Lok Sabha Election 2024: पूर्णिया में पप्पू यादव के डटे रहने से रोचक हुई चुनावी जंग

Lok Sabha Election 2024 सभी दलों व प्रत्याशियों पर भितरघात का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे लोग बाहर से कुछ अंदर से कुछ और ही दिखते हैं. तन से पार्टी की तरफ और मन से कहीं और हैं. वजह एक ही है. कोई दल से खफा है, तो कोई पार्टी की व्यवस्था से.

By RajeshKumar Ojha | April 15, 2024 8:50 AM

पूर्णिया से अरुण कुमार
Lok Sabha Election 2024 खेतों में गेहूं की फसल तैयार है, जबकि मकई के तैयार होने में अभी देर है. गेहूं की फसल को देख किसानों को खुशी भी है और चिंता भी. खुशी की बात यह कि इस बार फसल ठीक-ठाक हुई है. चिंता यह कि खलिहान पहुंचने से पहले ही चूहे खेतों में ही सारे दाने चट नहीं कर जायें. इस चिंता के बीच किसान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. एक मिनट की फुरसत नहीं. किसानों के अलावा एक और जमात परेशान है. यह जमात है-नेताओं व प्रत्याशियों की. किसानों को जहां अपनी फसल की चिंता है, वहीं नेताओं व प्रत्याशियों को वोट की.

 ऐसे में नेता व प्रत्याशी भी जमीन-आसमान एक किये हुए हैं. किसान खेतों और नेता व प्रत्याशी चुनाव मैदान में पसीना बहा रहे हैं. यह संयोग है कि किसानों की तरह नेताओं ने जो सियासी फसल लगाये हैं, उसे काटने का भी यही वक्त है. फर्क सिर्फ इतना है कि गेहूं की फसल पांच माह में और सियासी फसल पांच साल में काटी जाती है. पूर्णिया में गेहूं की तरह सियासत की फसल लहलहा तो रही है, मगर यह वोट में कैसे तब्दील होगी? यह सवाल हर प्रत्याशी को बेचैन किये हुए है. चैत की इस तीखी धूप और पुरवा हवा के बीच किसानों की तरह प्रत्याशियों के होंठ सूखे हुए हैं.

अभी सिर्फ सुनिए, भरोसा मत कीजिए
पूर्णिया से रूपौली जाने वाली सड़क के दोनों तरफ खेतों में पकी गेंहू की बालियां और सीना ताने खड़ी मकई की लहलहाती फसलों की ओर बरबस ही नजर चली जाती है. किसान पछिया हवा के बहने का इंतजार कर रहे हैं. पछिया में नमी कम होने से दौनी अच्छी होती है. इधर, मतदान की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, प्रत्याशी हवा का रुख भांप अपने मनोनुकूल माहौल बनाने में जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं. बीच-बीच में सड़क पर झंडे लगे नेताओं की सरपट दौड़ती गाड़ियां चुनाव का अहसास करा जाती है. मीरगंज में एक चाय की दुकान पर हम सवाल करते हैं-‘यहां चुनाव जैसा लगता नहीं है, न कहीं कोई बैनर और न कहीं कोई झंडा.’

सवाल पूरा होते-होते चाय के प्याले से साथ दुकानदार जवाब लेकर खड़ा है-‘लगेगा कैसे ? अब चुनाव का ट्रेंड बदल गया है. झंडा-बैनर से नहीं, अब मैसेज से वोट मिलता है.’ आगे धमदाहा घाट के समीप खेत की मेड़ पर खड़े किसान अशोक सिंह से मुलाकात होती है. क्या हाल है यहां चुनाव का? इसके जवाब में अशोक कहते हैं-‘हवा बन चुकी है. सिर्फ उसे सूंघने की जरूरत है. जो हवा का रुख जान लेगा, वह धोखा नहीं खायेगा.’ पूर्णिया से रूपौली तक करीब 100 किलोमीटर के सफर में काझा हो या परोरा, मीरगंज या धमदाहा या फिर भवानीपुर हो या रुपौली. हवा एक जैसी है, पर मतदाता खुल नहीं रहे. जो दिल में है, वह जुबान पर नहीं और जो जुबान पर है, वह दिल में नहीं. अंदर कुछ और बाहर कुछ. भवानीपुर के दिनेश मंडल कहते हैं कि यहां सब कुछ एक रात में पलटी खाता है. अभी सिर्फ सुनिए, भरोसा मत कीजिए.

छोड़िये चुनावी मुद्दे को, कौन करता है पूरा
बात आगे बढ़ी तो पूछा क्या है चुनावी मुद्दा. छोड़िये मुद्दे को. किसको इसकी परवाह है. वादे तो सब करते हैं पर पूरा कौन करता है. कहते-कहते रूपौली के संजय विश्वास की आवाज कुछ तल्ख हो जाती है. रूपौली चौक पर भी चहल-पहल है. चाय की दुकानों में कुछ लोग अखबार पढ़ रहे हैं. पूछने पर एक ने कहा- यहां लड़ाई आर-पार की है. दूसरे ने कहा- अभी कहना मुश्किल है. छात्र किशोर कहते हैं-विकास करने वालों को ही इस बार वोट देंगे.

