Purnia news : डेंगू के संक्रमण ने अब छोटे शहरों, कस्बों और गांव तक अपने पैर पसार लियेहैं. प्रत्येक वर्ष बरसात शुरू होने से लेकर बरसात के बाद तक इसके फैलने का खतरा बना ही रहता है. खास तौर पर पर्व और त्योहार आदि के विशेष मौकों पर दूर-दराज के नगरों, महानगरों से अपने घर लौटे लोगों द्वारा इसके प्रसार की प्रबल आशंका होती है. हालांकि अप्रैल माह से ही पूर्णिया जिले में लगातार डेंगू के छिटपुट मामले आने शुरू हो गये थे, लेकिन इस दरम्यान जिले में ढाई दर्जन लोगों की डेंगू जांच में पॉजिटिव पाये जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हो गया है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि पूर्व की भांति जिले में डेंगू के मामलों को लेकर सारी तैयारियां पहले से ही की जा चुकी हैं. पर, लोगों में जागरूकता की कमी से मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका है.
एडीस मच्छर से फैलनेवाला संक्रमण है डेंगू
चिकित्सकों के अनुसार, डेंगू बुखार एक रोग है, जो डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है. यह एक विशेष प्रकार के एडीस मच्छर से फैलने वाला संक्रमण है. यह मच्छर जब किसी डेंगू पीड़ित मरीज को काटने के बाद किसी स्वस्थ मरीज को काटता है, तो संक्रमण का फैलाव होने लगता है. आम तौर पर इसके लक्षण फ्लू से मिलते-जुलते हैं. डेंगू बुखार में मरीज के खून में प्लेटलेट्स की संख्या काफी कम हो जाती है. डेंगू संक्रमण के कई लक्षण शरीर पर दिखायी पड़ते हैं. इनमें तेज बुखार, उल्टी, पूरे शरीर में अत्यधिक दर्द प्रमुख हैं. पर, सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही डेंगू का संक्रमण नहीं माना जा सकता. इसके लिए रक्त की जांच जरूरी है. रैपिड एंटीजेन और एलिजा टेस्ट द्वारा इसकी पहचान की जाती है. परहेज, दवा एवं पौष्टिक भोजन द्वारा कुछ समय बाद मानव शरीर में डेंगू का प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है.
जीएमसीएच ट्रॉमा केंद्र को डेंगू वार्ड में किया गया तब्दील
जिले में डेंगू को लेकर विशेष व्यवस्था के तौर पर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में तैयारी कर ली गयी है. इसमें डेंगू पीड़ितों के लिए 10 बेड सुरक्षित रखे गये हैं, जहां उनके आवासन एवं उपचार की व्यवस्था की गयी है. साथ ही जीएमसीएच में विशेष रूप से जलजमाव एवं साफ-सफाई की व्यवस्था पर और भी ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है.
ट्रॉमा सेंटर में 10 बेड सुरक्षित रखे गये हैं : अधीक्षक
जीएमसीएच अधीक्षक डॉ संजय कुमार ने बताया कि डेंगू के संभावित खतरे को लेकर पहले से ही सतर्कता बरती जा रही है. फिलहाल स्वच्छता व साफ-सफाई पर और भी ज्यादा जोर दिया जा रहा है. किसी भी आपात स्थिति में डेंगू मरीजों के लिए ट्रॉमा सेंटर में 10 बेड सुरक्षित रखे गये हैं. दूसरी ओर जांच के लिए रैपिड एंटीजेन किट और एलिजा टेस्ट की सुविधा के साथ-साथ सारी दवाइयां भी उपलब्ध हैं.
बचाव के तरीकों को अपनाने की जरूरत : डॉ नीरज
जीएमसीएच के एपिडेमोलोजिस्ट डॉ नीरज कुमार निराला ने बताया कि जनवरी से लेकर अबतक 30 मरीजों में जांच के बाद डेंगू की पुष्टि हुई है. इस माह सबसे ज्यादा केस आये हैं. इसके अलावा फिलहाल ऐसे गंभीर मामले अभी नहीं आये हैं, जिसमें मरीजों को आपात डेंगू वार्ड में रखा जाए. आम लोगों में स्वच्छता अपनाने एवं जलजमाव समाप्त करने के साथ-साथ इससे बचाव के तरीकों को भी अपनाने की जरूरत है.