसके लिए अस्पताल से दवा भी लेते हैं पर रोग खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. खास तौर पर बूढ़े और बच्चों की परेशानी ज्यादा है. यहां के माणिक लाल, पूनम देवी,प्रमोद ऋषिदेव आदि बताते हैं कि बच्चों के शरीर पर अजीब किस्म के फोड़े-फुंसी हो रहे हैं जिसमें लहर और खुजलाहट रहती है. पूनम देवी ने बताया कि पिछले दिनों उल्टी-दस्त करते-करते 50 वर्षीय शिवलाल की मौत हो गई थी. यहां के लोग इसे कचरे के प्रदूषण से जोड़ कर देख रहे हैं. यहां के नागरिकों का कहना है कि गंदगी के चलते मच्छरों और मक्खियों की बाढ़ सी आ गई है.कहते हैं डाक्टर
स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती है कचरों का ढेर
कचरे वाले स्थानों पर कुत्ते, बिल्ली, चूहों आदि का आना जाना लगा रहता है. इनके मलमूत्र से बच्चों में परजीवी द्वारा इन्फेक्शन फैलने का खतरा रहता है इनमें (परजीवी संक्रमण) चमड़े के अन्दर परजीवी, फेफड़े और मस्तिष्क के अन्दर पहुंच रकते हैं जिससे खून की उल्टी, दूसरा लेप्टोस्पायरोसिस भी फ़ैल सकता है. बैक्टेरियल इन्फेक्शन, क्रिपिंग इरप्शन भी है. खाली पांव घूमने से फंगल इन्फेक्शन, घाव, अगर स्किन में कुछ कट हो तो यह कचरा और भी घातक रूप ले सकता है. टीबी, हाथ और पैर में एक्जीमा की समस्या बढ़ सकती है. एलर्जिक बच्चों को अस्थमा का अटैक भी आ सकता है.
फोटो- 6 पूर्णिया 5- डॉ. प्रेरणा झा, एचओडी स्किन, जीएमसीएच——————कहते हैं नगर आयुक्त
हांसदा में जमा कचरे के ढेर को पीछे कर समतल किया जा रहा है. इसके बाद अमीन को आदेश दिया गया है कि 10 एकड़ जमीन की मापी कर चिन्हित करें. मापी के बाद जमीन के चारों साइड बाउंड्री किया जायेगा. इसके बाद विभाग के आदेश आने के बाद डंपिंग यार्ड की प्रक्रिया शुरू की जायेगी.फोटो: 6 पूर्णिया 6- बिनोद कुमार सिंह, नगर आयुक्तफोटो. 6 पूर्णिया 3- पूर्णिया सिटी के बगल में बसे नया टोला में कचरों की ढेर
4- बच्चे जो दवा के लगातार सेवन से स्वस्थ हो गयेडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है