2014 का चुनाव परिणाम

संतोष कुमारजदयू4,18,826
उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंहभाजपा302157
अमरनाथ तिवारी कांग्रेस124344

पप्पू यादव के डटे रहने से रोचक हुई चुनावी जंग 
वैसे तो पूर्णिया लोकसभा सीट से इस बार कुल सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला एनडीए गठबंधन से जदयू प्रत्याशी सह निवर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा, इंडिया गठबंधन से राजद प्रत्याशी पूर्व विधायक बीमा भारती और निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के बीच है. पप्पू यादव के चुनाव मैदान में डटे रहने से इस बार पूर्णिया की चुनावी जंग रोचक हो गयी है. गौरतलब है कि एनडीए में यह सीट जदयू के खाते में है और जदयू ने इस सीट से संतोष कुमार कुशवाहा को तीसरी बार उतारा है.

लगातार दो ट्रम (2014 व 2019) से चुनाव जीत रहे श्री कुशवाहा इस बार हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं. इस सीट से राजद-कांग्रेस के भरोसे पप्पू यादव महागठबंधन का उम्मीदवार बनना चाहते थे, लेकिन अंतिम क्षणों में राजद ने पूर्व विधायक बीमा भारती को चुनाव मैदान में उतारकर सभी को चौंका दिया. अति पिछड़ा वर्ग से आनेवाली बीमा भारती हाल ही में जदयू से राजद में शामिल हुई हैं. पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र की रूपौली विधानसभा सीट से वह पांच बार विधायक चुनी गयी हैं और दो बार मंत्री भी रही हैं. इधर, 25 साल बाद पप्पू यादव अपने पुराने घर वापस लौटे हैं. अपने 50 साल के राजनीतिक सफर में पप्पू यादव पांच बार सांसद बने. इनमें तीन बार पूर्णिया से ही सांसद रहे. 1991 में दसवीं लोकसभा चुनाव में पहली बार पप्पू यादव की लोकसभा में एंट्री हुई. 1996 में दूसरी बार जीते. 1998 हार गये. फिर एक साल बाद हुए 1999 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने जीत का परचम लहराया.

2019 का चुनाव परिणाम

संतोष कुमारजदयू6,32,924
उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंहकांग्रेस3,69,463

क्या है चुनाव का समीकरण
पूर्णिया लोकसभा सीट पर चुनावी सफलता की कुंजी एम-वाई ( मुस्लिम और यादव) और अति पिछड़ा मतदाताओं के ‘संतुलन’ और ‘असंतुलन’ पर बहुत हद तक टिकी है. राजनीति के जानकारों की माने, तो आमने-सामने की लड़ाई में एम-वाई अपनी निर्णायक भूमिका निभाता रहा है. त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति में एम-वाई दुविधा में पड़ सकती है. राजद ने अति पिछड़ा को खड़ा कर जहां भाजपा के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है, वहीं एम-वाई के साथ अति पिछड़ों को जोड़कर जीत का एक बड़ा आधार भी बनाया है.

लेकिन इसी वोट बैंक के आसरे पप्पू यादव के चुनाव मैदान में डटे रहने से महागठबंधन का यह चुनावी गणित फिलहाल उलझा दिख रहा है. कुल मिलाकर इस चुनावी जंग में एक ओर जहां महागठबंधन अपनी जीत के लिए एम और वाई समीकरण को कांग्रेस के जरिये संतुलित करने की कोशिश में जुटा हुआ है, वहीं एनडीए लालू यादव के माय समीकरण को असंतुलित कर अपने कोर वोट बैंक के साथ महादलित और अति पिछड़ों को साधने की कोशिश में जुटा हुआ है. पप्पू यादव एम-वाई के पुराने समीकरण और नामांकन के बाद नये राजनीतिक ध्रुवीकरण से उपजे वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं.

हर पार्टी में भितरघात का खतरा
कमोवेश सभी दलों व प्रत्याशियों पर भितरघात का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे लोग बाहर से कुछ अंदर से कुछ और ही दिखते हैं. तन से पार्टी की तरफ और मन से कहीं और हैं. वजह एक ही है. कोई दल से खफा है, तो कोई पार्टी की व्यवस्था से. सबसे ज्यादा उन नेताओं में नाराजगी है, जो इस बार टिकट से वंचित रह गये. हालांकि इसकी भनक शीर्ष नेताओं को है. समय रहते इसे ठीक करने के प्रयास किये जा रहे हैं. रूठे नेताओं को मनाने की कोशिश की जा रही है.

पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र

कुल मतदाता22,06,663
पुरुष मतदाता11,40,982
महिला मतदाता10,65,602
थर्ड जेंडर79


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