Purnia news : अब पूर्णिया वह नहीं रहा जिसे किसी जमाने में कालापानी कहा जाता था और लोग मलेरिया जैसे रोग के कारण भी दम तोड़ देते थे. बदलते परिवेश में पूर्णिया में रहनेवाले लोग न केवल अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हुए हैं, बल्कि गंभीर से गंभीर रोगों से मुकाबले के लिए तैयार और तत्पर भी दिखने लगे हैं. बीमारियों से जूझते-लड़ते हुए पूर्णियावासी जब अपनी सेहत के प्रति संजीदा हुए तो निरोग रहने का जरिया ढूंढ़ा और योग को अपने जीवन का अंग मान लिया. अव्वल तो यह कि डाॅक्टर भी मरीजों को योग के आसनों की सलाह देने लगे. आज जिले में योग के कई केंद्र खुल गये हैं और हर तबका योग से जुड़ गया है. महिलाओं का बड़ा समूह भी योग के जरिये निरोग रहने की कोशिश कर रहा है, जबकि बुजुर्गों ने योग को जीवन का हिस्सा मान लिया है. विश्व योग दिवस के एक दिन पूर्व प्रभात खबर ने पूर्णिया की सांसों में समाये योग का जायजा लिया और उन लोगों से बात की जिन्हें योग के जरिये नया जीवन मिला.
जिंदगी की चाहत में मैदान तक खींचे चले आते हैं लोग
दिन चाहे जो हो और मौसम चाहे कैसा भी हो, यह तबक सुबह का पूरा समय अपनी सेहत को देना चाहता है. सुबह साढ़े चार से साढ़े पांच बजे के बीच उनकी सारी व्यस्तताएं उस मैदान में सिमट कर रह जाती हैं, जहां योगाभ्यास कराए जाते हैं. जिंदगी की चाहत में वे अहले सुबह मैदान तक खींचे चले आते हैं. शरीर पर सफेद वस्त्र, हाथों में दरी-चादर और दिमाग में योग का जुनून लिए सभी अपने योग केंद्र तक पहुंचते हैं. इनमें डाॅक्टर, वकील, प्रोफेसर और अधिकारी के संग सामान्य नागरिक भी होते हैं, जिन्हें इस समय अपनी सेहत के सिवा कोई चिंता नहीं रहती. आलम यह है कि सुबह होते ही शहर का हर शख्स दौड़ता नजर आता है. बीमारी से कई ऐसे भी परेशान लोग हैं जो कार से आते हैं और खुले मैदान में बैठ कर रोग के लिए बताए गये योग के आसनों का अभ्यास करते हैं. गठिया, कमर और घुटने के दर्द से परेशान रहनेवाले कई लोगों ने बड़े विश्वास से कहा कि योग से उनके रोग भाग गये.
योग से बदल गयी महेश लाल की जिंदगी
अपनी उम्र के 70 बसंत लांघ चुके महेश लाल अग्रहरी की जिंदगी योग साधना के बाद बदल गयी. उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया, जब वह चलने-फिरने से पूरी तरह लाचार हो गये. लंबी दूरी कौन कहे, दस कदम पैदल चल कर कहीं जाना भी मुश्किल हो गया था. घर की सीढ़ी पर चढ़ना तो बिल्कुल ही बंद था. सांस इस कदर चलने लगती थी मानो अब बाहर आ जाए.डाॅक्टरों से मिले, घर और नर्सिंग होम के बीच का फासला खत्म हो गया. इलाज कराया पर कोई लाभ नहीं. जीवन की नैया डगमगाने लगी और फिर निराशा होने लगी. श्री अग्रहरी बताते हैं कि बच्चे भी परेशान रहने लगे थे. ऐसे में एक दिन योग विज्ञान संस्थान का साथ मिला और उसी समय योग से जुड़गये. यहां वह योग के आसनों का नियमित अभ्यास करते हैं. उन्हें खुशी है कि अब पहाड़ पर भी चढ़ लेते हैं.
