Purnia news : मखाना प्रोसेसिंग यूनिट बदल सकती है पूर्णिया के किसानों की किस्मत
Purnia news : इथेनॉल प्लांट सरकार की पहली पहल रही, जबकि अब पूर्णिया में मखाना प्रसंस्करण यूनिट की नींव रखी जा रही है.
Purnia news : पूर्णिया और कोसी प्रमंडल में कृषि ही रोजगार का प्रमुख साधन रहा है और यही वजह है कि लंबे अर्से से यहां कृषि आधारित उद्योग लगाये जाने की मांग होती रही है. किसानों को यह मलाल हमेशा से रहा है कि उनके कृषि उत्पादों का वास्तविक मूल्य नहीं मिल पाता. दूसरे प्रदेशों में पलायन की भी यही वजह रही है. मगर, बदलते दौर में सरकार और जिला प्रशासन के प्रयासों के बीच हालात में बदलाव अभी से नजर आने लगा है. इस दिशा में इथेनॉल प्लांट सरकार की पहली पहल रही, जबकि अब पूर्णिया में मखाना प्रसंस्करण यूनिट की नींव रखी जा रही है. समझा जाता है कि आनेवाले दिनों में इस इलाके के प्रमुख कृषि उत्पादों से जुड़े औद्योगिक प्लांट लगाये जा सकते हैं. इससे यहां रोजगार के द्वार खुल जाएंगे. प्रशासन के हालिया प्रयासों से किसानों की उम्मीदें भी जग गयी हैं.
आपदा से फसल नुकसान के बीच मिला मखाना का विकल्प
अमूमन हर साल बाढ़, तूफान जैसी आपदाएं यहां के किसानों की किस्मत उजाड़ती रही हैं. मगर, बदलते दौर में प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान का दर्द झेलते रहनेवाले किसानों को मखाना एक अनोखा विकल्प मिल गया है, जो मौसम की मार से न केवल महफूज है, बल्कि मुनाफा भी कई गुना ज्यादा है. बाद के दिनों में विदेशों में बढ़ती मांग ने किसानों को मखाना का एक बड़ा बाजार भी दे दिया है. यह भी अहम है कि मखाना ने पूर्णिया की वैश्विक पहचान भी बनायी, जिससे पूर्णिया और आसपास के इलाकों के किसान मखाना जैसी नकदी फसल की खेती में दिलचस्पी लेने लगे.
मक्का की मांग ने इसकी खेती का क्रेज बढ़ाया
दरअसल, हालिया वर्षों में विदेशों में बढ़ी मक्का की मांग ने इसकी खेती का क्रेज बढ़ाया है. मखाना की भी अच्छी कीमत मिलने लगी है. आलम यह है कि पहले जिन निचले खेतों में धान की खेती होती थी, उसे किसानों ने मखाना का खेत बना लिया है. आलम यह है कि मखाना के लिए किसानों ने धान का रकबा कम कर दिया. जिन नीचे वाले खेतों में कभी धान की खेती होती थी, वे अब मखाना के खेत बन गये हैं. स्थिति यह है कि मखाना की खेती का रकबा हर साल बढ़ता जा रहा है. आज देश का 70 फीसदी मखाना का उत्पादन पूर्णिया व कोसी में हो रहा है.
स्टार्टअप पूर्णिया से मखाना को मिला संबल
स्टार्ट-अप पूर्णिया अभियान से जिले में जहां अन्य कई उद्योग विकसित हुए हैं, वहीं मखाना उद्योग को भी संबल मिला है. इस योजना के तहत यहां भारत की सबसे बड़ी मखाना प्रसंस्करण की इकाई फार्मले की स्थापना की जा रही है. समझा जाता है कि इसी महीने इस पर काम भी शुरू होगा. अभी हाल ही में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 03 करोड़ 08 लाख तथा बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत 02 करोड़ 75 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया है. गौरतलब है कि स्टार्ट-अप पूर्णिया अभियान से जुड़ कर पूर्णिया के उद्यमी मखाना के अलावा अन्य वस्तुओं का विभिन्न देशों में निर्यात कर रहे हैं. इससे किसानों की उम्मीदें बढ़ी हैं और कृषि उत्पादों को बढ़ावा मिला है.
मक्का व केला का भी खुले प्लांट
मखाना के अलावा भी अन्य कृषि उत्पादों से जुड़े फूड प्रोसेसिंग प्लांट खुलें, तो यहां के किसानों की किस्मत संवर सकती है. मक्का, मखाना और केला जिले के किसानों की मुख्य फसल है. पूर्णिया और कोसी में हर साल 16.24 लाख मीट्रिक टन मक्के का उत्पादन हो रहा है. यहां प्रतिवर्ष मक्के का कारोबार 20 अरब के आसपास होता है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पूर्णिया और कोसी से 14 लाख मीट्रिक टन मक्का यहां से रेल और रोड के माध्यम से देश के दूसरे हिस्सों में व विदेश भेजा जाता है. दवा, फीड व अन्य सामग्री बनानेवाली मल्टीनेशलन कंपनियां यहां मक्का खरीदने आती हैं.