Purnia news : आप गरीब रिक्शा-ठेला चालक हैं या फिर कोई राहगीर, रात हो गयी है तो ठंड में ठिठुरने की जरूरत नहीं. शहर के आश्रय गृह आइये और ठंड में ठौर पाइये.आश्रय गृह में रात बीता कर सुबह सकुशल गंतव्य की ओर निकल सकते हैं.
ठंड से बचाव के लिए है पूरा इंतजाम
जी हां, सरकार की पहल पर पूर्णिया नगर निगम की ओर से ठंड के इस मौसम में इस तरह के लोगों के लिए आश्रय गृह खोलकर रखा गया है, जहां ठंड से बचाव के पूरे इंतजाम किये गये हैं. निगम के कर्मचारी यहां सुविधा मुहैया कराने के लिए हमेशा तत्पर हैं. भीषण ठंड का दौर शुरू हो गया है. इस भीषण ठंड में अहसाय लोग और ठेला, रिक्शा चालक सबसे ज्यादा परेशान होते हैं. वे लोग शाम ढलते ही आशियाने के लिए इधर-उधर भटकते हैं. जब कहीं कोई ठौर नहीं मिलता है, तो चौक-चौराहों के किसी दुकान के नीचे, रेलवे स्टेशन या मंदिर में किसी तरह रात बिताने की कोशिश करते हैं. मगर, सांय-सांय चलती सर्द पछुआ हवा उन्हें सोने भी नहीं देती. मगर, उनकी जरूरत को महसूस करते हुए नगर निगम ने आश्रय गृह बना रखा है. इन आश्रय गृहों में लोग ठंड से अपनी सुरक्षा सहज रूप से कर सकते हैं.
आश्रय गृह में रहने के लिए कोई शुल्क देय नहीं
अहम यह है कि नगर निगम के आश्रय गृह में रहने के लिए कोई शुल्क देय नहीं है. यहां कोई भी निशुल्क रह कर ठंड से बचाव कर सकता है.आश्रय गृह में बेड के साथ-साथ ओढ़ने के लिए कंबल व तकिया की भी व्यवस्था है. मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी की भी व्यवस्था की गयी है. हालांकि यहां ऐसे भी लोग रात में रह सकते हैं, जिन्हें देर रात कहीं जगह नहीं मिली. वे यहां आराम से रात बिता सकते हैं. यदि भोजन चाहिए, तो इसके लिए ऑर्डर देना पड़ता है. यदि ज्यादा लोग पहुंच गये और उन्हें भोजन चाहिए, तो आश्रय गृह में ही व्यवस्था की जाती है. पर, इस स्थिति में थोड़ी बहुत जेब ढीली करनी पड़ेगी.
शहर में दो स्थानों पर है आश्रय गृह
नगर निगम ने शहर के दो अलग-अलग स्थानों पर आश्रय गृह का निर्माण करा रखा है. एक पूर्णिया कोर्ट रेलवे स्टेशन से सटे उत्तर की दिशा में और दूसरा खुश्कीबाग के समीप स्थित अब्दुलानगर में. दोनों आश्रय गृह तीन मंजिला हैं. दोनों जगह आश्रय गृह में 50 बेड से अधिक की व्यवस्था है.आश्रय गृह के ग्राउंड फ्लोर पर 19 बेड, फर्स्ट फ्लोर पर 23 बेड और सेकेंड फ्लोर पर 18 बेड की व्यवस्था है. इसके अलावा यहां पेयजल और शौचालय समेत कई सुविधाएं भी हैं.
अधिसंख्य लोगों को आश्रय गृह की जानकारी नहीं
शहरी क्षेत्र में गरीब-असहाय लोगों को रात गुजारने के लिए सरकार की पहल पर आश्रय गृह का निर्माण तो कराया गया है, लेकिन इसका फायदा गरीबों को नहीं मिल रहा है. कारण, अधिसंख्य लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है. इससे लोग वहां तक पहुंच नहीं पाते हैं. वैसे, आश्रय गृह के केयर टेकर डब्लू राय और प्रभारी प्रीति कुमारी ने बताया कि शीतलहर में वे लोग बस, स्टैंड, चौक चौराहे और रेलवे स्टेशन परिसर में घूम-घूम कर अहसाय लोगों को ढूंढ़ कर लाते हैं और उन्हें बेड व ओढ़ने के लिए कंबल दिया जाता है. इनका दावा है कि निगम की ओर से प्रचार-प्रसार भी किया जाता है, ताकि जरूरतमंद लोग आश्रय गृह का लाभ उठा सकें.
अब्दुल्ला नगर आश्रय गृह की जगह गलत
शहर के खुश्कीबाग स्थित अब्दुल्लानगर का आश्रय गृह ऐसी जगह पर है, जहां लोग जाना पसंद नहीं करते हैं. रात हो गयी और जरूरत भी महसूस हो रही है, तो लोग इस तरफ झांकने से भी कतराते हैं. लोगों का कहना है कि अब्दुल्लानगर का आश्रय गृह सही मायने में रेड लाइट एरिया का इलाका पड़ता है, जहां का माहौल अलग किस्म का होता है. कई लोग उधर जाने से डरते भी हैं. आम लोग ही नहीं, यहां तक कि असहाय लोग भी इधर आना पसंद नहीं करते हैं.
रहने के लिए है निशुल्क व्यवस्था : नगर आयुक्त
नगर आयुक्त कुमार मंगलम ने बताया कि ठंड से बचाव को लेकर रिक्शा, ठेला चालक, मजदूर, असहाय व जरूरतमंद लोगों के लिए शहर में दो आश्रय गृह हैं. आश्रय गृह में ठहरने की उत्तम व्यवस्था है. बेड, कंबल से लेकर शौचालय व पेयजल तक की व्यवस्था है. ठंड से बचाव के लिए आश्रय गृह में लोग निशुल्क रूप से रहते हैं.