योग अपनाया तो छूटा साइनस से पीछा
नवीन कुमार गुप्ता शहर के भट्ठा बाजार के रहनेवाले हैं, जो कुछ साल पहले साइनस जैसे रोग का शिकार हो गये थे. लोकल स्तर पर इलाज कराया, पर स्थायी लाभ नहीं. फिर इलाज के लिए बाहर भी गये और उससे भी लाभ नहीं हुआ. नाक में खुजली, छींक समेत कई परेशानियों ने सुख-चैन छीन लिया था. मेडिकल का इलाज जो संभव था सब हो रहा था, पर लंबे अर्से से चल रहे इलाज के बावजूद कोई लाभ नहीं मिल रहा था. इसी बीच योग विज्ञान संस्थान के साधकों से संपर्क हुआ और योगासनों का अभ्यास उन्होंने शुरू किया. तुरंत तो नहीं, पर धीरे-धीरे लाभ महसूस होने लगा. फिर वे जिला स्कूल में चलने वाले योग केंद्र में नियमित जाने लगे. योग करते हुए आज चार साल हो गये और अब वे खुद को स्वस्थ महसूस करने लगे हैं. अब तो उनके बच्चों ने भी योग काे जीवन का अंग मान लिया है.
घुटने की पीड़ा से योग ने दिलायी मुक्ति
शहर के एक मध्यमवर्गीय मेहनतकश परिवार से आनेवाली वंदना कुमारी को पैर की बीमारी ने जीना मुश्किल कर दिया था. आलम यह था की वे चलने-फिरने से भी लाचार हो गयी थीं. घुटने की पीड़ा जानलेवा साबित हो रही थी. तकलीफ बढ़ने पर काफी इलाज कराया. दिल्ली में डाॅक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी. मगर, सर्जरी न कराकर वह वापस पूर्णिया चली आयीं. यहां वह योग विज्ञान केंद्र के संपर्क में आयीं और नियमित योग करने लगीं. करीब तीन साल हो गये, अब वे खुद को पूरी तरह स्वस्थ महसूस कर रही हैं. दवा भी बंद हो गयी है.
योग से वजन ही नहीं, मोटापा भी कम हुआ
जिला स्कूल योग केंद्र के राजेश कुमार झा एक ऐसे साधक हैं, जिन्हें शरीर के बढ़ते वजन ने मुश्किल में डाल दिया था. शरीर के वजन के कारण दो कदम चलना भी मुश्किल हो गया था. आलम यह था कि उनके पैर घूमते ही नहीं थे, जिसने जैसी सलाह दी, वैसा ही इलाज कराया, पर सब बेकार साबित हुआ. इलाज के चक्कर में खर्च भी बेहिसाब हो गया. कहीं आने-जाने में भी परेशानी होने लगी. इसी बीच योग विज्ञान केंद्र के साधकों से मुलाकात हुई, जहां से योग की प्रेरणा मिली. पिछले एक साल से योग कर रहे हैं, जिससे वजन ही नहीं मोटापा भी कम हो गया है.
योग ने शरीर का दर्द दूर भगाया
शैताली श्वेता शहर के भट्ठा की रहनेवाली हैं. दो साल पहले से शरीर में काफी दर्द रहने लगा था. दर्द भी कुछ इस तरह का था कि कभी-कभी बेचैन कर देता था. कई बार डाॅक्टरों से मिलीं. उनसे इलाज कराया. फिर घर वालों की सलाह के हिसाब से डाॅक्टर भी बदला, पर दर्द ने पीछा नहीं छोड़ा. इससे खुद तो परेशान रहती ही थीं, घरवाले भी परेशान हो गये. इसी दौरान उनके पति ने ही योग करने की सलाह दी और प्रेरित भी किया. पति से प्रेरित होकर वे पिछले ढाई महीने से ही योग कर रही हैं और इसी अवधि में काफी राहत महसूस कर रही हैं.