Purnia news : नगर निगम के कर्मचारी धीरे-धीरे घट रहे हैं. कहीं कोई कर्मी इस्तीफा दे रहा है, तो कोई रिटायर हो रहा है, जबकि पहले से ही सृजित पद के अनुरूप कर्मचारी नहीं हैं. आलम यह है कि कर्मचारियों की संख्या घट कर 50 फीसदी कम हो गयी है, जबकि निगम का दायरा बढ़ गया है और काम भी अपेक्षाकृत बढ़ा है. इस लिहाज से यह चिंता का विषय है. यही हाल रहा तो आनेवाले दिनों में निगम का काम कैसे चलेगा, इस पर न तो नगर विकास विभाग की नजर जा रही है और न ही निगम के अधिकारी समस्या के निदान को लेकर पहल कर रहे हैं. नतीजतन कर्मियों पर वर्क लोड बढ़ता जा रहा है.
पहले से ही सृजित पद से कम हैं कर्मी
अभी हाल ही में निगम के जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के सहायक पदाधिकारी उदय प्रताप सिंह ने इस्तीफा दे दिया है और इसका असर काम काज पर भी पड़ता दिख रहा है. वैसे, उदय प्रताप सिंह आउट सोर्सिंग के जरिये कार्यरत थे, पर परेशानी यह है कि निगम में स्थायी कर्मचारियों की कमी पहले से ही है. कई पदाधिकारी बीमार चल रहे हैं. करीब दो साल पहले भी निगम के दो कर्मी कार्य छोड़ चुके हैं. वे आवास योजना में कार्यरत थे. निगम के जानकारों का कहना है कि यहां सृजित पद के अनुरूप कर्मचारियों की संख्या पहले से ही कम है. इस बीच निगम के कई कर्मी सेवानिवृत्त भी होते रहे, लेकिन उन पदों पर बहाली अब तक नहीं हो सकी है. विभागीय स्तर पर इसके लिए कोई सकारात्मक पहल भी नहीं हो सकी. जानकार कहते हैं कि यदि यही हालत रही तो वर्ष 2030 तक शेष स्थायी कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे और तब निगम को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
नगर पालिका से निगम हुआ, वार्ड बढ़े, पर नहीं बढ़े कर्मचारी
यह विडंबना है कि पूर्णिया नगर पालिका से नगर निगम बन गया. इसके वार्ड भी बढ़ गये फिर भी कर्मचारियों के मामले में पुरानी व्यवस्था कायम रही. पूर्णिया जब नगर पालिका था, तो इसमें 27 वार्ड थे. बाद में जब यह नगर परिषद बना, तो वार्ड बढ़कर 33 हो गये. अब जब नगर निगम बना है, तो वार्ड बढ़कर 46 हो गये हैं. शहर की आबादी भी बढ़कर चार लाख के करीब पहुंच गयी है. जानकारों ने बताया कि नगर पालिका के समय सृजित पद 256 था. इसमें कार्यालय पदाधिकारी से लेकर सफाई कर्मी और ड्राइवर शामिल थे. आलम यह है कि नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या दोगुनी से अधिक हो चुकी है, लेकिन निगम की संरचना जस-की-तस है. वार्ड के साथ संसाधन भी बढ़ाये गये, लेकिन कर्मियों का पद जस का तस रह गया.
निगम में महज 15 स्थायी कर्मी, काम का भी है बोझ
फिलहाल पूर्णिया नगर निगम में पहले के 256 पद सृजित हैं. इसमें निगम कार्यालय में कार्यरत स्थायी कर्मचारियों की संख्या करीब 24 और सफाई कर्मी और ड्राइवर की संख्या करीब 70 तक पहुंच चुकी है. इन 24 स्थायी कर्मियों में करीब 10 कर्मी की बहाली अनुकंपा पर हुई है. यदि सीधे तौर पर निगम कार्यालय में स्थायी कर्मियों की बात करें, तो करीब 15 कर्मी ही स्थायी रूप में कार्यरत हैं, जिन पर एक से अधिक विभाग का भार है. हालांकि निगम में आउट सोर्सिंग के जरिये भी कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों की घोर कमी है. निगम में 46 वार्ड हैं. निगम के 46 वार्डों के लिए सिर्फ आठ वार्ड पर्यवेक्षक कार्यरत हैं. यानी एक वार्ड पर्यवेक्षक पर 4 से 5 वार्ड का दबाव है.
बीमार चल रहे कई कर्मचारी
एक तरफ कर्मचारियों की कमी है और दूसरी तरफ स्थायी कर्मियों में ऐसे कई पदाधिकारी हैं, जो बीमार चल रहे हैं. उपलब्ध जानकारी के मुताबिक निगम लेखपाल सुब्रत कर्मकार बीमार हैं. उनका इलाज चेन्नई में चल रहा है. नाजिर अरविंद कुमार सिंह (काजू) को पिछले दिनों हृदयाघात हो गया था. उनका इलाज मैक्स-7 में चला. वह पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं हुए हैं. हालांकि कार्यालय जरूर आ रहे हैं. यदि इस हफ्ते की बात करें, तो गिने चुने ही स्थायी कर्मी कार्यरत हैं.
इस्तीफे से कामकाज पर असर नहीं : उप नगर आयुक्त
उपनगर आयुक्त पंकज कुमार ने कहा कि जन्म-मृत्यू प्रमाणपत्र विभाग के सहायक कर्मी उदय प्रताप सिंह की इस्तीफे की जानकारी मिली है. श्री सिंह की जगह पर नगर आयुक्त के आदेश पर दूसरे कर्मी की प्रतिनियुक्ति की गयी है. श्री सिंह के इस्तीफे से विभाग के काम-काज पर कोई असर नहीं पड़ा है.