Purnia news : खादी मॉल का निर्माण कार्य पूरा होता, तो हाथों के हुनर को मिलता बाजार

Purnia news : पूर्णिया में खादी मॉल के निर्माण से खादी के विभिन्न उत्पादों के साथ-साथ जिले में उत्पादित अन्य सामग्री की बिक्री एवं प्रदर्शनी भी लगायी जाती, लेकिन यहां बन रहा खादी मॉल नौ दिन चले ढाई कोस के कहावत को चरितार्थ कर रहा है.

By Sharat Chandra Tripathi | May 18, 2024 12:04 AM

Purnia news : पूर्णिया शहर में खादी पार्क की परिकल्पना कब साकार होगी इसका अनुमान लगाना टेढ़ी खीर है. हालांकि, विगत वर्ष से ही इसके वर्ष 2024 की जनवरी तक तैयार हो जाने की उम्मीद की जा रही थी. लोगों को इस बात का भी भरोसा है कि खादी मॉल खुलने से सीमांचल और इसके आसपास के अन्य जिलों में हाथों के हुनर को नया बाजार भी मिलेगा. मॉल खुलने से न केवल खादी के विभिन्न उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रेशमी एवं अन्य स्थानीय उत्पादों को भी लाभ मिलेगा.

कारोबार कब शुरू होगा कहा नहीं जा सकता

पूर्णिया में खादी मॉल के निर्माण से खादी के विभिन्न उत्पादों के साथ-साथ जिले में उत्पादित अन्य सामग्री की बिक्री एवं प्रदर्शनी भी लगायी जाती, लेकिन यहां बन रहा खादी मॉल नौ दिन चले ढाई कोस के कहावत को चरितार्थ कर रहा है. ऊपर से बीच-बीच में सामान की आपूर्ति में देरी भी आड़े आ रही है. इस वजह से भी यहां निर्माण कार्य रुक-रुक कर चल रहा है. आधे-अधूरे ढांचे के बीच चल रहे निर्माण कार्य की गति इतनी धीमी है कि यहां कारोबार कब शुरू होगा कुछ कहा नहीं जा सकता.

पटना के तर्ज पर पड़ी खादी मॉल की नींव

गौरतलब है कि राज्य सरकार की पहल पर पटना के तर्ज पर पूर्णिया में भी खादी मॉल की नींव डाली गयी है. इसके निर्माण के लिए लगभग 14 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है. यह पटना के बाद सूबे का दूसरा मॉल होगा. शहर के गांगुली पाड़ा स्थित बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के खंडहरनुमा कार्यालय के भवन को तोड़कर मॉल बनाया जा रहा है. इसके पीछे सोच यह रही है कि मॉल खुलने से न सिर्फ खादी व ग्रामोद्योग से जुड़े लोगों को फायदा होगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आएगी और रोजगार का सृजन होगा. हालांकि 2022 में ही इसका निर्माण पूरा किया जाना था, पर तकनीकी कारणों से विलंब हो रहा है.

इन्फ्राटेक ने बनाया है इमेजिनेशन

जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक ने नवंबर 2019 में पटना के तर्ज पर पूर्णिया में खादी मॉल के निर्माण का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था. उनके प्रयास से मंत्री ने मॉल निर्माण स्थल निरीक्षण किया तथा अपनी स्वीकृति प्रदान की. इसका डीपीआर विभागीय स्तर पर इमेजिनेशन इन्फ्राटेक प्रालि द्वारा बनाया गया है. जिला खादी ग्रामोद्योग कार्यालय के पास 25 डिसमिल जमीन उपलब्ध है. वहां पूर्व के जर्जर भवन को तोड़कर खादी मॉल का निर्माण कराया जा रहा है.

तीन तल में अलग-अलग होगा मॉल का स्वरूप

यहां उपलब्ध जमीन का कुल क्षेत्रफल 8,974 वर्ग फीट है. ग्राउंड समेत तीन तल में बननेवाले खादी मॉल का कुल बिल्टअप एरिया 16,800 वर्ग फीट तय किया गया है. योजना के मुताबिक मॉल के प्रथम तल का क्षेत्रफल 3,777 वर्ग फीट होगा, जिसमें साड़ी सेक्शन, रेडीमेड गार्मेंट्स, क्लोथ रीम सेक्शन और कैश काउंटर बनेगा. मॉल के दूसरे तल पर मीटिंग रूम व गोदाम और तीसरे तल पर तीन मल्टीपर्पस हॉल का निर्माण होगा. इतना ही नहीं, मॉल की चहारदीवारी के लिए 60 लाख का बजट भी बनाया गया है और इसके लिए तकनीकी टीम भी पहुंच रही है.

होगी पार्किंग की समुचित व्यवस्था

मॉल निर्माण के साथ ही यहां खरीदारी करने आनेवालों के लिए वाहन पार्किंग की विशेष व्यवस्था की जाएगी. इसके तहत मॉल निर्माण के साथ ही अंडर ग्राउंड पार्किंग बनाया जाएगा, ताकि मोहल्ले एवं आसपास की सड़कों पर जाम की समस्या न होने पाए.

मेटेरियल आपूर्ति व भंडारण के अभाव से हो रहा विलंब

मॉल के निर्माण में जो मेटेरियल इस्तेमाल हो रहा है उसका ठेकेदार ने भंडारण नहीं किया था. इस वजह से कार्य प्रभावित हुआ है. कायदे से उसे जुलाई अगस्त 23 तक तैयार करके दे देना चाहिए था.कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक अगर निर्धारित समय से जितना भी विलंब होगा, उसके लिए दंड स्वरूप पेनाल्टी के रूप में दो या तीन प्रतिशत राशि घटती जाएगी. यह पटना से ही होगा. यहां से सिर्फ डीआइसी द्वारा मॉनीटरिंग की जा रही है. खादी मॉल राज्य में तीन जिलों में बन रहा है. पटना का कार्य हो गया है. मुजफ्फरपुर और यहां काम चल रहा है.केवीआइसी द्वारा इसके लिए थर्ड पार्टी को टेंडर दिया गया है.

सितंबर तक कार्य पूरा होने की उम्मीद

जिला उद्योग केंद्र पूर्णिया के महाप्रबंधक संजीव कुमार ने बताया कि खादी मॉल बनाने वाले ठेकेदार का कहना है कि सप्लायर द्वारा समय पर सामान की आपूर्ति नहीं होने से देरी हो रही है. ठेकेदार ने सितंबर तक कार्य पूरा करने का भरोसा दिलाया है. अब सितंबर के बाद ही पता चलेगा कि क्या परिणाम निकलकर सामने आता है. शर्त के अनुसार, जो विलंब हो रहा है इसकी भरपाई तो ठेकेदार को ही करनी होगी.

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