Purnia news : बदल रहा पूर्णिया का मौसम, साल दर साल कम हो रहे बारिश के दिन

Purnia news : बारिश कम होने के कारण एक तरफ मौसम अधिक गर्म रहने लगा है, तो दूसरी तरफ खेती-किसानी पर भी संकट बढ़ गया है.

By Sharat Chandra Tripathi | June 30, 2024 7:55 PM

Purnia news : कभी मिनी दार्जिलिंग कहे जानेवाले पूर्णिया में बारिश के पैटर्न में अब बड़ा बदलाव दिखने लगा है, क्योंकि मौसम का मिजाज अपेक्षाकृत काफी बदल गया है. महज 20-25 साल पहले गर्मी शुरू होते ही बारिश का दौर भी शुरू हो जाता था और गर्मी भी कम पड़तीथी. तुरंत कड़क धूप तो तुरंत बारिश से मौसम कूल-कूल रहा करता था. मगर, बदलते दौर में मौसम का तापमान जहां 41-42 डिग्री तक जाने लगा है, वहीं वर्षानुपात में भी गिरावट आ गयी है. बारिश कम होने के कारण एक तरफ मौसम अधिक गर्म रहने लगा है, तो दूसरी तरफ खेती-किसानी पर भी संकट बढ़ गया है.

इस साल 47.7 मिमी बारिश

मौसम का माॅनसूनी मूड चेंज होने से बारिश का समय भी बदल गया है. पहले यहां 14 जून तक माॅनसून की झमाझम बारिश शुरू हो जाती थी, जबकि मई में भी प्री माॅनसून की बारिश झेलनी पड़तीथी. मई में बारिश के दिन तो अब लगभग लद गये, माॅनसून भी लेट होने लगा. इस साल मई महीने में मात्र 47.7 मिमी बारिश रिकाॅर्ड की गयी. विभागीय जानकारों की मानें तो पूर्णिया जिले में माॅनसून के जून-जुलाई में वर्ष 2017 को छोड़ कर पिछले 10 सालों में सबसे कम बारिश हुई है. जून महीने में इस साल मात्र 156 एमएम बारिश हुई है, जबकि माॅनसून के दोनों माह में अब तक बारिश 570 मिमी होनी चाहिए. इसे बारिश के बदलते पैटर्न का ही परिणाम माना जा रहा है कि तापमान अब महानगरों के तर्ज पर रहने लगा है. मौसम विभाग की मानें, तो पिछले दस सालों में सबसे अधिक बारिश वर्ष 2020 में 876.5 मिमी हुई थी. उस समय लोग एक तरफ बारिश से बेहाल थे, तो दूसरी तरफ कोरोना के कोहराम से डरे हुए थे. इसके बाद वर्ष 2019 की बात करें तो 571.3 एमएम बारिश हुई थी.

धान का बिचड़ा बचाने पर छाया संकट

बारिश की आस में किसानों ने 25 मई के बाद धान के बिचड़े के लिए बीज गिराना शुरू कर दिया. मगर, मौसम ने अपना मिजाज इस कदर गर्म कर लिया कि खेतों की नमी ही रूठ गयी. कई किसानों ने खेतों को छोटे-छोटे टुकड़े बना कर पंपसेट के सहारे खेत तैयार कर बिचड़ा तो गिरा दिया, पर अब उन खेतों में पंपसेट से नमी बनाये रखना बड़ी चुनौती साबित हो रही है. किसान धान के बिचड़े को बचाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं. इससे किसान सिंचाई पर अधिक जोर दे रहे हैं. पर, कोई सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिल रहा है. किसान धान के बिचड़े को बचाने की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं.

सब्जी के उत्पादन में आयी कमी

सब्जी की खेती करनेवाले किसान श्रवण मेहता बताते हैं कि इस साल भीषण गर्मी के कारण सब्जी की फसल खराब हो गयी. इससे सब्जी का उत्पादन कम होने लगा है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से एक माह पूर्व सब्जी का उत्पादन होता था, उस पर भारी असर देखने को मिला है. इस बार इस कदर से गर्मी बढ़ी और समय पर बारिश नहीं हुई, जिससे नुकसान सहना पड़ रहा है. किसान मनोज मेहता ने बताया कि इस बार पटवन में ही लागत का बड़ा हिस्सा शामिल हो गया, जबकि बाजार में इस हिसाब से दाम नहीं मिल रहा है. उनका कहना है कि भीषण गर्मी में सिंचाई के बावजूद फसलें बहुत अच्छी नहीं हैं.

जलवायु के अनुकूल खेती पर जोर

बारिश के बदलते पैटर्न को देखते हुए कृषि विभाग भी अब जलवायु अनुकूल खेती पर जोर दे रहा है. अभी हाल ही में आयोजित खरीफ कार्यशाला में विभागीय अधिकारियों ने जलवायु के अनुकूल कृषि कार्य करने पर बल देते हुए विस्तार से जानकारी दी थी. किसानों को बताया गया कि आज के समय में जलवायु में काफी परिवर्तन आया है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक की सलाह पर जलवायु के अनुकूल ही किसानों को खेती करने की जरूरत है. असामयिक वर्षा व आंधी-तूफान आ जाने से किसानों की फसल बर्बाद हो जा रही है.

पूर्वानुमान में अच्छे संकेत मिल रहे

मौसम विज्ञानी डीके भारती ने कहा कि इस बार माॅनसून में देर हो गयी है. मगर, पूर्वानुमान में अच्छे संकेत मिल रहे हैं. आनेवाले दो महीने में इस साल 106 प्रतिशत बारिश होने की संभावना है, जो सामान्य से सौ फीसदी ज्यादा है. इस बात के स्पष्ट संकेत मिले हैं कि जुलाई और अगस्त माह में सर्वाधिक बारिश हो सकती है.

धान की खेती में बहुत परेशानी नहीं

कृषि वैज्ञानिक डाॅ एसपी सिन्हा ने कहा कि माॅनसून में इस बार काफी लेट हो गया है, पर धान की खेती में बहुत परेशानी नहीं है. किसान अपना बिचड़ा तैयार रखें और बारिश होते ही रोपनी शुरू कर दें. वैसे, जिन किसानों का बिचड़ा 08 से 12 दिन का हो गया है, वे किसान अपना पटवन कर श्री विधि से धान लगा सकते हैं. धान के लिए डीएसआर तकनीक भी अपनाए जा रहे हैं. यह एक सुखी विधि है और दूसरी गीली विधि है. इसे अपनाया जा सकता है.

सालाना वर्षानुपात पर एक नजर

11 जून से 23 जून 2014 तक बारिश- 91.9 मिली मी.

11 जून से 23 जून 2015 तक बारिश- 103.1 मिली मी.

11जून से 23 जून 2016 तक बारिश- 192.9 मिली मी.

11 जून से 23 जून 2017 तक बारिश- 96.9 मिली मी.

8 जून से 23 जून 2018 तक बारिश- 143.1 मिली मी.

11 जून से 23 जून 2019 तक बारिश- 135.6 मिली मी.

11 जून से 23 जून 2020 तक बारिश- 85.8 मिली मी.

11 जून से 23 जून 2021 तक बारिश- 179.4 मिली मी.

11 जून से 23 जून 2022 तक बारिश- 170.2 मिली मी.

11 जून से 23 जून 2023 तक बारिश- 58.3 मिली मी.

01 जून से 28 जून 2024 तक बारिश- 156 मिली मी.

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