Purnia news : गेहूं उत्पादक किसानों को मौसम ने फिर दिया धोखा, समय से शुरू नहीं हुई ठंड

Purnia news : मध्य दिसंबर से जनवरी मध्य तक पहले जिस तरह की ठंड पड़ती थी, उसमें लगातार कमी देखी जा रही है.

By Sharat Chandra Tripathi | January 5, 2025 8:22 PM

Purnia news : पिछले वर्ष की ही तरह इस बार भी मौसम ने गेहूं उत्पादक किसानों को परेशानी में डाल दिया है. दिसंबर माह की समाप्ति और नये वर्ष के प्रवेश कर जाने के बाद भी अभी तक तापमान का ऊपरी पारा नीचे उतरने का नाम ही नहीं ले रहा.

किसानों की मेहनत पर पानी न फिर जाये

ऐसे हालात को देखते हुए गेहूं उत्पादक किसानों को गेहूं की पैदावार को लेकर चिंता सताने लगी है. अगर देखा जाये तो गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी मौसम का मिजाज किसानों की मेहनत पर पानी फेरने में लगा हुआ है. किसानों का कहना है कि मध्य दिसंबर से जनवरी मध्य तक पहले जिस तरह की ठंड पड़ती थी, उसमें लगातार कमी देखी जा रही है. इस बार भी दिन का तापमान 20 डिग्री से लगभग ऊपर ही बना हुआ है. इससे गेहूं में बढ़वार की कमी देखी जा रही है, जबकि किसानों ने गेहूं में पहला पटवन कर लिया है. उधर, मक्का की खेती करनेवाले किसान भी नमी की कमी को देखते हुए खेतों में पटवन की व्यवस्था में लगे हैं.

किसानों को सता रही है चिंता

बड़हरा कोठी के किसान रघुनाथ मंडल ने बताया कि उन्होंने गेहूं में दो सिंचाई कर ली है. पौधे तो अच्छे आये हैं, लेकिन बढ़ने की गति थोड़ी धीमी है. पर, इधर शुरू हुई ठंड से उम्मीद जगी है, लेकिन कुहासे में कमी है. हो सकता है कुछ दिनों में ठीक हो जाए.रुपौली परिहट के किसान विपिन कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में जैविक खेती को प्रश्रय देते हुए बड़ी मात्रा में कंपोस्ट और जैविक खाद का इस्तेमाल किया है. इस वजह से गेहूं के पौधों की रंगत अच्छी है. पटवन की व्यवस्था अच्छी है. गेहूं में दो पटवन कर भी चुके हैं. उम्मीद है कि पैदावार अच्छी हो. पर, मौसम का हाल देखकर कभी-कभी शंका भी होती है. अगर अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान नजदीक हो जाए और ओस की बूंदें पौधों पर जमने लगें तो बहुत अच्छा रहेगा.

रबी की विभिन्न फसलों पर भी पड़ेगा असर

वैसे देखा जाये तो अमूमन किसान भाई नवंबर के मध्य तक गेहूं के मुख्य किस्मों की बुआई कर लेते हैं. इसमें विलंब होने से उपज में कमी आ जाती है. पर, उचित तापक्रम के इंतजार में अनेक किसान भाइयों ने गेहूं की बुआई दिसंबर माह तक की. इस संबंध में कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अभी मौसम की थोड़ी सी बेरुखी हो गयी है. ठंडक की कमी हो गयी है. इससे रबी की विभिन्न फसलों पर असर पड़ेगा.

अधिकतम व न्यूनतम तापमान के बीच बड़ा फासला

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि दिसंबर माह में अधिकतम तापमान 22 से 23 डिग्री रहना चाहिए, जो 24 से 27 डिग्री के बीच रहा. न्यूनतम तापमान 9 से 11 के बीच के बजाय 9 से 15 के बीच रहा. गेहूं में सामान्य बुआई 30 नवंबर और लेट बुआई दिसंबर माह में किसान करते हैं. गेहूं के लिए न्यूनतम तापमान 6 से 11 डिग्री तथा अधिकतम तापमान 16 से 20 डिग्री के बीच रहना चाहिए. दिसंबर में भी न्यूनतम तापमान 10 डिग्री तथा अधिकतम 27 डिग्री तक बना रहा. इससे गेहूं का विकास प्रभावित होगा. देर वाली वेरायटी में अंकुरण कम होने की आशंका रहेगी.

गेहूं की टिलरिंग पर पड़ेगा असर

केवीके जलालगढ़ के कृषि वैज्ञानिक डॉ गोविंद कुमार ने बताया कि हल्का कुहासा या ओस के गिरने से गेहूं को जो फायदा मिलता, वह दिख नहीं रहा है. गेहूं की टिलरिंग पर इसका असर पड़ेगा.कल्लों में कमी रहेगी, तो उत्पादन में कमी होगी. लगभग 8 से 10 प्रतिशत कमी का अनुमान है. तापमान का इस तरह बदलाव भविष्य में खेती के लिए बहुत ठीक नहीं कहा जा सकता है.

तापमान के उतार-चढ़ाव में काफी अंतर

कषि पदाधिकारी हरिद्वार प्रसाद चौरसिया ने कहा कि पूर्णिया जिले में मक्का की खेती का रकबा बढ़ाहै. गेहूं के मामले में इसपर मौसम का असर देखा जा रहा है. जनवरी का प्रथम सप्ताह चल रहा है और तापमान में उतार-चढ़ाव का अंतर अभी भी काफी है. इसके बावजूद जिले में गेहूं का आच्छादन पूर्व के अनुरूप किया गया है.

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